नई दिल्ली। श्रीलंका में लॉकडाउन के कारण फंसे 80 भारतीय नागरिकों में पैसे खत्म होने के साथ ही घबराहट बढ़ने लगी है। विदेश में फंसा एक शख्स लॉकडाउन के चलते दवा उपलब्ध नहीं होने के कारण अवसाद में जा रही अपनी पत्नी को देखकर दुखी है, एक नाविक जहाज पर पहुंचने के दौरान रास्ते में फंसा पड़ा है। इसी तरह व्यावसायिक यात्रा पर गए एक दल के परिवार वाले उनके घर लौटने का इंतजार कर रहे हैं।
कोलंबो में 20 मार्च से कर्फ्यू लागू है। तटीय देश में फंसे भारतीय नागरिक पिछले एक महीने से कोरोना वायरस (Corona virus) महामारी के समाप्त होने का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में उनके पैसे खत्म होने के साथ ही उनकी चिंता बढ़ने लगी है। इनमें से अधिकतर होटलों, गेस्ट हाउस और अपने रिश्तेदारों के घरों में ठहरे हुए हैं। इन सभी के हालात अलग हैं लेकिन सभी की घर लौटने की इच्छा एक जैसी है।
रिपुसूदन प्रसाद (मर्चेंट नेवी) ने कहा कि वह अपनी पत्नी को अवसादग्रस्त होता देख रहे हैं और उसकी दवाएं खत्म होने के बाद वह समझ नहीं पा रहे हैं कि क्या करें। उन्होंने कहा, पिछले साल दिसंबर में मेरे जहाज को अगवा कर लिया गया था और हम पांच हफ्ते तक बंधक रहे। इसी समय, मेरी पत्नी अवसाद में चली गई।
कोलकाता के प्रसाद (37) ने कोलंबो से फोन पर बताया, डॉक्टर की सलाह के बाद मैं अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ सात मार्च को कोलंबो पहुंचा। हम 23 मार्च को दुबई जाने वाले थे और उसके बाद एक अप्रैल को वापस कोलकाता आना था।
उन्होंने कहा कि उनके परिवार और उनकी तरह ही करीब 80 भारतीयों का यही हाल है। इसी तरह मर्चेंट नेवी के नाविक और कोलकाता निवासी अभिनव चौधरी चार मार्च को कोलंबो पहुंचे थे। इसके बाद से वहीं फंसे हैं। चौधरी ने कहा, मेरे पास 20 मार्च से तीन अप्रैल के बीच बमुश्किल कुछ खाने को बचा था।
इसके बाद दूतावास ने मेरी भोजन को लेकर मदद की और मैं किसी तरह काम चला रहा हूं। मुझे अपने जहाज पर ड्यूटी के लिए 20 मार्च को मिस्र जाने के लिए उड़ान भरनी थी।उन्होंने कहा कि यहां अकेलापन, वित्तीय संकट और अवसादपूर्ण जिंदगी है। (भाषा)