Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

मिशन इम्पॉसिबल फॉलआउट : मूवी रिव्यू

हमें फॉलो करें मिशन इम्पॉसिबल फॉलआउट : मूवी रिव्यू

समय ताम्रकर

यह मिशन इम्पॉसिबल सीरिज की लोकप्रियता का ही कमाल है कि छठी फिल्म आ गई और अभी भी रोमांच और ताजगी बरकरार है। टॉम क्रूज का स्टारडम इस सीरिज की फिल्मों को एक अलग ही लेवल पर ले जाता है और उनको खतरनाक स्टंट्स करते देखने का एक अलग ही मजा है। हर बार डर लगता है कि सीरिज की अगली फिल्म स्तर को ऊंचा उठाएंगी या नहीं, लेकिन 'मिशन इम्पॉसिबल : फॉलआउट' (हिंदी में इसे मिशन इम्पॉसिबल तबाही नाम से रिलीज किया गया है) तो इस सीरिज की बेहतरीन फिल्मों में से एक है। 
 
'फॉलआउट' को 'रोग नेशन' का सीक्वल कह सकते हैं क्योंकि इसकी कहानी उस फिल्म की कहानी खत्म होने के बाद शुरू होती है। हालांकि जिन्होंने 'रोग नेशन' नहीं देखी है वे भी इसका मजा ले सकते हैं, लेकिन जिन्होंने पांचवां भाग देखा है उन्हें छठे भाग में ज्यादा मजा आएगा। 
 
सोलोमॉन लेन की करतूत अभी भी जारी है। उसके एजेंट्स अभी भी काम कर रहे हैं। ईथन हंट को खबर मिलती है कि आतंकियों के एक ग्रुप ने तीन प्लूटोनियम कोर्स चुरा लिए हैं जिनका इस्तेमाल न्यूक्लियर हथियारों में होना है। हंट को बेंजी और लुथर के साथ इन प्लूटोनियम को वापस लाने का मिशन मिलता है। यह मिशन इतना आसान नहीं है जितना लगता है। दोस्त को बचाने के चक्कर में हंट प्लूटोनियम गंवा बैठता है और यह उसके लिए अब बड़ा चैलेंज हो जाता है। मिशन में ऐसी चुनौती मिलती हैं जिनके बारे में हंट ने कभी सोचा भी नहीं था। कदम-कदम पर खतरा, षड्यंत्र और विश्वासघात से उसका सामना होता है। कड़ी दर कड़ी जोड़ते हुए वह आगे बढ़ता है। 
 
क्रिस्टोफर मैकक्वेरी का स्क्रीनप्ले कमाल का है। यह फिल्म आपको दिमाग लगाने पर मजबूर करती है और यदि आपने ऐसा नहीं किया तो कुछ पल्ले नहीं पड़ेगा। हर कड़ी इतनी बारीकी से जोड़ी गई है कि दर्शकों को हर पल चौकन्ना रहना पड़ता है। हर संवाद सुनना पड़ता है। पलक झपकाने में भी डर लगता है कि कहीं कुछ छूट न जाए। हर सीन आपको चौंकाता है और आप जो सोचते हैं उससे कुछ अलग देखने को मिलता है। कहानी में जबरदस्त टर्न और ट्विस्ट दिए गए हैं। 
 
शुरुआती डेढ़ घंटा कहानी में आए उतार-चढ़ाव मजा देते हैं। जैसे-जैसे हंट आगे बढ़ता है मिशन उसके लिए कठिन होताा जाता है। वह प्लान कुछ बनाता है और होता कुछ है। इस वजह से उसे सिचुएशन के अनुसार फैसले लेने पड़ते हैं। कहानी बर्लिन, पेरिस होते हुए लंदन जा पहुंचती है। कहानी के बीच में एक्शन सीन के लिए भी गुंजाइश भी रखी गई है जो मजा और बढ़ा देती है। 
 
फिल्म का आखिरी का एक घंटा एक्शन को दिया गया है। इस दौरान कहानी बैकफुट पर आ जाती है और फिल्म थोड़ा नीचे आती है क्योंकि दर्शकों के सामने सारे पत्ते खुल जाते हैं।  दिलचस्पी इस बात में रहती है कि हंट अब अपने मिशन को कैसे अंजाम देता है। क्लाइमैक्स में बर्फीली पहाड़ियों पर हेलिकॉप्टर द्वारा पीछे किया जाने वाला सीक्वेंस फिल्म को ऊंचाइयों पर ले जाता है। 
 
