बजट आपकी जेब को भारी या हल्का करती है, लेकिन इसके अलग इसकी तैयारी एक तरह का मिशन होती है। बजट और उसके डाक्यूमेंट्स तैयार करने वालों की एक खास टीम होती है, जो लोग इस प्रक्रिया में शामिल होते हैं, उन्हें लगभग ‘लॉक’ दिया जाता है, उन्हें न तो बाहर निकलने की अनुमति होती है और न ही अपने परिजनों से मिलने और बात करने की। उन्हें कई हफ्तों तक दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक ऑफिस में रखा जाता है। आइए जानते हैं कैसे तैयार होता है बजट।
महीनों पहले शुरू हो जाती है तैयारी
देश का बजट तैयार करने की प्रक्रिया बेहद महत्वपूर्ण होती है। कई महीनों पहले से ही इसकी तैयारी शुरू हो जाती है। इस काम में खास तरह के विशेषज्ञों को लगाया जाता है। जो बजट, धन, टैक्स विशेषज्ञ समेत कई तरह के जानकार एक खास तरह की टीम में शामिल होते हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के अनुसार, केंद्रीय बजट सालभर की अनुमानित आमदनी और खर्च का लेखा-जोखा होता है।
नागरिकों से भी आते हैं सुझाव
आम बजट बनाने की प्रक्रिया में वित्त मंत्रालय दरअसल नागरिकों से भी सुझाव मांगता है। लोग बजट के बारे में अपने सुझाव और सलाह देते हैं। वित्त मंत्रालय आए हुए सुझावों पर विचार करता है और उसके लाभ-हानि के बारे में विश्लेषण करता है। इस दौरान वित्त मंत्रालय उद्योग से जुड़े संगठन से भी सुझाव मांगता है।
कौन- कौन विभाग शामिल होते हैं प्रक्रिया में?
बजट बनाने की प्रक्रिया में कई विभाग शामिल होते हैं। इसमें खासतौर से वित्त मंत्रालय के साथ ही नीति आयोग और सरकार के अन्य मंत्रालय शामिल होते हैं। वित्त मंत्रालय हर साल खर्च के आधार पर एक गाइडलाइन जारी करता है। इस गाइडलाइन के बाद विभिन्न मंत्रालयों के नुमाइंदों को अपनी-अपनी मांग स्पष्ट करना होती है। सबसे खास भूमिका वित्त मंत्रालय की होती है। उस पर बजट डिवीजन पर बजट बनाने की जिम्मेदारी होती है।
वित्त मंत्री लेता है टैक्स के फैसले
एक डिवीजन को नोडल एजेंसी बनाया जाता है। यह बजट डिवीजन सभी मंत्रालयों, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, स्वायत्त निकायों, विभागों और रक्षाबलों को सर्कुलर जारी करता है और उनसे अगले वर्ष के अनुमानों के बारे में बताने के लिए निर्देश जारी करता है। इन मंत्रालयों और विभागों से मांगें और अनुमान मिलने के बाद बाद वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग के बीच इसे लेकर गंभीर चर्चा और विश्लेषण होता है। इसके बाद वित्त मंत्री टैक्स के प्रस्तावों पर अंतिम मुहर लगाता है। बजट को अंतिम रूप देने के लिए प्रस्तावों पर प्रधानमंत्री के साथ चर्चा होती है।
लॉक कर दिया जाता है पूरे स्टाफ को
कुछ खास अधिकारी बजट के डॉक्युमेंट्स तैयार करते हैं। इस प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले सभी कंप्यूटर को दूसरे नेटवर्क से डी-लिंक कर दिया जाता है। बजट पर काम करने वाला लगभग 100 लोगों का स्टाफ 2 से 3 हफ्तों तक दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक ऑफिस में ही रहता है। उन्हें बाहर जाने की इजाजत नहीं होती है। नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट स्थित प्रिंटिंग प्रेस में बजट से जुड़े अधिकारी और कर्मचारी लगभग लॉक कर दिए जाते हैं। बजट बनाने की प्रक्रिया के दौरान उन्हें अपने परिजनों तक से बातचीत करने अथवा मिलने की अनुमति नहीं होती है।
फिर आता है संसद में
बजट पेश करने की तारीख लोकसभा स्पीकर की सहमति से तय होती है। इसके लिए सरकार उनसे अनुमति लेती है। बजट पेश करने से ठीक पहले 'समरी फॉर द कैबिनेट' के जरिए बजट के प्रस्तावों पर कैबिनेट को संक्षेप में बताया जाता है। वित्त मंत्री के भाषण के बाद सदन में बजट रखा जाता है।