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जन्मदिवस का एक प्रसंग

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चाचा नेहरू
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किस्सा 1962 का है। तब चीन ने भारत पर एकाएक हमला कर दिया था, जिसमें हमारे देश को काफी हानि उठानी पड़ी थी। उस युद्ध के बाद ही 14 नवंबर को पं. जवाहरलाल नेहरू का 73वाँ जन्मदिवस पड़ा। पंजाब की जनता ने प्रधानमंत्री सुरक्षा कोष में योगदान देने के लिए नेहरूजी के जन्मदिवस के शुभ अवसर पर उन्हें सोने से तौलने का निर्णय किया।
दो गुना सोना लेने पर भी एकत्रित सोने का काफी भाग बचा रह गया। बचे हुए सोने को देखकर नेहरूजी ने बड़ी भोली मुखमुद्रा बनाते हुए कहा, 'क्या ये बचा हुआ सोना वापस ले जाओगे?'
चाचा नेहरू


यह तय किया गया कि नेहरूजी के वजन से दो गुना सोना चीन के आक्रमण से उत्पन्न संकटकालीन स्थिति में मदद के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षा कोष में दिया जाए। नेहरूजी कार्यक्रम स्थल पर पहुँचे। उनका वजन किया गया।

एकत्रित सोने में से उनके वजन के दो गुने के बराबर सोना तौला गया। दो गुना सोना लेने पर भी एकत्रित सोने का काफी भाग बचा रह गया। बचे हुए सोने को देखकर नेहरूजी ने बड़ी भोली मुखमुद्रा बनाते हुए कहा, 'क्या ये बचा हुआ सोना वापस ले जाओगे?'

नेहरूजी के मासूमियत भरे शब्दों से सर्वत्र हँसी का वातावरण छा गया और बचा हुआ सोना भी प्रधानमंत्री सुरक्षा कोष में दे दिया गया।

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