इन ग्रहों के कारण भगवान श्रीराम को नहीं मिला था राजसुख

Webdunia
* शनि-मंगल ने दिया था भगवान श्रीराम को राजभंग का योग
 
गोस्वामी तुलसीदास के रामचरित मानस के अनुसार चैत्र शुक्ल की नवमी तिथि तथा पुनर्वसु नक्षत्र के चतुर्थ चरण एवं कर्क लग्न में भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। 
 
गुरु और चन्द्र लग्न में हैं। 5 ग्रह- शनि, मंगल, गुरु, शुक्र तथा सूर्य अपनी-अपनी उच्च राशि में स्थित हैं। गुरु कर्क राशि में उच्च का होता है। गुरु लग्न में चन्द्र के साथ स्थित है जिससे प्रबल कीर्ति देने वाला गजकेसरी योग बनता है। लेकिन शनि चतुर्थ भाव में अपनी उच्च राशि तुला में स्थित होकर लग्न को पूर्ण दृष्टि से देख रहा है।
 
मंगल सप्तम भाव में अपनी उच्च राशि मकर में स्थित होकर लग्न को पूर्ण दृष्टि से देख रहा है। इस कुंडली में दो सौम्य ग्रहों- गुरु एवं चन्द्र को दो पाप ग्रह शनि एवं मंगल अपनी-अपनी उच्च राशि में स्थित होकर देख रहे हैं। ऐसी स्थिति में प्रबल राजभंग योग बनता है। फलस्वरूप श्रीराम के राज्याभिषेक से लेकर जीवनपर्यंत सभी कार्यों में बाधाएं पैदा होती रहीं। जिस समय श्रीराम का राज्याभिषेक होने जा रहा था, उस समय शनि महादशा में मंगल का अंतर चल रहा था। 
 
इस तरह शनि एवं मंगल ने श्रीराम को अनेक संघर्षों के लिए विवश किया। श्रीरामजी मंगली थे। सप्तम (पत्नी) भाव में मंगल है। राहु अगर 3, 6 या 11वें भाव में स्थित हो तो अरिष्टों का शमन करता है। इन ग्रह स्थितियों के प्रभाववश श्रीराम को दांपत्य, मातृ, पितृ एवं भौतिक सुखों की प्राप्ति नहीं हो सकी। यद्यपि दशम भाव में उच्च राशि मेष में स्थित सूर्य ने श्रीराम को एक ऐसे सुयोग्य शासक के रूप में प्रतिष्ठित किया कि उनके अच्छे शासनकाल रामराज्य की आज भी दुहाई दी जाती है।
 
श्रीराम की कुंडली का विवेचन करने से यह तो पता चला कि किन-किन ग्रहों के कारण उनको भौतिक सुखों की प्राप्ति नहीं हुई। लेकिन हमें स्मरण रखना चाहिए कि श्रीराम ने त्याग और संघर्ष जैसे कष्टमय मार्ग पर चलकर स्वयं को 'मर्यादा पुरुषोत्तम' के स्वरूप में प्रस्तुत किया। सत्य के मार्ग पर हमेशा चलते रहे, अनेक कष्ट सहे मगर फिर भी लोक कल्याण के लक्ष्य से डिगे नहीं, हरदम आगे बढ़ते रहे। इसका कारण लग्न में गुरु एवं चन्द्र की युति का होना है। 
 
पंचम (विद्या) एवं नवम् (भाग्य) भाव पर गुरु की दृष्टि का प्रभाव यह रहा कि उन्होंने धर्म का पालन करने को ही अपने जीवन का एकमात्र उद्देश्य माना। श्रीराम के चरित्र से हम जितना भी सीख सकें, कम ही होगा। धर्म के पथ से वे कभी हटे नहीं।
 
- गंभीर श्रीवास्तव

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

Dev uthani ekadashi 2024: देव उठनी एकादशी पर इस बार जानिए पितृदोष से मुक्ति के 5 अचूक उपाय

Tulsi vivah 2024: तुलसी विवाह पूजा की विधि स्टेप बाय स्टेप में, 25 काम की बातें भी जानिए

शुक्र के धनु राशि में गोचर से 4 राशियों को होगा जबरदस्त फायदा

Tulsi vivah Muhurt: देव उठनी एकादशी पर तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त क्या है, जानें विधि और मंत्र

Kartik Purnima 2024: कार्तिक पूर्णिमा पर क्यों करते हैं दीपदान, जानिए इसके 12 फायदे

सभी देखें

नवीनतम

Aaj Ka Rashifal: 09 नवंबर 2024 : क्या लाया है आज का दिन आपके लिए, पढ़ें दैनिक राशिफल

09 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

09 नवंबर 2024, शनिवार के शुभ मुहूर्त

ज्योतिष की नजर में क्यों हैं 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

Akshay Amla Navami 2024: अक्षय नवमी कब है? जानें पौराणिक महत्व

अगला लेख
More