Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

क्रिसमस पर्व की 15 खास परंपराएं, जिनके बिना अधूरा है Christmas Festival

हमें फॉलो करें क्रिसमस पर्व की 15 खास परंपराएं, जिनके बिना अधूरा है Christmas Festival

अनिरुद्ध जोशी

, सोमवार, 20 दिसंबर 2021 (15:25 IST)
कहते हैं कि यीशु का जन्म 25 दिसंबर 6 ईसा पूर्व हुआ था। इसीलिए हर वर्ष 25 दिसंबर को जीसस क्राइस्ट के जन्म दिवस को क्रिसमस पर्व के रूप में मनाया जाता है। आओ जानते हैं इस त्योहार की 15 खास परंपराएं, जिनके बिना अधूरा है यह फेस्टिवल।
 
 
1. गोशाला : क्रिसमस के दिन चर्च में ईसा के जन्म की झांकी बनाई जाती है जिसमें गौशाला बनाकर उसमें बालक येशु को मदर मैरी के साथ दर्शाया जाता है।
 
2. क्रिसमस ट्री : सदाबहार क्रिसमस वृक्ष डगलस, बालसम या फर का पौधा होता है जिस पर सजावट की जाती है। क्रिसमस ट्री को रिबन, गिफ्ट, घंटी और लाइट्स लगाकर सजाया जाता है।
 
3. सैंटा क्लॉज : मान्यता अनुसार सैंटा क्रिसमस के दिन स्वर्ग से आकर बच्चों के लिए टॉफियां, चॉकलेट, फल, खिलौने व अन्य उपहार बांटकर वापस स्वर्ग में चले जाते हैं। सैंटा क्लॉज चौथी शताब्दी में मायरा के निकट एक शहर में जन्मे थे। उनका नाम निकोलस था। अब लोग उन्हीं के भेष में बच्चों को गिफ्ट देते हैं।
webdunia
4. गिफ्ट देना : परंपरा से अब सिर्फ सांता ही उपहार नहीं देते हैं बल्कि क्रिसमय पर लोग एक दूसरे को उपहार देते हैं। कई लोग सैंटा का भेष धारण करके बच्चों को टॉफियां, चॉकलेट, फल, खिलौने व अन्य उपहार बांटते हैं।
 
5. जिंगल बेल : गिरजाघरों में पारंपरिक तरीके से ईसा मसीह के लिए गाए जा रहे भक्ति गीत के अलावा ‘जिंगल बेल्स’, ‘ओह होली नाइट’ और ‘सैंटा क्लॉज इज कमिंग टु टाउन’ सरीखे गानों से भी माहौल खुशनुमा हो जाता है।
 
6. क्रिसमस कार्ड : कहते हैं कि सर्वप्रथम क्रिसमस कार्ड विलियम एंगले द्वारा सन्‌ 1842 में अपने दोस्तों को भेजा था। बाद में यह कार्ड महारानी विक्टोरिया को दिखाया गया। इससे खुश होकर उन्होंने अपने चित्रकार डोबसन को बुलाकर शाही क्रिसमस कार्ड बनवाने के लिए कहा और तब से क्रिसमस कार्ड की शुरुआत हो गई।
 
7. स्‍वादिष्‍ट पकवान : कई पश्चिम देशों में स्‍मोक्‍ड टर्की, फ्रुअ केक, विगिल्‍ला, जेली पुडिंग, टुररॉन आदि को बनाना पसंद किया जाता है। भारत में भी कई तरह के स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं। क्रिसमस पर हर देश में अलग परम्‍परागत भोजन भी बनता है। कुछ लोग दूध और कुकीज के रुप में सैंटा के लिये भोजन रखते हैं।
 
8. क्रिसमय पुडिंग : पुडिंग बनाने की परंपरा 1970 में प्रारंभ हुई। यह आलू बुखारे से दलिया जैसा व्यंजन बनाया जाता है। बाद में मांस, शराब और रोटी मिलाकर पुडिंग बनाने की परंपरा प्रारंभ हुई।
 
9. रिंगिंग बेल्‍स : क्रिसमस के दिन घंटी को बजाने का भी रिवाज है जिसे रिंगिंग बेल कते हैं। यह बेल सदियों में सूर्य के लिए भी बजाई जाती है और खुशियों के लिए भी। मान्यता है कि घर को घंटियों से सजाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है।
 
10. प्रार्थना : इस दिन चर्च में विशेष तौर पर सामूहिक प्रार्थना भी की जाती है। इस दिन लोग चर्च जाते हैं और क्रिसमस कैरोल (धार्मिक गीत) गाते हैं। 
webdunia
11. मोजे लटकाना : संत निकोलस के काल में बच्चे मौजे लटका देते थे ताकि सैंटा उसमें टॉफियां या तोहफे रख सके। हलांकि आज भी कई जगहों पर यह किया जाता है ताकि सैंटा क्लॉज़ आ सकें और उनमें अपने उपहार डाल सकें।
 
12. नए वस्त्र : इस दिन लाल और हरे रंग का अत्यधिक उपयोग होता है क्योंकि लाल रंग जामुन का होता है और यह ईसा मसीह के खून का प्रतीक भी है। इसमें हरा रंग सदाबहार परंपरा का प्रतीक है।
 
13. पिकनिक : क्रिसमय की 10 दिन की छुट्टियों के दौरान लोग या तो अपने पैत्रक घर, नाना नानी या दादा दादी के घर जाकर क्रिसमय मनाते हैं। कुछ लोग समुद्र के तट पर जाकर क्रिसमस का आनंद लेते हैं।
 
14. मोमबत्तियां : क्रिसमय पर गिरजाघरों में जाकर लोग ईसा मसीह और मदर मैरी की मूर्ति के समक्ष मोमबत्तियां जलाकर अपनी खुशी का इजहार करते हैं। मान्यता है कि अलग-अलग रंगों की मोमबत्तियां जलाने से जीवन में खुशियां और सफलता आती हैं।
 
15. केक : ईसा मसीह के जन्मदिन पर खुशियां बांटने के लिए केक खाया जाता है और लोगों को बांटा जाता है।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

सफला एकादशी का व्रत कैसे करें, पढ़ें सरल पूजा विधि