वर्ष 2023 में गुड फ्राइडे 7 अप्रैल को मनाया जा रहा है। यह दिन ईस्टर से ठीक पहले के शुक्रवार को पड़ता है, गुड फ्राइडे का दिन कलवारी पर यीशु की मृत्यु की याद दिलाता है। गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या ग्रेट फ्राइडे भी कहते हैं। अत: यह दिन इसलिए मनाया जाता है क्योंकि जिस दिन ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया उस दिन फ्राइडे था। आओ जानते हैं सूली दिए जाने के 9 रहस्य।
ईसाइयों की पवित्र पुस्तक बाइबिल- यूहन्ना- 18, 19 में इस घटना का विस्तार से विवरण मिलता है। हालांकि इससे इतर भी इस घटना का वर्णन मिलता है। यहां पर सभी का समायोजन किया गया है।
1. कहते हैं कि लोगों के बीच लोकप्रिय ईसा मसीह ने नबूवत का दावा किया था, जिसके चलते यहूदियों में रोष फैल गया था। उस दौरान नबूवत का दावा करने वाले और भी कई लोग थे। नबूवत का दावा करना अर्थात नबी, ईशदूत, प्रॉफेट या पैगंबर होने की घोषणा करना। कहते हैं कि यहूदियों के कट्टरपंथियों को ईसा मसीह द्वारा खुद को ईश्वर पुत्र बताना अच्छा नहीं लगा। उधर, रोमनों को हमेशा यहूदी क्रांति का डर सताता रहता था, क्योंकि उन्होंने यहूदी राज्य पर अपना शासन स्थापित कर रखा था। इसी कारण रोमनों के गवर्नर पितालुस ने यहूदियों की यह मांग स्वीकार कर ली की ईसा को क्रूस पर लटका दिया जाए।
2, एक थ्योरी यह भी कहती है कि ईसाया की बुक ओल्ड टेस्टामेंट के अनुसार कहते हैं कि येशु जब गधे के बच्चे पर बैठकर आते हैं येरुशलम में तो खजूर की डालियां उठाकर लोग उनका स्वागत किया जाता हैं, जो यह मान रहे थे कि यह बनी इस्राइल के तामाम दुश्मनों को हरा देगा। फिर यीशु जाते हैं टेम्पल मांउट के ऊपर और वे देखते हैं कि टेम्पल के जो आउटर कोटयार्ड है उसके अंदर रोमन टैक्स कलेक्टर बैठे हैं, मनी चेंजरर्स बैठे हैं और वहां पर हर तरह का करोबार हो रहा है। यह देखकर यीशु को बहुत दु:ख होता है कि टेम्पल (पवित्र मंदिर) में इस तरह का कार्य हो रहा है तो वह अपना कबरबंध निकालकर उससे उन लोगों को मार-मार कर उन्हें वहां से निकाल देते हैं। बाद में जब रोमनों के गवर्नर को यह पता चला तो वे इसकी सजा के तौर पर यीशु को सूली देने का ऐलान कर देते हैं। उल्लेखनीय है कि इसराइल एक यहूदी राज्य है और येरुशलम उसकी राजधानी जिस पर रोमनों ने उसी तरह कब्जा कर रखा था जिस तरह की अंग्रेजों ने अन्य कई देशों पर कर रखा था।
हालांकि हम नहीं जानते हैं कि सच क्या है। उक्त बातें प्रचलित मान्यताओं पर आधारित हैं। परंतु यह तो सिद्धि होता है कि ईसा मसीह से एक ओर जहां यहूदी खफा थे वहीं रोमन भी। हालांकि यहूदियों का सजा देने का अपना तरीका होता है और वह अपने शुत्र की सजा खुद ही देते थे। ज्यादातर वे सजा के तौर पर संगसार करते थे।
3. 29 ई. को प्रभु ईसा गधे पर चढ़कर येरुशलम पहुंचे और वहीं उनको दंडित करने का षड्यंत्र रचा गया। उनके शिष्य जुदास ने उनके साथ विश्वासघात किया। अंतत: उन्हें विरोधियों ने पकड़कर क्रूस पर लटका दिया। उस वक्त उनकी उम्र थी लगभग 33 वर्ष।
