रेशम उत्पादन में भारत का दूसरा स्थान है। आजकल रेशम से बने भारतीय परिधान चलन में हैं। भारत में निर्मित रेशमी कपड़ों का निर्यात विदेशों में भी किया जाता है।
रेशम उद्योग या सेरीकल्चर में आप खुद तो करियर बना सकते हैं, बल्कि उद्योग लगाकर दूसरे लोगों को भी रोजगार दे सकते हैं। रेशम उद्योग में तकनीकी ज्ञान के साथ विशेषज्ञता की भी दरकार होती है।
पिछले कुछ सालों में सिल्क उत्पादों का निर्यात बढ़ते से इसमें करियर की संभावनाएं भी बढ़ी हैं। इस क्षेत्र में कच्चे रेशम के निर्माण के लिए रेशम के कीड़ों का उत्पादन और पालन किया जाता है। इसे ही सेरीकल्चर कहा जाता है। इन रेशम के कीड़ों से रेशम के धागे और फिर कपड़ों का निर्माण किया जाता है।
शैक्षणिक योग्यता- इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए बायोलॉजी या केमेस्ट्री सब्जेक्ट के साथ 12वीं उत्तीर्ण आवश्यक है। देश के कई कृषि विश्वविद्यालयों में सेरीकल्चर में स्नातक के लिए चार वर्षीय डिग्री कोर्स चलाया जाता है। स्नातक में दो कोर्स में प्रवेश लिया जा सकता है बीएससी (सेरीकल्चर) और बीएससी (सिल्क टेक्नोलॉजी)।
सेरीकल्चर में नौकरी और स्वरोजगार दोनों के लिए पर्याप्त अवसर हैं। तकनीकी योग्यता हासिल करने के बाद इस क्षेत्र की कंपनियों में जॉब्स मिल सकती है। सेरीकल्चर कुटीर उद्योग के अंतर्गत आता है। सरकार ग्रामीण विकास और कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम चला रही है।
सेरीकल्चर में स्नातक करने के बाद स्वयं का सेरीकल्चर का उद्योग भी स्थापित किया जा सकता है। मास्टर डिग्री हासिल करने के बाद शिक्षण के क्षेत्र में भी करियर बनाया जा सकता है। ग्रामीण युवाओं के साथ शहरी युवा भी इस क्षेत्र की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
सेरीकल्चर का कोर्स आप इन संस्थानों से कर सकते हैं- -असम कृषि विश्वविद्यालय, जोरहाट। -कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, बेंगलोर। -शिवाजी यूनिवर्सिटी, कोल्हापुर। -दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली। -सेंट्रल सेरीकल्चर रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, मैसूर। -बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ।