बिलासपुर में कई उम्‍मीदवार चौथी और पांचवीं बार जीत की होड़ में शामिल

Webdunia
बुधवार, 28 नवंबर 2018 (16:43 IST)
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के हाल में संपन्न चुनाव में बिलासपुर जिले में प्रमुख प्रतिद्वंद्वी दलों कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के कई उम्मीदवार हैट्रिक के साथ ही चौथी और पांचवीं बार जीत की होड़ में शामिल हैं। ऐसे उम्मीदवारों में कोटा विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक एवं छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी प्रमुख हैं।


कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में कोटा सीट से जीत की हैट्रिक बना चुकीं श्रीमती जोगी ने इस बार जोगी की नवगठित पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ से चौथी बार जीत का लक्ष्य साध रखा है। वर्तमान में बिलासपुर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे राज्य के नगरीय प्रशासन मंत्री अमर अग्रवाल यहां से चार बार जीत चुके हैं और अब पांचवीं पारी में भी नाबाद रहने का ताल ठोके हुए हैं।

अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित जिले की मरवाही सीट अजीत जोगी का गढ़ होने की वजह से हाईप्रोफाइल सीटों में से एक मानी जाती है। जोगी कांग्रेस के टिकट पर यहां से दो बार चुनाव जीत चुके हैं और इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं कि 2013 के चुनाव में वे हैट्रिक क्लब में शामिल हो सकते थे, लेकिन उस दौरान कांग्रेस ने उन्हें चुनाव लड़वाने की बजाय समूचे राज्य में चुनाव प्रचार की महती जिम्मेदारी सौंप दी।

लिहाजा मरवाही से उनके पुत्र अमित जोगी ने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। अजीत जोगी की चुनावी जीत की हैट्रिक के आकांक्षी उनके समर्थकों को इस बात का संतोष रहा कि छोटे जोगी ही सही। अविभाजित बिलासपुर जिले की लोरमी, जो कि अब मुंगेली जिले के अंतर्गत आती इस सीट से धर्मजीत सिंह ने 1998 , 2003 और 2008 के विधानसभा चुनाव में हैट्रिक बनाई थी, लेकिन वे 2013 में चुनाव हार गए।

जोगी के करीबी एवं पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष रहे सिंह ने इस दफा जकांछ की ओर से चुनाव लड़ा है। बिलासपुर जिले में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित एकमात्र सीट मस्तूरी से भाजपा के डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी ने 2003 और 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के मदन सिंह डहरिया को हराया था, लेकिन 2013 में उन्हें कांग्रेस के दिलीप लहरिया से हार का सामना करना पड़ा और वे हैट्रिक बनाने से चूक गए।

पिछले चुनाव के दोनों प्रतिद्वंद्वी मौजूदा चुनाव में भी एक-दूसरे के सामने हैं। चुनावी जीत की हैट्रिक बनाने वालों में भाजपा के बद्रीधर दीवान का नाम भी शामिल है। दीवान ने 2003 के चुनाव में सीपत सीट से कांग्रेस के रमेश कौशिक को हराया था। परिसीमन के बाद सीपत सीट बेलतरा में मर्ज हो गई और 2008 के चुनाव में दीवान ने कांग्रेस के भुवनेश्वर यादव को शिकस्त दी और 2013 में भी यही पुनरावृत्ति हुई।

अविभाजित मध्यप्रदेश में शामिल रहने के दौरान बिलासपुर जिले की विधानसभा सीटों के चुनाव के रिकॉर्डों के मुताबिक हैट्रिक से आगे और अधिक बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड कांग्रेस के ही खाते में दर्ज रहा। बिलासपुर सीट से बीआर यादव (कांग्रेस) ने लगातार 1977, 1980, 1985, मस्तूरी सीट से बंशीलाल धृतलहरे (कांग्रेस) ने 1977, 1980, 1985 और मरवाही सीट से भंवर सिंह पोर्ते (कांग्रेस) ने 1972, 1977 तथा 1980 में चुनावी जीत की हैट्रिक बनाई थी।

पोर्ते ने 1990 में भाजपा के टिकट से भी चुनाव जीता था। हैट्रिक से आगे बढ़ते हुए कांग्रेस के मथुरा प्रसाद दुबे ने 1967, 1972, 1977 और 1980 में कोटा सीट से लगातार चार बार चुनाव जीता था। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष रहे राजेंद्र प्रसाद शुक्ल 1985, 1990, 1993, 1998 और 2003 में कोटा सीट से ही पांच बार विजयी हुए थे।

इसी प्रकार अविभाजित मध्यप्रदेश में उच्च शिक्षामंत्री रहे चित्रकांत जायसवाल ने बिल्हा सीट से कांग्रेसी उम्मीदवार के रूप में 1962, 1967, 1972, 1977, 1980 और 1985 में लगातार सर्वाधिक छह बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड बनाया था। भाजपा की ओर से मनहरण लाल पांडेय (तखतपुर) ने 1985, 1990, 1993 तथा पुन्नूलाल मोहले (मुंगेली) ने 1985, 1990 और 1993 में चुनावी जीत की हैट्रिक बनाई जबकि अमर अग्रवाल (बिलासपुर) ने 1998, 2003, 2008 और 2013 में लगातार चार दफा चुनाव जीता।

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