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बुद्ध जयंती कब है, गौतम सिद्धार्थ नेपाली थे या भारतीय?

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WD Feature Desk

, शनिवार, 19 अप्रैल 2025 (17:10 IST)
buddha purnima 2025वैशाख माह की पूर्णिमा के दिन सिद्धार्थ यानी भगवान गौतम बुद्ध की जयंती मनाई जाती है। अधिकांश इतिहासकारों ने बुद्ध के जीवनकाल को 563-483 ई.पू. के मध्य माना है। बुद्ध का जन्म नेपाल के लुंबिनी में हुआ था और उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में 80 वर्ष की आयु में उन्होंने देह का त्याग कर दिया था। 12 मई 2025 सोमवार के दिन बुद्ध पूर्णिमा रहेगी। आओ जानते हैं कि गौतम बुद्ध भारतीय थे या नेपाली।
 
गौतम बुद्ध का जन्म स्थान लुम्बिनी:
गौतम बुद्ध का जन्म ईसा से 563 साल पहले नेपाल के लुम्बिनी वन में हुआ। उनकी माता कपिलवस्तु की महारानी महामाया देवी जब अपने नैहर देवदह जा रही थीं, तो उन्होंने रास्ते में लुम्बिनी वन में बुद्ध को जन्म दिया। कपिलवस्तु और देवदह के बीच नौतनवा स्टेशन से 8 मील दूर पश्चिम में रुक्मिनदेई नामक स्थान के पास उस काल में लुम्बिनी वन हुआ करता था। उनका जन्म नाम सिद्धार्थ रखा गया। सिद्धार्थ के पिता शुद्धोदन कपिलवस्तु के राजा थे। 
 
गौतम बुद्ध के पिता का शहर कपिलवस्तु:
भगवान श्रीराम की पत्नी सीता और उनके श्वसुर राजा जनक मिथिला के थे जिसका अधिकतर हिस्सा अब नेपाल में है। उसी तरह गौतम बुद्ध कपिलवस्तु के थे जो अब नेपाल का हिस्सा है। उत्तर प्रदेश के बस्ती जिला के उत्तरी भाग में पिपरावां नामक स्थान से 9 मील उत्तर-पश्चिम तथा रुमिनीदेई या प्राचीन लुंबिनी से 15 मील पश्चिम की ओर मेमिराकोट के पास प्राचीन कपिलवस्तु की स्थिति बताई जाती है। सौंदरानंद-काव्य में महाकवि अश्वघोष ने कपिलवस्तु के बसाई जाने का विस्तृत वर्णन किया है। इसी में उन्होंने कपिल मुनि के आश्रम के उल्लेख भी किया है। यह आश्रम हिमाचल के अंचल में स्थित था।
Lord Buddha
श्रावस्ती का समकालीन नगर कपिलवस्तु प्राचीन समय में शाक्य वंश की राजधानी थी। यह राजधानी गोरखपुर से 97 किलोमीटर दूर स्थित है। गौतम बुद्ध के काल में भारतवर्ष के इस नगर की समृद्धिशाली नगरों में इसकी गणना होती थी। मान्यता अनुसार यह भूमि कपिल मुनि की तपोभूमि होने के कारण कपिलवस्तु कही जाने लगी।
 
कपिलवस्तु नगर भारतीय जनपद के अंतर्गत था:
बौद्धकाल में भारत महाजनपदों और गणराज्यों में बंटा हुआ था। अंग, मगध, काशी, कोशल, वज्जि, मल्ल, चेदी, वत्स, कुरू, पांचाल, मत्स्य, सूरसेन, अशमक, अवन्ति, कम्बोज तथा गान्धार ये सभी जनपद थे। इन महाजनपदों के अतिरिक्त दस गणराज्य थे जो इस प्रकार थे कपिलवस्तु के शाक्य, अल्लकय बुली, केसपुत्र के कालाम, रामग्राम के कोलिय, सुसभागिरि के भाग, पावा के भल्ल, कुशीनारा के मल्ल, यिप्पलिवन के मोरिय, मिथिला के विदेइ तथा वैशाली के लिच्छवि।
 
सरयू नदी कोसल राज्य को दो भागों में विभाजित करती है। उत्तर कोशल और दक्षिण कोशल। उत्तर कोशल की आरंभिक राजधानी श्रावस्ती थी। बाद में यह अयोध्या हो गई। दशिण कोशल की राजधानी कुशावती थी। प्रसेनजित और विदुधान के प्रयास से कोशल राज्य का विस्तार हुआ तब काशी, मल्ल और शाक्य संघ इसके अंतर्गत हो चले थे। शाक्य संघ का नगर कपितलवस्तु था। 'भद्दसाल' जातक से सूचित होता है कि शाक्य प्रदेश कोसल राज्य के अधीन था। बाद में सम्राट अशोक के समय में कलिंग को छोड़कर संपूर्ण भारत मगध उसके अधिन था।

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