Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

चोक्ड: पैसा बोलता है फिल्म समीक्षा : गायब है अनुराग कश्यप का पंच

हमें फॉलो करें चोक्ड: पैसा बोलता है फिल्म समीक्षा : गायब है अनुराग कश्यप का पंच

समय ताम्रकर

, शुक्रवार, 5 जून 2020 (18:30 IST)
हाल ही में प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक बासु चटर्जी का निधन हुआ है जिनकी फिल्मों के किरदार मध्यवर्गीय या निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों से होते थे जो जिंदगी की जद्दोजहद में खुश रहने का तरीका ढूंढ लिया करते थे। 
 
इसी निम्न मध्यवमवर्गीय किरदारों को लेकर अनुराग बसु ने 'चोक्ड: पैसा बोलता है' बनाई है। अनुराग डार्क और इंटेंस किरदारों को लेकर फिल्म बनाने के लिए जाने जाते हैं जिसकी धुरी पैसा, अपराध और सेक्स के इर्दगिर्द घूमती है। संवादों में अपशब्दों की भरमार होती है। 
 
अनुराग ने अपनी चिर-परिचित छवि को तोड़ने का प्रयास इस फिल्म के जरिये किया है। चोक्ड में एक भी गाली नहीं है और न ही बेडरूम दृश्य हैं। 
 
सरिता पिल्लई (सैयामी खेर) मुंबई में एक बैंक में काम करती है। नोट गिनने में पूरा दिन उसका खर्च हो जाता है और बाद का सारा वक्त घर, पति और बच्चे की देखभाल में बीतता है। 
 
पति सुशांत (रोशन मैथ्यू) निकम्मा है। कर्ज ले कर पत्नी की परेशानी बढ़ाता है। पैसों के अभाव में दोनों की शादी में से 'प्यार' की हवा निकल चुकी है। 
 
फिल्म 2016 के अक्टोबर और नवम्बर महीने में सेट है। सरिता की बिल्डिंग में उसके जैसे ही लोग हैं जिनके सपने और खुद के बीच पैसे नामक पुल गायब है। 
 
सरिता के किचन के बेसिन की लाइन बार-बार चोक हो जाती है। एक रात लाइन चोक होती है, पानी बहने लगता है और पानी के साथ-साथ पोलिथिन में पैक किए नोट बाहर आते हैं। इसे सरिता भगवान की कृपा मानती है। 
 
रोजाना रात को यह सिलसिला चलने लगता है। पांच सौ के नोट गंदे पानी के साथ बाहर आते हैं। इस बारे में सरिता किसी को कुछ नहीं बताती। बैंक जाकर वह नोटों की पड़ताल भी करती है तो वो नोट असली रहते हैं। 
 
इसी बीच प्रधानमंत्री मोदी पांच सौ और एक हजार के नोट को बंद करने की घोषणा करते हैं। सरि‍ता चिंतित होती है, लेकिन कुछ ही दिनों में दो हजार के नए नोट निकलना शुरू हो जाते हैं। अब ये नोट कैसे आए? किसके हैं? ये सब बातें फिल्म के आखिरी दस मिनट में बाहर आती हैं। 
 
सरिता की इस कहानी के साथ नोटबंदी से उपजी समस्या, नोटों को बदलवाने के लिए लगी लंबी लाइनें, लोगों की परेशानियां, नए नोट के साथ सेल्फी, नए नोट में चिप होने की अफवाह, बुजुर्गों की परेशानी, उस घर की चिंताएं जहां तुरंत शादी होने वाली है, कुछ लोगों को उम्मीद है कि काला धन बाहर आएगा और उनका खुशियां मनाना जैसी तमाम बातें भी समेटी गई हैं। 
 
अनुराग कश्यप की फिल्मों की बड़ी ताकत उसका मजबूत लेखन होता है। इस फिल्म में वे मजबूत लेखन के अभाव में 'चोक्ड' होते हुए नजर आए। एक निर्देशक के रूप में उन्हें जो तगड़ा मसाला चाहिए था उन्हें नहीं मिला। 
 
फिल्म का प्लॉट दमदार है, लेकिन जिस तरह से इसे फैलाया गया है वो इसका असर खत्म कर देता है। नोट कैसे गंदे पानी से बाहर आ रहे हैं इसको लेकर जो सस्पेंस बुना गया है वो इतना ज्यादा लंबा हो गया है कि थोड़ी उकताहट होने लगती है। 
 
सरिता का गायिका बनने का सपना था, जो अतीत की एक घटना से चौपट हो गया। बार-बार उस बात को भी दृश्यों के माध्यम से दिखाया गया है, लेकिन इसका कोई गहरा असर कहानी पर नहीं पड़ता है। लगता है कि यह बात केवल फिल्म की लंबाई बढ़ाने के लिए ही दर्शाई गई है। 
 
नोटबंदी वाला ट्रेक सतही है। फिल्म में संकेत दिए गए हैं कि कुछ लोगों ने इसको लेकर 'अच्छे दिन' की उम्मीद बांध ली, लेकिन बेईमानों ने अपना नुकसान नहीं होने दिया और काम निकाल लिया। फिल्म के आखिरी दस मिनट बेहतरीन है जब बातों से पर्दा उठता है और ये पल रोमांचित करते हैं। 
 
अनुराग कश्यप का निर्देशन, कहानी और स्क्रिप्ट के मुकाबले बेहतरीन है। वे हमेशा कलाकारों से अच्‍छा काम लेते हैं और यहां भी उन्होंने यह काम बखूबी किया है। 
 
एक मध्यमवर्गीय परिवार की जद्दोजहद को उन्होंने ठीक से दर्शाया है। हालांकि बासुदा और ऋषिदा की तरह इन किरदारों में वे ज्यादा रंग नहीं भर सके, लेकिन अपने निर्देशकीय कौशल के जरिये उन्होंने दर्शकों को फिल्म से जोड़े रखा।  
 
फिल्म का सरप्राइज सैयामी खेर का अभिनय है। उन्होंने इस किरदार के लिए थोड़ा वजन बढ़ाया, नॉन ग्लैमरस लुक को अपनाया और बेहतरीन अभिनय किया। निश्चित रूप से यह फिल्म सैयामी के करियर के लिए अहम साबित होगी। 
 
रोशन मैथ्यू, अमृता सुभाष, राजश्री देशपांड सहित तमाम कलाकार अपने किरदारों में ढले नजर आते हैं। फिल्म की सिनेमाटोग्राफी जबरदस्त है और कई सीन बेहतरीन शूट किए गए हैं। गाने अर्थपूर्ण हैं। 
 
कुल मिलाकर 'चोक्ड: पैसा बोलता है' में से वो 'पंच' गायब है जिसके लिए अनुराग जाने जाते हैं। 
 
निर्माता : नेटफ्लिक्स, गुड बैड फिल्म्स 
निर्देशक : अनुराग कश्यप 
कलाकार : सैयामी खेर, रोशन मैथ्यू
* नेटफिल्क्स पर उपलब्ध * 16 वर्ष से ज्यादा उम्र वालों के लिए * अवधि: लगभग दो घंटे 
रेटिंग : 2.5/5 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

क्या 'नागिन 5' का हिस्सा होंगे आसिम रियाज? बताया सच