भारत के पहले मानवरहित चंद्रयान-प्रथम से मून इंपैक्ट प्रोव के चंद्रमा की धतरी पर उतरकर भारतीय राष्ट्रध्वज स्थापित करने के साथ ही चंद्रमा पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वाला भारत चौथा देश बन गया है।
अमेरिका पूर्ववर्ती सोवियत संघ तथा यूरोपीय संघ की कतार में भारत को खड़ा करते हुए 35 किलोग्राम के मून इंपैक्ट प्रोब ने चंद्रमा की धतरी पर आठ बजकर 31 मिनट पर कदम रखा। इससे 25 मिनट पूर्व प्रोव का उपकरण उपग्रह पर उतरा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इसे शानदार ऑपरेशन करार दिया है।
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन और बाल दिवस के मौके पर चंद्रयान ने भारतीय राष्ट्रध्वज के प्रारूप को चंद्रमा की धरती पर स्थापित किया।
इसरो के एक अधिकारी ने कहा इससे चंद्रमा पर भारत के प्रवेश का महत्व रेखांकित हुआ है। एमआईपी चंद्रयान-प्रथम पर लगे उन 11 वैज्ञानिक उपकरणों में एक है, जिसे पिछले 22 अक्टूबर को श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष स्टेशन से प्रक्षेपित किया गया था।
इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र तिरुवनंतपुरम द्वारा विकसित एमआईपी का बुनियादी उद्देश्य निश्चित स्थान पर प्रोव को उतार कर प्रौद्योगिकी क्षमता का परिचय देना है।
प्रोव से भविष्य में इसी तरह के अन्य मिशन के लिए जरूरी कुछ प्रौद्योगिकी के परीक्षण में मदद मिलेगी। इसके अलावा एमआईपी से चंद्रमा के काफी करीब से वैज्ञानिक खोज में मदद मिलेगी।
चंद्रमा की धरती पर 20 मिनट के ठहराव के दौरान एमआईपी ने चित्र खींचे और उसे वापस भेजा। इस संबंध में पहले चित्र शनिवार तक जारी होने की उम्मीद है।
इसरो के अधिकारी ने बताया चंद्रयान-प्रथम से अलग हुआ मून इंपैक्ट प्रोव योजना का कार्य योजना के अनुरूप हुआ। इसरो के अध्यक्ष जी. माधवन नायर ने बेंगलुरु में बताया चंद्र अभियान हमारे लिए काफी सकारात्मक रहा। हमने चंद्रमा के चारो ओर चक्कर लगाया। हमने भारत को चाँद लाकर दिया है।
चंद्रमा की धरती पर कदम रखने वाला पहला देश अमेरिका था, जबकि एमआईपी का चाँद पर उतरना पिछले 32 वर्षों में पहली घटना है।