आर्किटेक्चर में बनाएं शानदार करियर

डॉ. संदीप भट्ट
architecture : आपने अक्सर किसी शहर या स्थान विशेष में वहां की किसी शानदार इमारत या किसी अन्य निर्माण को जरूर देखा होगा। इस तरह के खास निर्माण अपने अनोखेपन और भव्यता के कारण लोगों को आकर्षित करते हैं। लेकिन क्या इस तरह के निर्माण या इमारत को देखकर, कभी आपके मन में यह सवाल आया कि आखिर किसने इन्हें बनाया। 
 
अक्सर किसी भी शानदार निर्माण को देखते या उसके पास से गुजरते हुए स्वाभाविक तौर पर ही इस तरह के सवाल हमारे जेहन में आता हैं कि कौन है, आखिर कौन है जो इस तरह की इमारत और निर्माण कार्यों के खाके तैयार या डिजाइन तैयार कर उसे वास्तविकता में बदलते हैं। दरअसल इस तरह के निर्माण कार्यों के पीछे एक आर्किटेक्ट होता है। आर्किटेक्ट अकेले या एक टीम के साथ मिलकर किसी निर्माण कार्य को अंजाम देते हैं। 
 
जी हां हम बात कर रहे हैं आर्किटेक्चर की। एक आर्किटेक्ट ही होता है जो विशाल और भव्य इमारतों के डिजाइनिंग से लेकर निर्माण तक में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
 
* आधुनिक समय में कंस्ट्रक्शन के प्रोजेक्ट्स को पूरा करने का काम करते हैं आर्किटेक्ट।
 
* मेगा कंस्ट्रक्शन निर्माण कार्यों के पीछे आर्किटेक्ट की टीम्स काम करती हैं।
 
* विशाल और भव्य इमारतों के डिजाइनिंग से लेकर निर्माण तक में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं आर्किटेक्ट।
 
* करियर के लिहाज से बहुत खास और संभावनाओं से भरा हुआ फील्ड है आर्किटेक्चर।
 
आर्किटेक्ट वे पेशेवर प्रोफेशनल लोग होते हैं जो किसी इमारत या निर्माण आदि के लिए बेसिक डिजाइनिंग से लेकर उसे अंतिम रूप तैयार करने या करवाने का काम करते हैं। एक आर्किटेक्ट बहुत ही स्पेशल फील्ड है। यह एक शानदार क्रिएटिव फील्ड है जिसमें आप अपना करियर संवार सकते हैं। आर्किटेक्ट बनने के लिए इसका कोर्स किया जाता है जिसे आर्किटेक्चर कहा जाता है।

हमारे देश और दुनिया भर में पढ़ाई के लिए विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में आर्किटेक्चर के डिप्लोमा से लेकर बैचलर डिग्री, मास्टर्स और पीएचडी तक के कोर्स उपलब्ध हैं। तो अगर आप अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी करने की अंतिम वर्ष में हैं या कर चुके हैं तथा कुछ हटकर करियर बनाना चाहते हैं तो करियर के रूप में आर्किटेक्चर आपके लिए अच्छा और संभावनाओं से भरा हुआ विकल्प हो सकता है।
 
क्या करते हैं आर्किटेक्ट
 
एक आर्किटेक्ट का सबसे अहम और पहला काम होता है कि वह किसी भी निर्माण कार्य की संरचना की बारीकी को समझते हुए उसके लिए एक कार्ययोजना तैयार करे। प्लानिंग करते समय आर्किटेक्ट उस इमारत या निर्माण की बारीक से बारीक चीज के हर पहलू पर कई बार मंथन करते हैं। इसके बाद वह उसके लिए एक डिजाइन तैयार करता है। निर्माण की डिजाइन तैयार होने के बाद काम शुरू करवाकर उसे डिजाइन के अनुरूप ही पूरा किया जाता है। 
 
