Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

कार्तिकेय 2 : फिल्म समीक्षा

हमें फॉलो करें कार्तिकेय 2 : फिल्म समीक्षा

समय ताम्रकर

, बुधवार, 17 अगस्त 2022 (15:25 IST)
कार्तिकेय 2 तेलुगु में बनी फिल्म है जिसे हिंदी में डब कर इसी नाम से रिलीज किया गया है। ये 'कार्तिकेय' का सीक्वल है, लेकिन जिन्होंने पहला भाग नहीं देखा है उन्हें दूसरा भाग देखने में कोई परेशानी नहीं होगी क्योंकि ये अपना आप में संपूर्ण कहानी है जो अंत में इशारा करती है कि तीसरा भाग भी बनेगा। 
 
चंदू मोंडेती ने फिल्म की कहानी लिखी है जिसे पौराणिक, ऐतिहासिक और साहसिक कहा जा सकता है क्योंकि ये सारे तत्व कहानी में शामिल  हैं। 
 
फिल्म का नायक कार्तिकेय कुमारस्वामी (निखिल सिद्धार्थ) पेशे से डॉक्टर है। फिल्म के शुरुआत के चंद सेकंड में ही दिखा दिया गया है कि वह बेहतरीन डॉक्टर है, सांपों को बहुत ही आराम से नियंत्रित कर सकता है, विज्ञान की उसको खासी समझ है जिसके जरिये वह आसपास वालों को चौंकाता रहता है। यानी कि वह 'सुपरमैन' है और कुछ भी कर सकता है। 
 
कार्तिकेय हमेशा तर्क का सहारा लेता है और धर्म और पूजा-पाठ पर उसका विश्वास कम है। शहर के मेयर का बेटा अस्पताल में भर्ती है और वह अस्पताल के कमरे में ही हवन कराता है जिससे नाराज होकर कार्तिकेय उसे थप्पड़ जमा देता है। कार्तिकेय को दो सप्ताह के लिए सस्पेंड कर दिया जाता है। 
 
कार्तिकेय अपनी मां को द्वारका ले जाता है और न चाहते हुए भी वह भगवान श्रीकृष्ण के कड़े की खोज में शामिल हो जाता है। कड़े की खोज करना आसान नहीं है। कार्तिकेय को एक-एक कर संकेत मिलते जाते हैं और वह अलग-अलग स्थानों पर खोज पर निकल पड़ता है। 
 
इस कड़े के पीछे कुछ दुष्ट शक्तियां भी लगी हैं जिनसे भी कार्तिकेय को मुकाबला करना है। इस कड़े के पीछे लोग क्यों लगे हैं? इसे हासिल कर क्या होगा? इसके उत्तर फिल्म के क्लाइमैक्स में मिलते हैं। 
 
फिल्म का नायक विज्ञान को मानता है और कड़े की खोज की यात्रा में उसका परिचय भारत की संस्कृति, हिंदू धर्म और श्रीकृष्ण के उपदेश और ज्ञान से होता है जिससे उसका नजरिया बदलता जाता है। फिल्म बताती है कि हमारे ऋषि-मुनि के पास ज्ञान का खजाना था और वे वर्षों पहले टेलीस्कोप बना चुके थे। 
 
फिल्म में अनुपम खेर का किरदार भी है जो श्रीकृष्ण की व्याख्‍या कर फिल्म के हीरो को कई गूढ़ बातें बताते हैं। धर्म और संस्कृति का लोहा कार्तिकेय मान जाता है और निष्कर्ष निकालता है कि धर्म और विज्ञान एक ही खोज करते हैं क्योंकि दोनों को मानने वाले आंख मूंद कर इन पर विश्वास करते हैं। 
 
फिल्म में और भी ढेर सारी बातें हैं जिन पर तर्क-वितर्क हो सकते हैं। आप कितनी बात मानते और विश्वास करते हैं ये दर्शक-दर्शक पर निर्भर है। 
 
फिल्म में श्रीकृष्ण के कड़े को खोजने की भी यात्रा है, लेकिन इसमें बिलकुल भी रोमांच नहीं है। सब कुछ आसानी से हो जाता है इसलिए यह ट्रेक दिलचस्पी नहीं पैदा करता और कहीं-कहीं उबाता है। 
 
फिल्म का नायक भले ही लॉजिक की बात करता हो, लेकिन फिल्म में लॉजिक की बात करना बेकार है। कई ऐसी बातें हैं जिन पर यकीन करना मुश्किल है। स्क्रीनप्ले में कई तरह के सवाल हैं जिनके कोई जवाब नहीं है। जहां भी मुश्किल आई, धर्म और विज्ञान का सहारा लेकर लेखक बच निकले हैं। 
 
निर्देशक चंदू मंडेती ने फिल्म को खूब भगाया है, लेकिन केवल तेज गति से ही फिल्म अच्छी नहीं बन जाती। उनके काम में कच्चापन नजर आता है। तकनीकी पहलुओं पर उनकी पकड़ नहीं है। कलाकारों से बहुत अच्छा काम वे नहीं ले सके हैं।  
 
निखिल सिद्धार्थ लीड रोल में हैं और उनका अभिनय ठीक है। मुग्धा के रोल में अनुपमा परमेश्वरन प्रभावित नहीं करतीं। सदानंद के रोल में श्रीनिवास रेड्डी ने हंसाने की कोशिश की है, लेकिन नाकाम रहे, दरअसल उनके सीन ही अच्छे नहीं लिखे गए हैं। सुलेमान के किरदार में हर्षा चेमुडु और छोटे रोल में अनुपम खेर ठीक रहे हैं। 
 
फिल्म के गीत अनुवाद होकर बेअसर रहे हैं। सिनेमाटोग्राफी और प्रोडक्शन डिजाइन औसत रहे हैं। 
 
कार्तिकेय 2 धर्म और संस्कृति की गौरवशाली बातें कर एक अच्छी फिल्म होने का सिर्फ भ्रम पैदा करती है।
  • निर्माता : अभिषेक अग्रवाल आर्ट्स, पीपुल मीडिया फैक्ट्री
  • निर्देशक : चंदू मंडेती
  • संगीत : काल भैरव 
  • कलाकार : निखिल सिद्धार्थ, अनुपमा परमेश्वरन, श्रीनिवास रेड्डी, अनुपम खेर
  • सेंसर सर्टिफिकेट : यूए
  • रेटिंग : 1/5   

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

मानसून में भारत की इन पानी वाली जगहों पर घूमने न जाएं वरना पछताएंगे