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वास्तु शास्त्र में करियर की राहें

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, शुक्रवार, 4 मई 2012 (15:40 IST)
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वास्तु शास्त्र भारतीय प्राचीन विद्या है। वेदों में वास्तु को स्थापत्य कला कहा गया है। इसमें किसी भी भवन निर्माण संबंधी नियमों का वर्णन मिलता है। वास्तु शास्त्र के द्वारा ऐसे भवन का निर्माण किया जाता है, जिससे उसमें निवास करने वाले व्यक्ति को प्रकृति की पोषणकारी शक्ति प्राप्त हो ताकि वह निरोगी रहते हुए बिना बाधा के सफलता प्राप्त कर सके। इसके अनुसार भवनों, मकानों का निर्माण किया जाता है।

वास्तु शास्त्र वर्तमान में एक अच्छे करियर विकल्प के रूप में उभर रहा है। आधुनिक युग के साथ इसने इंटीरियर डिजाइन का रूप ले लिया है। इसमें युवाओं के लिए काफी संभावनाएं बढ़ रही हैं। पिछले करीब एक दशक से वास्तु शास्‍त्रियों की मांग बढ़ने लगी है। बड़े कॉर्पोरेट्‍स हाउस, मल्टीप्लेक्स, मॉल, बड़े भवन आदि के निर्माणों में वास्तु शास्त्रियों की मदद ली जा रही है।

इससे इस क्षेत्र में भी युवाओं की करियर संभावनाएं बढ़ी हैं। वर्तमान में देश में वास्तु का पूर्ण ज्ञान रखने वाले वास्तु शास्त्रियों की कमी है। जो वास्तु शास्त्री हैं, उनके मार्गदर्शन से समृद्धि तो बढ़ रही है पर संस्कार विलुप्त हो रहे हैं। इसलिए आवश्यक है कि आज के युवा वास्तु का समग्र अध्ययन कर इस क्षेत्र में करियर बनाकर एक अच्छा वास्तु शास्त्री बनें।

उनके अनुसार वास्तु शास्त्र का यह तीन वर्षीय डिप्लोमा कोर्स किया जा सकता है जिसकी शैक्षणिक योग्यता 12वीं पास है। स्नातक में किसी भी विषय की पढ़ाई के साथ इस कोर्स को किया जा सकता है। प्रथम वर्ष में इसमें प्रमाण-पत्र दिया जाता है। दूसरे वर्ष में डिप्लोमा कोर्स होता है। तीसरे वर्ष में एडवांस ‍‍‍‍डिप्लोमा कोर्स होता है।

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