आज हम किसी भी विशाल निर्माण को देखते हैं तो वे अपने आप में बहुत विशिष्ट होते हैं। दुबई का बुर्ज खलीफा हो या फिर लंदन, पेरिस, मुंबई, टोक्यो या दूसरे बड़े महानगरों में स्थित कोई शॉपिंग मॉल, प्लाजा या कोई बिजनेस टावर हर इमारत का डिजाइन यूनिक होता है। इस तरह किसी भी बिल्डिंग को बनाने से पहले उसके मूल ढांचे पर काम करने से लेकर उसके निर्माण को पूरा करने का कार्य आर्किटेक्ट ही करते हैं। 
 
एक आर्किटेक्ट सही में बता सकता है कि बिल्डिंग का निर्माण गुणवत्ता और तकनीक से संपन्न किया जा सकता है और उसका अंतिम स्वरूप कैसे दिखेगा। दरअसल हम यह भी कह सकते हैं कि एक आर्किटेक्ट किसी निर्माण को बनने से पहले ही विजुलाइज कर लेता है। अपनी उस विजुलाइजेशन के आधार पर वो उसका प्लान बनाता है और प्लान के बनने के बाद उसका निर्माण का काम आगे बढ़ता है। आर्किटेक्चर से जुड़े लोग डिजाइनिंग और क्रिएटिव वर्क में बहुत माहिर होते हैं।
 
* आर्किटेक्ट में क्रिएटिव सेंस होना बहुत जरूरी।
 
* किसी प्लानिंग को विजुलाइज करने की कला जानना जरूरी।
 
* आर्किटेक्चर में भी होते हैं लैंडस्केप, रिसर्च और रीस्टोरेशन जैसे अलग-अलग स्पेशलाइजेशन के क्षेत्र।
 
आर्किटेक्चर के भी अलग-अलग स्पेशलाइजेशन के क्षेत्र हैं जैसे कि कोई लैंडस्केप का आर्किटेक्ट होता है तो कोई रीस्टोरेशन फील्ड का आर्किटेक्ट होता है। इसी तरह कोई आर्किटेक्ट रिसर्च के सेक्टर में काम करता है। आमतौर पर एक लैंडस्केप आर्किटेक्ट किसी बड़े निर्माण जैसे कि कॉलेज बिल्डिंग, मॉल, बिजनेस टॉवर्स, स्पोर्ट्स ग्राउंड आदि की डिजाइनिंग करते हैं।

जो आर्किटेक्ट रीस्टोरेशन के सेक्टर को चुनते हैं उनका काम ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण इमारतों का संरक्षण करने का होता है। वे इस तरह की इमारतों को खराब होने से बचाते हैं तथा खराब हो चुकी इमारतों को पुनर्स्थापित करने का काम होता है। इसके अलावा इन दिनों एनवायरमेंट के हिसाब से इमारतों की डिजाइनिंग करना भी आर्किटेक्चर में स्पेशलाइजेशन होता है।
 
कैसे बन सकते हैं एक आर्किटेक्ट
 
अगर आप आर्किटेक्ट बनना चाहते हैं तो इसके लिए आपको आर्किटेक्चर का कोर्स करना होता है। इस फील्ड से जुड़े हुए कोर्सेस के लिए आमतौर पर 12वीं कक्षा में गणित और विज्ञान विषयों के साथ उत्तीर्ण होना आवश्यक होता है। इसके बाद आप बैचलर ऑफ आर्किटेक्ट की डिग्री में एडमिशन ले सकते हैं।

हमारे देश के कई कॉलेज और यूनिवर्सिटीज में आर्किटेक्चर में बैचलर्स करने के लिए जेईई मेन्स और जेईई एडवांस्ड जैसी परीक्षाओं के अंक आवश्यक हैं। अगर यही कोर्स आप किसी विदेशी यूनिवर्सिटी से करना चाहते हैं तो कुछ यूनिवर्सिटीज में बैचलर और मास्टर्स कोर्स लिए जीआरई और अंग्रेजी भाषा की दक्षता की परीक्षाओं को करना आवश्यक माना जाता है।
 
