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जब देश में एक जाति 'गरीब' तो खुद को OBC क्यों कहते हैं मोदी, राहुल का PM से सवाल

हमें फॉलो करें जब देश में एक जाति 'गरीब' तो खुद को OBC क्यों कहते हैं मोदी, राहुल का PM से सवाल
जगदलपुर , शनिवार, 4 नवंबर 2023 (15:51 IST)
Rahul Gandhi in Chhattisgarh : कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सवाल किया है कि यदि वह कहते हैं कि देश में सिर्फ एक ही जाति 'गरीब' है तब वह खुद को बार-बार ‘ओबीसी’ क्यों कहते हैं? गांधी ने शनिवार को बस्तर जिले के जगदलपुर जिला मुख्यालय में चुनावी रैली को संबोधित करते कहा कि भाजपा के नेता आदिवासियों को वनवासी इसलिए कहते हैं क्योंकि वह आदिवासियों को दिखाना चाहते हैं उनकी जगह कहां होनी चाहिए।
 
कांग्रेस नेता ने आदिवासी बाहुल्य बस्तर जिले में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि आज अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने कहा की हिंदुस्तान में एक ही जाति है। वह हिंदुस्तान का गरीब है। वह कह रहे हैं कि इस देश में ना दलित है, ना आदिवासी है और ना पिछड़े हैं। हम सब जानते हैं कि इस देश में आदिवासी हैं, आदिवासी भाषाएं हैं, आदिवासी संस्कृति हैं और आदिवासी इतिहास है।
 
दलितों का अपमान : उन्होंने कहा कि यहां दलित हैं, दलितों के साथ अपमान किया जाता है, उन्हें हर रोज तंग किया जाता है। पिछड़ों को जो हक मिलना चाहिए वह नहीं मिलता। लेकिन हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री कहते हैं कि हिंदुस्तान में सिर्फ एक जाति है, वह गरीब है। यदि एक ही जाति है तो फिर आप अपने आप को ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) क्यों कहते रहते हैं। हर भाषण में क्यों कहते हैं कि मैं ओबीसी हूं।
 
प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को दुर्ग जिले में आयोजित चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि उनके लिए देश में सबसे बड़ी जाति 'गरीब' है और वह उनके 'सेवक' हैं। विरोधी राजनीतिक दल गरीबों को बांटने और जातिवाद का जहर फैलाने के लिए नई-नई साजिशें रच रहे हैं।
 
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा था कि कांग्रेस ने ओबीसी प्रधानमंत्री को गाली दी। कांग्रेस ओबीसी समुदाय को गाली क्यों देती है? यह 'साहू' (छत्तीसगढ़ में एक प्रभावशाली ओबीसी समुदाय) को चोर क्यों कहते हैं। गांधी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा के नेता आदिवासियों को वनवासी कहते हैं।
 
वनवासी और आदिवासी में फर्क : उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी जी ने आरएसएस के लोगों ने और भाजपा नेताओं ने आदिवासियों के लिए नया शब्द निकाला है, वनवासी। आदिवासी और वनवासी शब्द में बहुत बड़ा फर्क है...आदिवासी का मतलब है कि जो इस देश के पहले असली मालिक हैं। आदिवासी का मतलब होता है देश का जल, जंगल और जमीन एक दिन आपका हुआ करता था... भाजपा इस शब्द का प्रयोग नहीं करना चाहती है क्योंकि यदि भाजपा इस शब्द का प्रयोग करेगी को उसे आपके जल, जंगल, जमीन आपको वापस देनी होगी।
 
मप्र के पेशाबकांड का जिक्र : गांधी ने मध्यप्रदेश में एक भाजपा नेता द्वारा कथित तौर पर एक आदिवासी व्यक्ति पर पेशाब करने की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ समय पहले भाजपा के मध्य प्रदेश के एक नेता ने एक आदिवासी युवक के ऊपर पेशाब किया था....बाद में उस वीडियो को उसने वायरल कर दिया। अब आप सोचिए उनकी विचारधारा के बारे में...वे आदिवासियों को यह दिखाना चाहते हैं कि उनकी जगह कहां होनी चाहिए। इसलिए उन्होंने आपके लिए वनवासी शब्द निकाला है। ये सोचते हैं कि आपकी जगह जंगल में है, जहां जानवर रहते हैं। वैसी ही आपकी जगह होनी चाहिए।
 
कांग्रेस नेता ने सवाल किया कि क्या उन्होंने कभी किसी भाजपा के नेता को किसी जानवर के ऊपर पेशाब करते हुए देखा है, लेकिन आपने उन्हें आदिवासियों पर पेशाब करते हुए देखा है। गांधी ने कहा कि पहले मोदी जी अपने भाषणों में वनवासी शब्द का इस्तेमाल करते थे, लेकिन अब इस शब्द से परहेज करते हैं। उन्होंने अपने शब्द तो बदल लिए हैं लेकिन अपनी सोच नहीं बदल सकते। उनकी सोच अब भी आदिवासियों का अपमान करने की है।
 
अडाणी जी आपकी जमीन छीन लेते हैं : उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि मोदी जी क्या करते हैं? वह कहते हैं अपनी जमीन अडाणी जी को दे दो? अडाणी जी आपकी जमीन छीन लेते हैं और जब आप विरोध करते हैं तो भाजपा सरकार आप पर गोलियां चलवाती है। अडाणी जी आपकी जमीन और खदानों पर कब्जा कर लेते हैं।
 
गांधी ने कहा कि क्या वह पैसा छत्तीसगढ़ या बस्तर के गांवों तक पहुंचता है? पैसा अमेरिका जाता है, विदेश चला जाता है। उस पैसे से अडाणी जी को फायदा मिलता है। भाजपा नेताओं को यह (पैसा) मिलता है। और पैसे का इस्तेमाल चुनाव के लिए किया जाता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी किसानों, मजदूरों और आदिवासियों को पैसा देती है, जिससे गांव के लोगों को फायदा होता है।
 
छत्तीसगढ़ में हो रहे विधानसभा चुनाव में सात और 17 नवंबर को दो चरणों में मतदान होगा। पहले चरण में 20 सीटों में तथा दूसरे चरण में 70 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। बस्तर क्षेत्र के विधानसभा सीटों के लिए पहले चरण में सात नवंबर को मतदान होगा। (भाषा)

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