4. ईसा मसीह ने क्रूस पर लटकते समय ईश्वर से प्रार्थना की, 'हे प्रभु, क्रूस पर लटकाने वाले इन लोगों को क्षमा कर। वे नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं।'
5, कहते हैं कि ईसा मसीह सूली पर 6 घंटे लटके रहे और आखिरी के 3 घंटे के दौरान संपूर्ण राज्य में अंधेरा हो गया था। गुड फ्राइडे की प्रार्थना दोपहर 12 से 3 के मध्य इसलिए की जाती है क्योंकि इसी दौरान यीशु को क्रॉस पर चढ़ाया गया था। प्रभु यीशु ने मानव सेवा प्रारंभ करने से पूर्व 40 दिन व्रत किया था इसीलिए गुड फ्राइडे के 40 दिन पहले से ही क्रिश्चियन लोग उपवास शुरू कर देते हैं। गुड फ्राइडे के दिन ईसा के अंतिम 7 वाक्यों की विशेष व्याख्या की जाती है, जो क्षमा, मेल-मिलाप, सहायता और त्याग पर केंद्रित होती है।
र दी थी सूली : ईसा मसीह जिस जगह पर सूली चढ़ाया गया था उस स्थान को गोलगोथा नाम से जाना जाता है। यह जगह इसराइल की राजधानी यरुशलम में ईसाई क्षेत्र में है। इसे ही हिल ऑफ़ द केलवेरी कहा जाता है। इस स्थान पर चर्च ऑफ फ्लेजिलेशन है। होली स्कल्प्चर से चर्च ऑफ फ्लेजिलेशन तक के मार्ग को दुख या पीड़ा का मार्ग माना जाता है। यात्रा के दौरान 9 ऐतिहासिक और पवित्र स्थल हैं। चर्च ऑफ फ्लेजिलेशन को वह स्थान माना जाता है, जहां सार्वजनिक रूप से यीशु की निंदा हुई और उन्हें गोलगोथा की पहाड़ी पर क्रॉस पर चढ़ा दिया गया।
7. यहूदियों के दबाव के चलते पिलातुस ने यीशु को कोड़े लगवाए। सिपाहियों कंटीली टहनियों को मोड़ कर एक मुकुट बनाया और उसके सिर पर रख दिया। फिर उन्हें एक बड़ा सा क्रूस दिया गया जिसे लेकर उन्हें उस स्थान पर जाना था जहां सूली दी जाती है। इसे गुलगुता (खोपड़ी का स्थान) कहा जाता था। संपूर्ण रास्ते में उन्हें कोड़े मारे गए और अंत में वे वहां पहुंचे और सभी के सामने दो लोगों के साथ सूली पर लटका दिया। यीशु के क्रूस के पास उसकी मां, मौसी क्लोपास की पत्नी मरियम, और मरियम मगदलिनी खड़ी थी।
8. ईसा मसीह को सूली पर से उतारने के बाद उनका एक अनुयायी शव को ले गया और उसने शव को एक गुफा में रख दिया गया था। उस गुफा के आगे एक पत्थर लगा दिया गया था। वह गुफा और पत्थर आज भी मौजूद है। इसे खाली कब्र कहा जाता है। बाद में उनके शव को विधिवत रूप से दूसरी ओर दफनाया गया।
9. यरुशलम के प्राचीन शहर की दीवारों से सटा एक प्राचीन पवित्र चर्च है जिसके बारे में मान्यता है कि यहीं पर प्रभु यीशु पुन: जी उठे थे। जिस जगह पर ईसा मसीह फिर से जिंदा होकर देखा गए थे उसी जगह पर यह चर्च बना है। इस चर्च का नाम है- चर्च ऑफ द होली स्कल्प्चर। स्कल्प्चर के भीतर ही ईसा मसीह को दफनाया गया था। माना यह भी जाता है कि यही ईसा के अंतिम भोज का स्थल है।
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