ठंडा मतलब...., डर के आगे जीत है, सीधी बात नो बकवास...। ये लाइनें सभी को याद होंगी। ये लाइनें कंपनियों के प्रोडक्ट के विज्ञापन के लिए उपयोग की गई हैं। ऐसी लाइनों को जिंगल्स कहा जाता है। जो यह लाइनें लिखते हैं, उन्हें स्क्रिप्ट राइटर कहा जाता है।
हालांकि स्क्रिप्ट राइटर का काम सिर्फ जिंगल लिखना ही नहीं होता है, बल्कि और कई चीजें हैं, जो स्क्रिप्ट राइटर करता है, लेकिन शुरुआत जिंगल्स से ही होती है।
एड गुरु प्रहलाद कक्कड़ और मशहूर गीतकार प्रसून जोशी स्क्रिप्ट राइटिंग में जाना-माना नाम हैं। स्क्रिप्ट राइटिंग कहानियां और कविताएं लिखने से कुछ अलग होता है। स्क्रिप्ट में लिखी गई हर बात का फिल्मांकन किया जाता है। इसमें लेखक को यह सोचकर लिखना पड़ता है कि उसके द्वारा लिखी गई स्क्रिप्ट पढ़ी नहीं, देखी जाएगी।
उसकी मेहनत का परिणाम उसे फिल्मांकन के बाद मिलता है। इसमें क्षेत्र करियर बनाने के लिए आपमें रचनात्मकता का होना आवश्यक है। कम शब्दों आपको प्रोड्क्टस की विशेषताओं को उपभोक्ताओं तक पहुंचाना होता है। ऐसी जिंगल्स की रचना करनी पड़ती है कि वह सुनते या पढ़ते से ही उसके जेहन में वह प्रोडक्ट आ जाए। वैसे कोई डिग्री कोर्स तो नहीं होता पर ये जर्नलिज्म के अंतर्गत आता है।
कल तक विज्ञापन ग्राहकों की संतुष्टि के लिए बनाए जाते थे लेकिन आज जो विज्ञापन आ रहे हैं वे ग्राहकों के संतोष के साथ उसकी खुशी और मनोरंजन को भी महत्व दे रहे हैं। मानवीय भावनात्मक पक्षों को छूते विज्ञापन न सिर्फ देर तक याद रहते हैं बल्कि मन पर भी गहरा असर छोड़ते हैं। जो युवा लिखने-पढ़ने के साथ मानवीय संवेदनाओं को पकड़ कर अभिव्यक्त करने की क्षमता रखते हैं उनके लिए भी इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं।
हालांकि स्क्रिप्ट राइटिंग पूरी तरह आपकी विश्लेषण और कल्पना क्षमता पर आधारित है, लेकिन फिर भी इसके लिए जर्नलिज्म कोर्स कर लिया जाए तो बेहतर होगा।
जर्नलिज्म का कोर्स आप इन संस्थानों से कर सकते हैं- - देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर। - जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली। - इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली। - अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ - ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा (बिहार) - एमिटी स्कूल ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन, नई दिल्ली। - इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ मास कम्युनिकेशन, नई दिल्ली। - माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल।