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Chhath Puja 2025: छठ पूजा पर कब है सूर्यास्त का समय, कैसे दें सूर्य को सांध्य अर्घ्‍य और कब करें पारण, जानिए

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WD Feature Desk

, शनिवार, 25 अक्टूबर 2025 (12:28 IST)
Chhathi maiya ke pati kaun hai: 27 अक्टूबर 2025 सोमवार के दिन छठ पूजा होगी। दिलचस्प बात यह है कि यह उन कुछ सौर पर्वों में से एक है जो सूर्योदय के बजाय सूर्यास्त से शुरू होता है और इसमें डूबते सूर्य की पूजा होती है। इसी के साथ इस दिन षष्ठी की देवी छठ मैया की पूजा भी होती है। यह पवित्र पर्व विशेष रूप से बिहार, झारखंड और उत्तरप्रदेश में सूर्य देव के साथ-साथ छठी मैया की आराधना के रूप में मनाया जाता है। लोककथा और लोक मान्यताओं अनुसार दिन व्रत रखने और आराधना से आरोग्यता, वैभव और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
 
दिल्ली टाइम के अनुसार 27 अक्टूबर 2025 छठ पूजा का समय:
सूर्योदय समय: छठ पूजा के दिन सूर्य उदय सुबह 06:30 बजे होगा।
सूर्यास्त समय: छठ पूजा के दिन सूर्या अस्त शाम 05:40 बजे होगा। 
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छठ पूजा पर षष्ठी तिथि का प्रारंभ और समापन समय:
षष्ठी तिथि प्रारम्भ- 27 अक्टूबर 2025 को सुबह 06:04 बजे से।
षष्ठी तिथि समाप्त- 28 अक्टूबर 2025 को सुबह 07:59 बजे तक।
 
छठ पूजा के दिन के शुभ मुहूर्त:
ब्रह्म मुहूर्त: प्रात: 04:47 से 05:38 तक।
प्रातः सन्ध्या पूजा: प्रात: 05:13 से 06:30 तक।
अभिजीत मुहूर्त: दिन में 11:42 से दोपहर 12:27 तक।
गोधूलि मुहूर्त: शाम को 05:40 से 06:06 तक।
सायाह्न सन्ध्या पूजा: शाम को 05:40 से 06:57 तक।
छठ पूजा वाले दिन कैसे दें सूर्य को सांध्य अर्घ्‍य: 
अर्घ्य देने की सामग्री: तांबे का लौटा, पीला वस्त्र, बांस का सूप या टोकरी, गन्ना (ईख), पीला कपड़ा, फल, फूल, केला, ठेकुआ, चावल के लड्डू, दीपक, कच्चा दूध, हल्दी, कंकू आदि पूजन सामग्री।
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संध्या अर्घ्य:- 
  • संध्या षष्ठी को अर्घ्य अर्थात संध्या के समय सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है और विधिवत पूजन किया जाता है।
  • एक बांस के सूप या टोकरी में ठेकुआ, चावल के लड्डू, केला एवं अन्य फल, अलोना प्रसाद, ईख आदि रखकर उसे पीले वस्त्र से ढक दें। 
  • तत्पश्चात दीप जलाकर सूप में रखें और सूप को दोनों हाथों में लेकर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए तीन बार अस्त होते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
  • अर्घ्‍य ने लिए तांबे के लोटे में जल लेकर जल को सूर्य के समक्ष अर्पित करते हैं।
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ॐ एहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पया मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकर:॥
 
  • इसी दौरान सूर्य को जल एवं दूध चढ़ाकर प्रसाद भरे सूप से छठी मैया की पूजा भी की जाती है।
  • सुबह के समय उषा और शाम के समय सूर्य अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं। इसीलिए प्रत्यूषा को अर्घ्य देने का लाभ मिलता है। 
  • कहते हैं कि शाम के समय सूर्य की आराधना से जीवन में संपन्नता आती है।
  • बाद में रात्रि को छठी माता के गीत गाए जाते हैं और व्रत कथा सुनी जाती है।
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उषा अर्घ्य:-
  • सप्तमी अर्थात अंतिम दिन सूर्य को वरुण वेला में अर्घ्य दिया जाता है। यह अर्घ्य सूर्य की पत्नी उषा को दिया जाता है।
  • इससे सभी तरह की मनोकामना पूर्ण होती है। 
  • षष्ठी के दूसरे दिन सप्तमी को उषाकाल में सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है जिसे पारण कहते हैं। 
  • उषाकाल का अर्घ्य देकर 36 घंटे के व्रत का पारण यानी परायण किया जाएगा। पारण यानी व्रत को खोला जाएगा।
  • उषा अर्घ्य अर्थात इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंचकर उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। 
  • पूजा के बाद व्रति कच्चे दूध का शरबत पीकर और थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत को पूरा करती हैं, जिसे पारण या परना कहा जाता है। 
  • यह छठ पर्व का समापन दिन होता है।
  • प्रात:काल रक्त चंदनादि से युक्त लाल पुष्प, चावल आदि ताम्रमय पात्र (तांबे के पात्र में) जल भरकर प्रसन्न मन से सूर्य मंत्र का जाप करते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर पुष्पांजलि देनी चाहिए।
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छठ पूजा 2025 उषा अर्घ्‍य काल का समय:
सूर्योदय: उषा अर्घ्य के दिन 28 अक्टूबर को सूर्योदय का समय सुबह 06 बजकर 30 सुबह मिनट पर। इस समय सूर्य को अर्घ्‍य अर्पित करके पूजा करें।
छठ पूजा 2025 पारण का समय : सूर्य को अर्घ्य देने के बाद करें पारण।
पारण में क्या खाएं: इसके बाद छठ का प्रसाद, जैसे ठेकुआ और केला खाकर व्रत का पारण करें। 
 
छठ पूजा 2025 के बाद कैसे खोलें व्रत: 27 अक्टूबर को पूरा दिन निराहार और निर्जल रहकर शाम को पुनः नदी या तालाब पर जाकर स्नान किया जाता है और डूबते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। अगले दिन यानी 28 अक्टूबर 2025 को उषा अर्घ्य अर्थात इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंचकर उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। पूजा के बाद व्रती कच्चे दूध का शरबत पीकर और थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत को पूरा करती हैं, जिसे पारण या परना कहा जाता है। यह छठ पर्व का समापन दिन होता है।
 
1. सूर्योदय से पूर्व ही शैया त्याग कर शुद्ध, पवित्र स्नान से निवृत्त हों।
2. स्नानोपरांत श्री सूर्यनारायण को तीन बार अर्घ्य देकर प्रणाम करें।
3. नित्य संध्या के समय पर अर्घ्य देकर प्रणाम करें।
4. सूर्य के मंत्रों का जाप श्रद्धापूर्वक करें।
5. आदित्य हृदय का नियमित पाठ करें।
6. रविवार को तेल, नमक नहीं खाना चाहिए तथा एक समय ही भोजन करें।
7. स्वास्थ्य लाभ की कामना, नेत्र रोग से बचने एवं अंधेपन से रक्षा के लिए 'नेत्रोपनिषद्' का प्रतिदिन पाठ करना चाहिए।
8. इस अर्घ्यदान से भगवान सूर्य प्रसन्न होकर आयु, आरोग्य, धन, धान्य, पुत्र, मित्र, कलत्र, तेज, वीर्य, यश, कान्ति, विद्या, वैभव और सौभाग्य को प्रदान करते हैं तथा सूर्य लोक की प्राप्ति होती है।
 

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