भारत में एनिमेशन फिल्म बनाने वालों को रामायण और महाभारत बेहद प्रिय है क्योंकि एनिमेशन फिल्में ज्यादातर बच्चों को ध्यान में रखकर बनाई जाती है और रामायण तथा महाभारत में बच्चों को आकर्षित करने का स्कोप बहुत ज्यादा है।
हनुमान वर्सेस महिरावरण एक रात की कहानी है। दिन का युद्ध खत्म होने पर रावण को प्रभु श्रीराम कहते हैं कि वे उसका अगले दिन वध कर देंगे। रावण चिंताग्रस्त हो जाता है। ऐसे समय उसे अपने सौतेले भाई महिरावण की याद आती है जो मायावी राक्षस है।
महिरावण को रावण, राम और लक्ष्मण का वध करने को कहता है। महिरावण अपने मायाजाल के जरिये राम और लक्ष्मण का रात में अपहरण कर लेता है। जब हनुमान को यह पता चलता है तो वे राम और लक्ष्मण को वापस लाने के लिए पाताल लोक जाते हैं। महिरावण के शिकंजे से किस तरह वे दोनों भाइयों को बचाते हैं यह फिल्म का सार है।
हनुमान और महिरावण की यह कहानी बहुत ज्यादा लोगों को पता नहीं है इसलिए यह कहानी अच्छी लगती है, लेकिन इस कहानी में इतना मसाला नहीं था कि डेढ़ घंटे तक दर्शकों को बांध कर रखा जा सके। लिहाजा कई जगह फिल्म खींची हुई लगती है। फिल्म के शुरुआत में विभीषण को मारने कोशिश वाला प्रसंग महज फिल्म की लंबाई बढ़ाने के ही काम आता है और फिल्म की मुख्य कहानी से इसका कोई खास संबंध नहीं लगता।
फिल्म में गति तब ही आती है जब हनुमान पाताल लोक के लिए निकलते हैं और रास्ते में उनका सामना खतरनाक कीड़ों और फूलों से होता है। इसके पहले फिल्म ठहरी हुई लगती है।
महिरावण की शक्तियों का जिक्र सिर्फ संवादों के जरिये ही किया गया है। यदि उसे शक्तिशाली दिखाने वाले दृश्य दिखाए जाते तो मजा बढ़ सकता था। चूंकि फिल्म बच्चों को ध्यान में रख कर बनाई गई है इसलिए थोड़ा हास्य भी फिल्म में शामिल किया जा सकता था, जिसकी बहुत गुंजाइश भी थी। फिल्म में हास्य की कमी खलती है। छोटे बच्चों को तभी बांधा जा सकता है जब उन्हें थोड़ा हंसाया जाए और इस बात का फिल्म से जुड़े लोगों को ध्यान रखना था।
यह पूरी कहानी एनिमेशन के जरिये बताई गई है और थ्री-डी इफेक्ट्स के जरिये रोचकता बढ़ाने की कोशिश की गई है। विदेशी फिल्में एनिमेशन और तकनीक के मामले में भारतीय एनिमेशन फिल्मों से कहीं आगे हैं, लेकिन 'हनुमान वर्सेस महिरावण' का प्रयास भी सराहनीय कहा जा सकता है। कहीं-कहीं जरूर बजट और तकनीक की कमी का असर फिल्म पर दिखाई देता है, लेकिन पूरी फिल्म की बात की जाए तो एनिमेशन के मामले में यह औसत से बेहतर है। महिरावण के पाताल लोक को अच्छी तह पेश किया गया है।
फिल्म के संवाद सरल भाषा में रखने की कोशिश की गई है, हालांकि हिंदी के बीच उर्दू शब्द भी सुनने को मिलते हैं। बॉलीवुड स्टाइल में एक गाना भी राम पर फिल्माया गया है जो कि इस तरह की फिल्म में बिलकुल मिसफिट है।
हनुमान वर्सेस महिरावण को एक अच्छा प्रयास कहा जा सकता है। फिल्म को छोटा रखा जाता तो बेहतर होता। देखने जाए तो ज्यादा उम्मीद लेकर न जाएं।
निर्माता : राजीव चिलका
निर्देशक : एज्हिल वेंडन
सेंसर सर्टिफिकेट : यू * 1 घंटा 31 मिनट 18 सेकंड