कौन है सांता क्लॉज और क्या है जिंगल बेल का सच, जानिए

अनिरुद्ध जोशी
मंगलवार, 24 दिसंबर 2019 (11:54 IST)
ईसा मसीह के जन्म, जीवन और उनकी मृत्यु का रहस्य अभी भी बरकरार है उसी तरह जिस तरह की ईसाई धर्म की परंपराएं और त्योहार पर भी रहस्य बरकरार है। हालांकि परंपराएं कैसी भी हो, किसी की भी हो यदि उससे लोगों को खुशी मिलती है तो यह बहुत ही अच्छी बात है। हर धर्म में परंपराएं ऐसी ही बनती और जुड़ती है। इसी तरह क्रिसमस पर्व से सैंटा क्लॉज और जिंगल के जुड़े होना का किस्से बहुत ही रोचक है।
 
 
सैंटा क्लॉज : क्रिसमस का नाम सुनते ही बच्चों के मन में सफेद लंबी दाढ़ी, लाल रंग के कपड़े और सिर पर टोपी पहने बूढ़े बाबा 'सैंटा क्लॉज' का चित्र उभरने लगता है। सैंटा क्रिसमस के दिन सीधा स्वर्ग से धरती पर आते हैं और वे बच्चों के लिए टॉफियां, चॉकलेट, फल, खिलौने व अन्य उपहार बांटकर वापस स्वर्ग में चले जाते हैं। बच्चे सैंटा को 'क्रिसमस फादर' भी कहते हैं। ईसाई समुदाय के बच्चे सैंटा को एक देवदूत मानते रहे हैं।
 
 
सैंटा क्लॉज चौथी शताब्दी में मायरा के निकट एक शहर में जन्मे थे। उनका नाम निकोलस था। संत निकोलस के पिता एक बहुत बड़े व्यापारी थे, जिन्होंने निकोलस को हमेशा दूसरों के प्रति दयाभाव और जरूरतमंदों की सहायता करने के लिए प्रेरित किया। निकोलस को बच्चों से खास लगाव रहा। किसी भी त्योहर पर वह अपनी दौलत में से बच्चों के लिए वह खूब सारे खिलौने खरीदते और खिड़कियों से उनके घरों में फेंक देते। क्रिसमस के दिन कुछ ईसाई परिवारों के बच्चे रात में घरों के बाहर अपनी जुराबें सुखाते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि सैंटा क्लॉज रात में आकर उनकी जुराबों में उनके मनपसंद उपहार भर जाएंगे।
 
 
उनके इस कार्य के चलते उन्हें बिशप बना दिया गया। बिशप के रूप में निकोलस की जिम्मेदारियां और बढ़ गईं। अब वे क्रिसमस के दिन हर जरूरतमंदों का ध्यान रखते थे। वे इस बात का ध्यान रखते थे कि सभी को भरपेट भोजन मिले। धीरे धीरे उनकी प्रसिद्धि उत्तरी योरप में भी फैलने लगी। लोग उन्हें सम्मान देने के लिए 'क्लॉज' कहना शुरू कर दिया। चूंकि कैथोलिक चर्च ने उन्हें 'संत' का ओहदा दिया था, इसलिए उन्हें 'सैंटा क्लॉज' कहा जाने लगा। जो आज 'सैंटा क्लॉज' के नाम से मशहूर है।
 
 
संत निकोलस की याद में कुछ जगहों पर हर साल 6 दिसंबर को 'संत निकोलस दिवस' भी मनाया जाता है। हालांकि एक धारणा यह भी है कि संत निकोलस की लोकप्रियता से नाराज लोगों ने 6 दिसंबर के दिन ही उनकी हत्या करवा दी। इन बातों के बाद भी बच्चे 25 दिसंबर को ही सैंटा का इंतजार करते हैं। हालांकि सैंटा क्लॉज के बारे में अन्य कई कहानियां भी प्रचलित है।
 
 
जिंगल बेल : जिंगल बेल के गाने को ईसाई धर्म में क्रिसमस से जोड़ दिया गया है, लेकिन कुछ लोग यह मानते हैं कि यह क्रिसमस सॉग्न है ही नहीं। यह थैंक्सगिविंग सॉग्न है जिसे 1850 में जेम्स पियरपॉन्ट ने 'वन हॉर्स ओपन स्लेई' शीर्षक से लिखा था।
 
 
जेम्स पियरपॉन्ट ने यह गीत ऑर्डवे के संगीत ग्रुप के लिए लिखा गया था और सन 1857 में इसे पहली बार आम दर्शकों के सामने गाया गया था। पियरपॉन्ट जार्जिया के सवाना में म्यूजिक डायरेक्टर थे। पियरपॉन्ट की मौत से 3 साल पहले यानी 1890 तक यह क्रिसमस का हिट गीत बन गया था। रिलीज के दो साल बाद इसका शीर्षक बदल कर 'जिंगल बेल्स' कर दिया गया।
 
 
इस गाने में कहीं भी क्रिसमस का उल्लेख नहीं मिलता है लेकिन संयोगवश यह गाना क्रिसमस गाने के रूप में मशहूर हो गया। सैंटा क्लॉज और जिंगल बेल के बगैर अब क्रिसमस पर्व की कल्पना नहीं की जा सकती।
 

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