नई दिल्ली। लोकसभा में गुरुवार को रेल बजट पेश किए जाने के दौरान विपक्षी सदस्यों की टोकाटोकी के बावजूद रेलमंत्री सुरेश प्रभु का भाषण बिना रुके 'सुपर फास्ट' गति से चलता रहा।
प्रभु का भाषण इतना ‘हाईस्पीड’ था कि सदन में मौजूद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को इसे समझने में दिक्कत आ रही थी जिसके कारण वे बीच-बीच में अपनी पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे तथा ज्योतिरादित्य सिंधिया से इस बारे में पूछती दिखाई दीं।
रेलमंत्री ने वर्ष 2016-17 का रेल बजट पेश करते हुए जब कहा कि यह केवल उनका बजट नहीं है बल्कि भारत के आम नागरिकों की आकांक्षाओं का बजट है जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विजन समाहित है तो सत्तापक्ष के सदस्यों ने जोर से मेजें थपथपाकर इसका स्वागत किया।
रेलमंत्री ने अपने भाषण में इस मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और हरिवंश राय बच्चन की कविताओं का भी जिक्र किया और समापन करते हुए भगवान बुद्ध को उद्धृत किया।
प्रभु ने जब धार्मिक महत्व के उन 18 शहरों का नाम लेना शुरु किया जिनका चुनाव यात्री सुविधाओं की व्यवस्था और स्टेशनों के सौंदर्यीकरण के वास्ते किया गया है तो तृणमूल के सांसद अपने स्थान पर खड़े हो गए और जोर-जोर से कहने लगे कि इनमें पश्चिम बंगाल के एक भी धार्मिक स्थल का नाम शामिल नहीं है। (वार्ता)