Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

हम भी अकेले तुम भी अकेले : मूवी रिव्यू

हमें फॉलो करें हम भी अकेले तुम भी अकेले : मूवी रिव्यू

समय ताम्रकर

, सोमवार, 10 मई 2021 (13:32 IST)
Hum Bhi Akele Tum Bhi Akele Movie Review in Hindi: लड़के-लड़की की रोड ट्रिप पर आधारित कई फिल्में बॉलीवुड में बन चुकी है। जब वी मेट और जब हैरी मेट सेजल जैसे ताजा उदाहरण हमारे सामने हैं। ओटीटी प्लेटफॉर्म पर ‘हम भी अकेले तुम भी अकेले’ रिलीज हुई है ‍जिसमें ज़रीन खान और अंशुमन झा लीड रोल में हैं और डायरेक्टर हैं हरीश व्यास। 
 
लड़के-लड़की की इस रोड ट्रिप में LGBTQ का ट्विस्ट देकर कुछ अलग और नया करने की कोशिश की गई है। हीरोइन मानसी (ज़रीन खान) लेस्बियन है जो तब घर से भाग निकलती है जब लड़के वाले उसे देखने आए है। हीरो वीर (अंशुमन झा) गे हैं, सगाई के ऐन वक्त पहले घर से भाग निकलता है। दोनों के पास साहस नहीं है कि वे अपने घर वालों को यह कह सकें कि वे समलैंगिक है। दिल्ली में दोनों की मुलाकात होती है और हालात कुछ ऐसे बनते हैं ‍कि दोनों साथ में एक यात्रा पर निकल पड़ते हैं। 
 
कहानी में बताया गया है ‍कि हीरोइन मानसी में लड़के वाले गुण हैं, जैसे- वह डॉमिनेटिंग है, कमरे में चीज फैलाती है, और पेंट-टी शर्ट पहनती है। क्या इसी बात पर कोई लड़की को हम लड़के जैसी कह सकते हैं? ऐसी तो ढेर सारी लड़कियां होती हैं और वे समलैंगिक नहीं हैं। क्या लड़की को शर्मीला ही होना चाहिए? क्या वह बिंदास नहीं हो सकती? हंसी-मजाक नहीं कर सकती? 
 
ठहरिए, हीरो की भी क्वालिटी सुन लीजिए, वह चीजों को व्यवस्थित रखता है, धीमा बोलता है। उसकी इन बातों को लड़की के गुण कहा गया है। इसे लेखक का ही कमाल कहा जाएगा जिसने मानसी और वीर की जोड़ी बनाने के लिए इस तरह के तर्कों का इस्तेमाल किया है। गे और लेस्बियन तक तो ठीक था, लेकिन ये ‘गुण’ कहानी को महज फैलाने के लिए इस्तेमाल किए गए हैं। 
 
हरीश व्यास ने फिल्म को लिखा भी है और लेखक के रूप में वे निराश करते हैं। LGBTQ वाले मुद्दे से फिल्म जल्दी ही भटक जाती है। मानसी और वीर चाहते क्या हैं, ये स्पष्ट नहीं हो पाता। वे एक-दूसरे को भी पसंद करने लगते हैं और अपने पार्टनर की भी याद करते रहते हैं। उनका यह कंफ्यूजन रह-रह कर उभरता है। 
 
 
फिल्म में मनोरंजन का अभाव है। वीर और मानसी की यात्रा को रोमांचक बनाने की कोशिश की गई है। कॉमेडी भी डाली गई है, लेकिन सीन इतने लंबे और उबाऊ हैं कि दर्शकों को इस बात में जरा भी रूचि नहीं रहती कि वे क्या बातें कर रहे हैं। उनकी बातचीत दिलचस्प नहीं है। 
 
निर्देशक के रूप में हरीश व्यास का फोकस इस बात पर ज्यादा रहा है कि फिल्म खूबसूरत लगे। सेट और किरदार खूबसूरत लगे। इस कारण फिल्म ऐसी खूबसूरत पेंटिंग बन गई जिसमें जान नहीं है। एक बड़ा मुद्दा उठाने की कोशिश तो कर ली गई, लेकिन जब भार नहीं उठा तो उसे बीच में ही छोड़ दिया गया। क्लाइमैक्स में एक ट्विस्ट दिया गया है, जो मानसी और वीर के लिए सहानुभूति जगाता है, लेकिन तब तक देर हो चुकी होती है। 
 
फिल्म का जिस तरह का सेटअप है, उस पर हीरो के रूप में अंशुमन झा फिट नहीं लगे। वीर के रूप में उन्हें स्वीकारने में वक्त लगता है। ज़रीन खान फिल्म का सरप्राइज़ हैं। उन्होंने मानसी के ‍किरदार को अच्छी तरह से अभिनीत किया है। कैमरे के सामने वे सहज लगी हैं। अन्य कलाकारों के पास ज्यादा अवसर नहीं थे। 
 
कुल मिलाकर ‘हम भी अकेले तुम भी अकेले’ ऐसी फिल्म है जो कहना बहुत चाहती है लेकिन ठीक से एक्सप्रेस नहीं कर पाती। 
 
निर्माता : फर्स्ट रे फिल्म्स
निर्देशक : हरीश व्यास
कलाकार : ज़रीन खान, अंशुमन झा
स्ट्रीमिंग ऑन : डिज़्नी प्लस हॉटस्टार 
रेटिंग : 2/5 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Nick Jonas से नहीं इस एक्टर से Priyanka Chopra की शादी करवाना चाहते थे घरवाले