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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024

आज के शुभ मुहूर्त

(उत्पन्ना एकादशी)
  • तिथि- मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी
  • शुभ समय-10:46 से 1:55, 3:30 5:05 तक
  • व्रत/मुहूर्त-उत्पन्ना एकादशी व्रत
  • राहुकाल- दोप. 3:00 से 4:30 बजे तक
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गौतम बुद्ध के जीवन की 2 प्रेरक कथाएं, यहां पढ़ें

हमें फॉलो करें गौतम बुद्ध के जीवन की 2 प्रेरक कथाएं, यहां पढ़ें
भगवान बुद्ध का आदर्श जीवन युग-युग तक लोगों को सत्य, प्रेम और करुणा की प्रेरणा देता रहेगा। काश, हम उनके जीवन से, उनके उपदेश से कुछ सीख पाएं! प्रस्तुत हैं गौतम बुद्ध के जीवन की 2 प्रेरक कथाएं- 
 
1. परिश्रम और धैर्य 
 
एक बार भगवान बुद्ध अपने अनुयायियों के साथ किसी गांव में उपदेश देने जा रहे थे। उस गांव से पूर्व ही मार्ग में उन लोगों को जगह-जगह बहुत सारे गड्ढे़ खुदे हुए मिले। बुद्ध के एक शिष्य ने उन गड्ढों को देखकर जिज्ञासा प्रकट की, आखिर इस तरह गड्ढे़ का खुदे होने का तात्पर्य क्या है?
 
बुद्ध बोले, पानी की तलाश में किसी व्यक्ति ने इतनें गड्ढे़ खोदे है। यदि वह धैर्यपूर्वक एक ही स्थान पर गड्ढे़ खोदता तो उसे पानी अवश्य मिल जाता, पर वह थोडी देर गड्ढ़ा खोदता और पानी न मिलने पर दूसरा गड्ढ़ा खोदना शुरू कर देता। व्यक्ति को परिश्रम करने के साथ धैर्य भी रखना चाहिए।

2. अमृत की खेती
 
एक बार भगवान बुद्ध भिक्षा के लिए एक किसान के यहां पहुंचे। तथागत को भिक्षा के लिए आया देखकर किसान उपेक्षा से बोला, श्रमण मैं हल जोतता हूं और तब खाता हूं। तुम्हें भी हल जोतना और बीज बोना चाहिए और तब खाना खाना चाहिए।
 
बुद्ध ने कहा- महाराज! मैं भी खेती ही करता हूं...। इस पर किसान को जिज्ञासा हुई और वह बोला- मैं न तो तुम्हारे पास हल देखता हूं ना बैल और ना ही खेती का स्थल। तब आप कैसे कहते हैं कि आप भी खेती ही करते हो। आप कृपया अपनी खेती के संबंध में समझाइएं।
 
बुद्ध ने कहा- महाराज! मेरे पास श्रद्धा का बीज, तपस्या रूपी वर्षा और प्रजा रूपी जोत और हल है... पापभीरूता का दंड है, विचार रूपी रस्सी है, स्मृति और जागरूकता रूपी हल की फाल और पेनी है।
 
मैं वचन और कर्म में संयत रहता हूं। मैं अपनी इस खेती को बेकार घास से मुक्त रखता हूं और आनंद की फसल काट लेने तक प्रयत्नशील रहने वाला हूं। अप्रमाद मेरा बैल हे जो बाधाएं देखकर भी पीछे मुंह नहीं मोडता है। वह मुझे सीधा शांति धाम तक ले जाता है। इस प्रकार मैं अमृत की खेती करता हूं।


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