नि:संदेह फॉलआउट लार्जर देन लाइफ एक्शन मूवी है। इस तरह की फिल्में तब मजा देती हैं जब इसमें ऐसा सुपरस्टार हो जो दर्शकों को यकीन दिला सके कि जो वह कर रहा है वह विश्वसनीय है, एक्शन को जस्टिफाई करने वाला कारण हो और स्टोरी में लॉजिक हो। और, इन सारी अपेक्षाओं पर फिल्म खरी उतरती है। 
 
निर्देशक के रूप में क्रिस्टोफर मैकक्वेरी का काम बेहतरीन है। उनका प्रस्तुतिकरण इस तरह का है कि स्क्रीन पर से आंख नहीं हटा सकते हैं। आगे क्या होने वाला है इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। उन्होंने हर सीन को भव्य बनाया है जिसका मजा बिग स्क्रीन पर देखने में मिलता है। एक्शन और कहानी में उन्होंने अच्‍छा संतुलन बनाया है। मनोरंजन का भी ध्यान रखा है और हर किरदार को उसकी जरूरत के मुताबिक स्क्रीन टाइम दिया है। टॉम क्रूज को उसी इमेज में पेश किया है जिसके लिए वे जाने जाते हैं। फिल्म को यदि वे 15 मिनट छोटा रखते तो बेहतर होता। आखिरी आधे घंटे में टाइट एडिटिंग की जा सकती थी। 
 
फिल्म के एक्शन सीन बिलकुल जीवंत लगते हैं। कार चे‍जि़ंग, फिस्ट फाइट्स, स्काईडाइविंग, छतों पर और हेलिकॉप्टर द्वारा पीछा करने वाले सीन रोमांचित कर देते हैं। इन्हें बेहद सफाई से फिल्माया गया है। सीजीआई का बहुत कम उपयोग किया गया है इसलिए ये दृश्य और भी विश्वसनीय लगते हैं और पुरानी एक्शन फिल्मों की याद दिलाते हैं। टॉम क्रूज ने ज्यादातर स्टंट्स खुद किए हैं इससे इन्हें फिल्माने में आसानी रही है।  
 
रॉब हार्डी की सिनेमाटोग्राफी फिल्म को भव्य लुक देती है। उन्होंने पूरी फिल्म को शानदार तरीके से फिल्माया है चाहे एरियल शॉट हो, एक्शन सीन हो या संकरी गलियां हो। फिल्म का बैकग्राउंड म्युजिक एक सुपरस्टार की एक्शन फिल्म देखने का फील देता है। 
 
56 साल की उम्र में भी टॉम क्रूज फिट लगते हैं। उन्होंने खतरनाक स्टंट्स को अंजाम देकर बताया है कि उम्र महज एक नंबर है। उनका अभिनय बेहतरीन है और स्टारडम बरकरार है। एक्शन दृश्यों में वे बेहद स्टाइलिश नजर आए। हेनरी केविल ने वॉकर के किरदार में टॉम का भरपूर साथ दिया है। हेनरी को हम सुपरमैन के रूप में देख चुके हैं। साइमन पेग, रेबेका फर्ग्युसन, विंग रेम्स सहित अन्य कलाकारों का भी अभिनय उम्दा है। 
 
फास्ट, स्लीक और फन के लिए यह सीरिज जानी जाती है और 'फॉलआउट' में ये सारी बातें भरपूर हैं। थ्रिलिंग स्टंट्स और शानदार लेखन इस फिल्म को देखने लायक बनाते हैं। 
 
 
निर्माता : टॉम क्रूज, जेजे अबराम्स, डेविड एलिसन, डैन गोल्डबर्ग, डॉन ग्रेंजर, क्रिस्टोफर मैकक्वेरी, जैक मेयर्स
निर्देशक : क्रिस्टोफर मैकक्वेरी
कलाकार : टॉम क्रूज, साइमन पेग, रेबेका फरगस, हेनरी केविल
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 27 मिनट 55 सेकंड 
रेटिंग : 4/5 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

सभी की 'धड़क' बनी जाह्नवी, देखें सक्सेस पार्टी के पिक्चर्स

मिशन इम्पॉसिबल फॉलआउट को आप पांच में से कितने अंक देंगे?