नई दिल्ली। एक देश, एक कर और एक बाजार की आवधारणा पर आधारित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक बजट सत्र के दूसरे चरण में संसद में पेश किया जाएगा। लेकिन, इसके लागू होने पर वस्तुओं एवं एवं सेवाओं के सस्ते होने की संभावना नहीं दिख रही है क्योंकि वर्तमान में लग रहे कर एवं शुल्कों को जोड़कर जीएसटी की दर तय की जाएगी।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को यहां उद्योग संगठन फिक्की, सीआईआई, एसोचैम, पीएचडी चैंबर और इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स (आईसीसी) के साथ बजट बाद परिचर्चा में कहा कि जीएसटी से जुड़े कानूनों को लेकर कई मुद्दे थे जिनका समाधान हो चुका है। जीएसटी कानून के प्रारूप को अंतिम रूप दिया जा चुका है और अब सिर्फ उसे कानूनी भाषा के अनुरूप बनाया जा रहा है। बजट सत्र के पहले चरण के बाद जीएसटी परिषद् की बैठक में प्रारूप को अंतिम रूप दिया जाएगा।
राजस्व सचिव हंसमुख अधिया ने कहा कि जीएसटी दर के चार स्लैब बनाए गए हैं। कुछ वस्तुएं जीएसटी की दर से बाहर रहेंगी, लेकिन अभी जिन वस्तुओं या सेवाओं पर वैट या सेवा कर के साथ दूसरे शुल्क लग रहे हैं। उसमें कमी किए जाने की संभावना नहीं है। इनको जोड़कर ही जीएसटी की दर निर्धारित की जाएगी। जेटली ने कहा कि अप्रत्यक्ष कर तंत्र को तर्कसंगत बनाने की प्रक्रिया जारी है। (वार्ता)