चंद्रयान का एक और उपकरण सक्रिय
हर सेकंड चंद्र सतह के दस माप ले सकेगा
चंद्रयान-प्रथम के साथ गए 11 वैज्ञानिक उपकरणों में से एक महत्वपूर्ण उपकरण लूनर लेजर रेंजिंग इंस्ट्रमेंट (एलएलआरआई) रविवार को सफलतापूर्वक काम करने लगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार चंद्रयान के चंद्रमा के उत्तरी भाग दृश्यमान अर्धवृत्त को पार करते समय इस उपकरण ने काम करना शुरू किया। इसरो वैज्ञानिकों के अनुसार एलएलआरआई के भेजे गए डाटा के शुरुआती आकलन से पता चलता है कि उपकरण सामान्य तरीके से काम कर रहा है।
एलएलआरआई ने इन्फ्रारेड लेजर लाइट के उतार-चढ़ाव को चंद्र सतह की पट्टी की तरफ भेजा और उस रोशनी के प्रतिविंबित हिस्से का पता लगाया। इसके साथ ही उपकरण चंद्र सतह की संरचना को बहुत सटीक तरीके से माप रहा है। एलएलआरआई लगातार काम करता रहेगा और चौबीसों घंटे प्रत्येक सेंकड चंद्र सतह के 10 माप ले सकेगा।
वह चंद्रमा के ध्रुवीय और विषुवतीय क्षेत्र की स्थल आकृति के विवरण उपलब्ध कराएगा। इसके द्वारा भेजे गए डाटा से चंद्रमा की आंतरिक संरचना को समझने के साथ ही खगोलीय पिंड के रूप में उसके विकास के बारे में जानने में भी मदद मिलेगी।
उल्लेखनीय है इससे पहले चंद्रयान के साथ भेजे गए तीन अन्य पेलोड टेरियन मैपिंग कैमरा (टीएमसी) रेडिएशन डोज मॉनीटर (आरएडीओएम) और मून इम्पैक्ट प्रोब (एमआईपी) सफलतापूर्वक चालू किए जा चुके हैं। एमआईपी अपने साथ भारतीय तिरंगा भी ले गया था और 14 नवंबर को इसे चंद्रयान से छोड़ा गया था, जो निर्धारित 25 मिनट बाद चंद्र सतह पर पहुँच गया।
चंद्रयान जब अपने गंतव्य की ओर जा रहा था तब टीएमसी ने पृथ्वी और चद्रमा की तस्वीरें ली थीं। चंद्र कक्षा में पहुँचने पर टीएमसी ने चंद्रमा के विहंगम चित्र लिए थे। आरएडीओएम भी चंद्रयान के पृथ्वी की कक्षा में ही रहने के दौरान चालू किया गया था। चंद्रयान से भेजे गए चित्र और वैज्ञानिक डाटा बयालालू स्थित भारतीय गहन अंतरिक्ष नेटवर्क में प्राप्त किए जा रहे हैं।
इसरो के टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क के बेंगलुरु स्थित सेटेलाइट कंट्रोल सेंटर से चंद्रयान अभियान संचालित किया जा रहा है।