इंदौर। शहर में रविवार को सही मायने में 'कोरोना विस्फोट' तब हुआ, जब 208 नए कोरोनावायरस (Coronavirus) संक्रमित मरीज सामने आए। यह संख्या अब तक की सबसे बड़ी संख्या है, जो इशारा कर रही है कि इंदौर (Indore) के कोरोना हालात यकीनन बदतर हो चुके हैं। 208 नए मरीजों के मिलने के बाद कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 8724 पर पहुंच चुका है। शहर में नई मौत नहीं होने से जान गंवाने वालों की संख्या 333 ही रही।
प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पूर्णिमा गाडरिया द्वारा जारी मेडिकल बुलेटिन के अनुसार 2498 लोगों के कोरोना टेस्ट में 208 पॉजिटिव और 2274 मरीजों की रिपोर्ट निगेटिव आई है। रविवार को 3612 सैंपल प्राप्त हुए हैं। विभिन्न अस्पतालों से 62 मरीजों को स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज किया, जिसके बाद यह संख्या 5961 हो गई। फिलहाल 2430 कोरोना पॉजिटिव मरीजों का उपचार जारी है।
केवल 9 दिन में इंदौर में 1200 से ज्यादा मरीज मिले : शहर में हालात कितने बदतर हो गए इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि केवल 9 दिनों में 1276 कोरोना के नए मामले सामने आए। यही नहीं, पिछले केवल 3 दिनों में 502 मरीज मिले हैं। हद तो रविवार को हो गई, जब शहर में टोटल लॉकडाउन के बाद भी 208 नए कोरोना मरीज सामने आ गए।
पिछले 9 दिनों का हिसाब : 1 अगस्त को शहर में कोरोनावायरस संक्रमण के 107 मरीज मिले, 2 अगस्त को 91, 3 अगस्त को 89, 4 अगस्त को 122, 5 अगस्त को 157, 6 अगस्त को 145, 7 अगस्त को 184, 8 अगस्त को 173 और 9 अगस्त को 208 नए कोरोना मरीज सामने आए हैं।
बिगड़ने लगे हैं शहर के हालात : कोरोना संक्रमण के मामले में शुरुआत से प्रदेश में अव्वल चल रहे इंदौर शहर के हालात तेजी के साथ बिगड़े हैं। राजनैतिक दबाव की वजह से लॉकडाउन लग नहीं रहा है। जहां सावधानी बरतनी जानी थी, वहां लगातार लापरवाही बरती गई। सोशल डिस्टेंसिंग का मजाक बनाया गया। लोगों की सड़कों और दुकानों पर बढ़ती भीड़ कोरोना को फैलने में बहुत बड़ी मददगार साबित हो रही है।
शहर ने पैदा किए 15 दिन में 2 हजार मरीज : शहर को पूरी तरह खोलने का फैसला अब कहीं न कहीं आत्मघाती साबित हो रहा है क्योंकि केवल 15 दिनों में इंदौर ने 2 हजार कोरोना मरीज पैदा कर दिए हैं। पहले लेफ्ट और राइट का नियम बनाया था लेकिन दबाव के कारण वह भी निरस्त कर दिया गया।
अस्पतालों की बिगड़ती स्थिति : लगातार कोरोना मरीज सामने आने से अस्पतालों की हालत भी खराब होती जा रही है क्योंकि अधिक संख्या में मरीज मिल रहे हैं, उसकी तुलना में स्वस्थ होकर डिस्चार्ज होने वाले मरीजों की संख्या कम है। कोविड के लिए जिन अस्पतालों को अधिकृत किया गया है वहां हालत यह होती जा रही है कि यहां बेड फुल होते जा रहे हैं।
क्यों बिगड़े हालात : दरअसल प्रशासन की जिम्मेदारी थी कि शहर में सख्ती करके कोरोना के फैलते संक्रमण को रोका जाए लेकिन राजनैतिक दबाव के कारण उसे शहर को पूरी तरह खुल्ला छोड़ना पड़ा। लोगों की लापरवाही का ही नतीजा है कि आज संक्रमितों का आंकड़ा 8724 पर पहुंच चुका है जबकि 333 लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं। लोग रात के कर्फ्यू का पालन नहीं कर रहे हैं और ऐसे घूम रहे हैं, मानों यह महामारी है ही नहीं।
त्योहारों पर मिली छूट ने बिगाड़ा खेल : शहर की हालत इसलिए बिगड़ी क्योंकि 1 अगस्त और 3 अगस्त को क्रमश: ईद और रक्षाबंधन के त्योहारों के दबाव में बाजारों को पूरी तरह खोल दिया गया। नतीजा यह रहा कि कोरोना ने अपने पैर शहर के 1083 इलाकों में अपने पैर पसार लिए। नए-नए इलाकों में कोरोना का फैलना खतरे की घंटी है। गरीब बस्तियों से लेकर शहर के पॉश इलाकों में लगातार कोरोना मरीज सामने आ रहे हैं।