Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

इंदु सरकार : फिल्म समीक्षा

हमें फॉलो करें इंदु सरकार : फिल्म समीक्षा

समय ताम्रकर

26 जून 1975 को भारत में आपातकाल लगाया गया था और इसे स्वतंत्र भारत के इतिहास का विवादास्पद काल माना जाता है। इस दौरान सरकार और सरकारी मशीनरी की मनमानी चली और जनता का बुरा हाल हो गया। कई लोगों को जेल में ठूंस दिया गया। बस्तियां उजाड़ दी गई। बड़े पैमाने पर नसबंदी की गई। लगभग 21 महीने बाद 21 मार्च 1977 को आपातकाल हटाया गया। उस दौर को मधुर भंडारकर ने अपनी फिल्म 'इंदु सरकार' में दर्शाया है। 
 
चांदनी बार, सत्ता, पेज 3, कारपोरेट जैसी फिल्मों में मधुर विषय की गहराई में जाते थे, लेकिन 'इंदु सरकार' में वे सतह पर ही नजर आए। आपातकाल के बारे में उन्होंने अपनी फिल्म वे वही दिखाया जितना कि एक सामान्य आदमी ने सुना या देखा है। सरकारी अत्याचारों को उन्होंने दिखाया, लेकिन इससे ज्यादा वे कोई नई या अनोखी बात नहीं बता सके। 
 
आपातकाल लागू करने के पीछे सरकार की क्या मंशा थी? क्यों इसे जरूरी समझा गया? कैसे स्वार्थ साधे गए? इन प्रश्नों के जवाब इस फिल्म में नहीं मिलते हैं। आपातकाल से जो अनभिज्ञ हैं उन्हें यह फिल्म कोई खास जानकारी नहीं दे पाती और जो जानते हैं उनके ज्ञान में कोई इजाफा नहीं करती। ऐसा लगता है कि उस दौर को फिल्म का विषय बनाकर मधुर ने केवल सुर्खियां बटोरने के लिए यह फिल्म बनाई है। 
 
फिल्म का शीर्षक चुनने में मधुर ने चतुराई दिखाई है। उन्होंने फिल्म की नायिका का नाम इंदु रखा है जो नवीन सरकार से शादी करने के बाद इंदु सरकार बन जाती है। उस समय इंदिरा सरकार थी और मधुर ने बचने के लिए पतली गली चुन ली। 
 
इंदु अनाथ थी जिससे नवीन ने शादी की। नवीन सरकारी नौकरी में है और सत्तारूढ़ दल के मंत्री का खास है। तुर्कमान गेट पर लोगों के घर उजाड़ दिए जाते हैं और अनाथ हुए दो बच्चों को इंदु अपने घर ले आती है। महत्वाकांक्षा के रथ पर सवार नवीन को यह बात जमती नहीं है कि इन बच्चों के कारण उसकी नौकरी पर कोई आंच आए। वह बच्चों को घर से निकालने के लिए कहता है, लेकिन इंदु बच्चों के साथ घर छोड़ देती है। 
 
सरकार के अत्याचारों से इंदु तंग है और वह उन लोगों के साथ मिल जाती है जो सरकार के विरोधी हैं। इससे नवीन खफा हो जाता है और इंदु को तलाक का नोटिस पहुंचा देता है। आपातकाल के कारण पति-पत्नी के संबंध बिगड़ते हैं और वे आमने-सामने होते हैं। 
 
फिल्म में किसी का नाम नहीं लिया गया है, लेकिन लुक से इंदिरा गांधी, संजय गांधी और अन्य मंत्रियों को पहचानने में दिक्कत नहीं होती। फिल्म इशारा करती है कि किस तरह उस दौर में चाटुकारिता हावी थी और एक परिवार के सदस्यों की तूती बोलती थी। सरकार को चाबुक के जरिये चलाया गया। 
 
निर्देशक के रूप में मधुर भंडारकर फिल्म को विश्वसनीय नहीं बना पाए। उन्होंने कुछ वास्तविक घटनाएं दिखाई, लेकिन फिल्म के शुरुआत में बड़ा सा 'डिसक्लेमर' दिखा दिया कि यह सब काल्पनिक है। इंदिरा गांधी को 'मम्मी' और संजय गांधी को 'चीफ' कह कर संबोधित किया गया। शायद यह फिल्म को विवाद से बचाने के लिए किया गया। कुछ दृश्य में ड्रामा ज्यादा हो गया। सेकंड हाफ में आपातकाल वाली बात पीछे रह जाती है और पति-पत्नी का विवाद ड्राइविंग सीट पर आ जाता है। मधुर को इससे फिल्म को बचाना था। 
 
1975 का समय दिखाने के लिए मधुर ने कुछ ज्यादा ही प्रयास कर दिए। उस दौर की फिल्मों के पोस्टर, विज्ञापन, गाने और अजीब सी विग पहने लोग आंखों को चुभते हैं। गाड़ियों की नंबर प्लेट में उस दौर का ध्यान नहीं रखा गया। तब काली प्लेट पर सफेद रंग से नंबर लिखे जाते थे, लेकिन फिल्म में सफेद प्लेट पर काले रंग से लिखे नंबर दिखाए गए हैं। 
 
अभिनय के मामले में फिल्म दमदार है। कीर्ति कुल्हरी ने इंदु का किरदार निभाया है जो हकला कर बोलती है। उनका अभिनय विविध रंग लिए हुए है और उन्होंने शानदार तरीके से निभाया है। एक घबराने वाली महिला से आत्मविश्वास वाली महिला बनने की बात उन्होंने अपने अभिनय से व्यक्त की है। 
 
नवीन के रूप में तोता रॉय चौधरी का अभिनय बेहतरीन है। अनुपम खेर खास प्रभावित नहीं करते। संजय गांधी जैसे दिखने वाले शख्स के रूप में नील नितिन मुकेश हैं और उन्होंने अपना काम अच्छे से किया है। शायद निर्देशक के कहने पर उन्होंने अपने अभिनय में खलनायकी वाला तत्व ज्यादा डाला है। ज़ाकिर हुसैन, सत्यजीत शर्मा, मानव विज का अभिनय उल्लेखनीय है।  
 
कुल मिलाकर 'इंदु सरकार' विषय के साथ पूरी तरह न्याय नहीं कर पाती। 
 
बैनर : भंडारकर एंटरटेनमेंट, मेगा बॉलीवुड प्रा.लि.
निर्देशक : मधुर भंडारकर
संगीत : अनु मलिक
कलाकार : कीर्ति कुल्हरी, तोता रॉय चौधरी, नील नितिन मुकेश, अनुपम खेर, ज़ाकिर हुसैन, सत्यजीत शर्मा, मानव विज 
रेटिंग : 2.5/5 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

इंद्र कुमार की अंतिम यात्रा (फोटो)

इंदु सरकार को आप पांच में से कितने अंक देंगे?