इस तरह के कोर्स में एडमिशन लेने के बाद आपको निर्माण, डिजाइन, कॉस्ट मैनेजमेंट, एनवायरमेंट जैसे कई पेपर्स पढ़ाए जाते हैं। क्योंकि इन दिनों आर्किटेक्चर की दुनिया में कंप्यूटर का दखल बहुत बढ़ गया है इसलिए आजकल आर्किटेक्चर की पढ़ाई के दौरान आर्किटेक्ट को कंप्यूटर और डिजाइनिंग से संबंधित पेपर्स भी बनाए जाते हैं। एक बात जरूर ध्यान रखें कि आर्किटेक्चर की डिग्री करते समय किसी कंपनी में इंटर्नशिप जरूर करें।

इंटर्नशिप करने से आपको किसी आर्किटेक्ट के साथ क्लोज रहकर काम करने का अवसर मिलेगा। इससे आपको कस्टमर से जुड़ी शब्दावली और अन्य काम जैसे कि निर्माण की कॉस्ट ऐस्टीमेशन इत्यादि के बारे में पता चलता है। जब आप किसी कंपनी के साथ काम करेंगे तो आपको कई जरूरी चीजें मालूम चलती हैं इसलिए इंटर्नशिप आपके लिए बहुत आवश्यक होगी।
 
* आर्किटेक्चर फील्ड से जुड़े हुए कोर्सेस के लिए 12वीं कक्षा में गणित और विज्ञान विषय होना आवश्यक।
 
* आप बैचलर ऑफ आर्किटेक्ट की डिग्री में एडमिशन के लिए न्यूमेरिकल, डिजाइनिंग, कम्युनिकेशन स्किल्स अच्छी होना जरूरी।
 
* विदेशों से पढ़ने के लिए वहां के इंस्टिट्यूट्स की शर्तें पूरी करना आवश्यक।
 
* पढाई करने के बाद प्रोफेशनल काउंसिल्स में पंजीयन से मिलते हैं फायदे।
 
डिग्री करने के बाद याद रखें कि एक प्रोफेशनल आर्किटेक्ट के रूप में काम करने के लिए आपको सर्टिफाइड होना जरूरी है। इसका मतलब है कि आपको इस प्रोफेशन से जुड़ी किसी काउंसिल से लाइसेंस हासिल करना भी जरूरी है। हालांकि बैचलर ऑफ आर्किटेक्ट की डिग्री पूरी करने के बाद आप बिना लाइसेंस के भी काम कर सकते हैं लेकिन एक इंडिपेंडेंट प्रोफेशनल के बतौर काम करने के लिए आपको लाइसेंस लेना अच्छा होगा। इससे ग्लोबल लेवल पर आपके लिए और अधिक संभावनाएं खुलती हैं। 
 
हमारे देश में आर्किटेक्चर काउंसिल के साथ रजिस्ट्रेशन करवाया जा सकता है। विदेशों में काम करने के लिए उन देशों में स्थित विभिन्न काउंसिल्स से रजिस्ट्रेशन करवाया जा सकता है। एक अच्छा आर्किटेक्ट बनने के लिए किसी भी स्टूडेंट्स की न्यूमेरिकल स्किल्स, क्रिएटिविटी और डिजाइनिंग स्किल्स अच्छी होनी चाहिए। क्योंकि एक निर्माण कार्य की बेसिक और एडवांस डिजाइनिंग तैयार करते समय डिजाइनिंग और क्रिएटिव कंस्ट्रक्शन के साथ-साथ जमेट्री और न्यूमेरिकल एबिलिटी की जरूरत भी होती है। हर फील्ड की ही तरह आर्किटेक्चर सेक्टर में कम्युनिकेशन स्किल्स भी अच्छा होना आवश्यक।
 
