गौतम बुद्ध : एक नजर में

बुद्ध ने बताया जीव हत्या रोकने का मार्ग

Webdunia
- ललित भारद्वाज
FILE

महात्मा बुद्ध एक महान वेदांती थे। उन्होंने निर्भीकता के साथ तर्क विचार किया। बुद्ध ही एक ऐसे महापुरुष थे, जिनको यथार्थ में निष्काम कर्मयोगी कहा जा सकता है। अपने ही संबंध में महात्मा बुद्ध कहा करते थे कि बुद्ध शब्द का अर्थ है आसमान के समान अनंत ज्ञान संपन्न। अगर मुझ गौतम जैसे को आत्म ज्ञान की अवस्था प्राप्त हो गई है तो हे मनुष्यों, तुम भी यदि प्राणपण से कोशिश करो तो तुम भी मुझ जैसी स्थिति को प्राप्त कर सकते हो।

आज से लगभग अढ़ाई हजार वर्ष पहले पृथ्वी पर अनाचार बढ़ा हुआ था। धर्म के नाम पर निर्दोष पशुओं का वध हो रहा था। अनाचारों व जीव हत्या को रोकने के लिए मां मायादेवी के गर्भ से भगवान विष्णु ने स्वयं बुद्ध रूप में लुम्बिनी (कपिलवस्तु के निकट) में जन्म लिया। पिता का नाम शुद्धोदन था। भगवान बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था। सिद्धार्थ के जन्म के पश्चात उनकी माता का देहांत हो गया, फिर इनका लालन-पालन उनकी विमाता गौतमी देवी ने किया।

विद्वानों ने महात्मा बुद्ध के बारे में शुद्धोदन को पहले ही सूचित कर दिया था कि यह बालक या तो चक्रवर्ती राजा होगा या विरक्त होकर संसार का कल्याण करेगा। पिता होने के नाते शुद्धोदन इस बात को लेकर चिंतित रहते थे। समय आने पर पिता ने सिद्धार्थ का विवाह राजकुमारी यशोधरा से कर दिया। यशोधरा की कोख से एक पुत्र की प्राप्ति हुई जिसका नाम राहुल रखा गया।

FILE
चूंकि बुद्ध का मन संसार से बिलकुल ही विरक्त रहता था इसलिए एक दिन आधी रात को अपनी पत्नी व पुत्र को सोया छोड़कर, राजसी वेशभूषा त्यागकर अमरता की खोज में निकल पड़े।

बुद्ध को न तो स्वर्ग पाने की लालसा थी, न ही ऐश्वर्य सुख भोगने की कामना थी, क्योंकि उन्होंने इन सब चीजों पर विजय प्राप्त कर ली थी। अपने राजसुखों को त्याग कर तथा मानव जाति एवं जीव-जंतुओं के कल्याण हेतु छोटी अवस्था में ही वे घर से निकल पड़े थे।

सर्वप्रथम सारनाथ (वाराणसी के समीप) वह स्थान है, जहां भगवान बुद्धदेव ने पांच भिक्षुओं के सामने धम्मचक्कपवनत्तनसुत (प्रथम उपदेश) दिया। कुशीनारा वह स्थान है, जहां भगवान बुद्धदेव ने महापरिनिर्वाण ग्रहण किया।

ये चारों वे स्थान हैं जो मानव जाति में धार्मिक भावना तथा प्रायश्चित की भावना का संचार करते हैं तथा जो लोग महात्मा बुद्ध में आस्था तथा विश्वास रखते हैं उन लोगों के लिए ये चारों स्थान तीर्थस्थल हैं। बोधगया में उन्हें आत्मज्ञान की प्राप्ति हुई।

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

इस मंदिर में है रहस्यमयी शिवलिंग, दिन में तीन बार बदलता है रंग, वैज्ञानिक भी नहीं जान पाए हैं रहस्य

कुंभ राशि में अस्त हो रहे हैं शनि, इन 5 राशि वाले जातकों की बढ़ेंगी मुश्किलें

क्या होगा अरविंद केजरीवाल का राजनैतिक भविष्य? क्या कहते हैं उनकी कुंडली के सितारे?

होली पर चंद्र ग्रहण से किन 3 राशियों पर होगा इसका नकारात्मक प्रभाव?

महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर भूलकर भी ना चढ़ाएं ये चीजें, रह जाएंगे भोलेनाथ की कृपा से वंचित

सभी देखें

धर्म संसार

श्री रामकृष्ण परमहंस का असली नाम क्या है? जानिए उनके जीवन की 5 रोचक बातें

Aaj Ka Rashifal: आज इन जातकों को मिलेगा हर क्षेत्र में लाभ, पढ़ें अपनी राशिनुसार 18 फरवरी का राशिफल

18 फरवरी 2025 : आपका जन्मदिन

18 फरवरी 2025, मंगलवार के शुभ मुहूर्त

महाशिवरात्रि पर रात्रि के 4 प्रहर की पूजा का सही समय और पूजन विधि

More