इसके साथ ही आर्किटेक्ट को मॉडिंलग और ड्राइंग बनाने के साथ ही विजुलाइजेशन करना भी सीखना चाहिए। एक आर्किटेक्ट को कॉस्ट एस्टिमेशन यानी किसी निर्माण कार्य में लागत आदि का आंकलन करना भी आना चाहिए। किसी भी कंस्ट्रक्शन में कॉस्ट एस्टिमेशन बहुत ही जरूरी है, क्योंकि निर्माण कार्यों में कॉस्ट कंट्रोल भी बहुत आवश्यक फील्ड है। आर्किटेक्ट्स को इसकी बेहतर समझ होना भी आवश्यक है।
 
सैलरी और करियर ग्रोथ
 
आर्किटेक्चर के फील्ड में आप एक आर्किटेक्ट या सलाहकार के बतौर स्वतंत्र रूप से भी काम कर सकते हैं और किसी संस्था या संगठन के साथ नौकरी भी कर सकते हैं। प्राइवेट सेक्टर के साथ-साथ सरकार की विविध एजेंसियों में भी आर्किटेक्चर के प्रोफेशनल्स की खूब डिमांड होती है। सरकार के कई विभाग जैसे कि पीडब्ल्यूडी, हेल्थ तथा अन्य एजेंसी में आर्किटेक्ट की भर्तियां होती हैं। इसके साथ ही निजी क्षेत्रों में कंस्ट्रक्शन कंपनियों, हाउसिंग प्रोजेक्टस में काम करने वाली फर्म्स में आर्किटेक्ट्स की आवश्यकता होती है। केंद्र सरकार के रेलवे, डिफेंस, सर्वे और आर्कियोलॉजी जैसे कई विभागों में आर्किटेक्ट काम करते हैं। 
 
जहां तक इस सेक्टर में सैलरी की बात है तो आमतौर पर एक प्राइवेट सेक्टर की किसी फर्म में काम करने वाले आर्किटेक्ट को 25 से 35 हजार रुपए तक प्रतिमाह की सैलरी मिलती है। जैसे-जैसे आपका अनुभव बढ़ेगा आपकी सैलरी और पे स्केल भी बढ़ता रहेगा। इसी तरह सरकारी क्षेत्र में एक आर्किटेक्ट, आमतौर पर ऑफिसर कैडर के एक अधिकारी के रूप में नियुक्त होता है जिसका अच्छा खासा वेतनमान होता है।
 
* आर्किटेक्चर के फील्ड में आप इंडिपेंडेंट या फिर किसी संस्था के साथ कर सकते हैं काम।
 
* एक आर्किटेक्ट सलाहकार के बतौर अपना व्यवसाय भी कर सकते हैं शुरू।
 
* कंसल्टैंट के बतौर फीस के रूप में पा सकते है अच्छी इनकम।
 
* पब्लिक यानी सरकारी और प्राइवेट सेक्टर की एजेंसियों में भी आर्किटेक्चर के प्रोफेशनल्स की होती है खूब डिमांड।
 
* प्राइवेट फर्म में काम करने वाले आर्किटेक्ट को मिलती है 25 से 35 हजार रुपए तक प्रतिमाह की सैलरी।
 
* सरकारी क्षेत्र में एक आर्किटेक्ट, आमतौर पर ऑफिसर कैडर के एक अधिकारी के रूप में नियुक्त होता है।
 
* इस फील्ड में एक्सपीरियंस के साथ ही लगातार बढ़ती रहेगी सैलरी।
 
स्वतंत्र रूप से जब आप एक कंसल्टेंट के बतौर काम करते हैं तो वहां आपके पास अनुभव होना आवश्यक है उससे ही आपकी फीस तय होती है। लेकिन कुल मिलाकर देखें तो आर्किटेक्चर एक अच्छे स्कोप वाला करियर फील्ड है जिसमें आप अपने क्रिएटिव टैलेंट के साथ अच्छी इनकम भी हासिल कर सकते हैं। इस तरह हम देख सकते हैं कि अगर आपको डिजाइनिंग, लैंडस्केप और निर्माण कार्यों को देखने, समझने और उनमें काम करने में रूचि है तो आपके लिए आर्किटेक्ट बतौर करियर का एक शानदार विकल्प मौजूद है।

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