कैंडी वेब सीरिज एक डार्क थ्रिलर है जिसमें मर्डर मिस्ट्री, टीनएजर्स में नशे की लत, ड्रग्स का व्यवसाय करने वाले लोग और भ्रष्ट नेताओं के मकड़जाल की कहानी को दिखाया गया है। निर्देशक आशीष आर शुक्ला ने सीरिज को डार्क लुक दिया है और माहौल बनाने में वे शुरुआती एपिसोड में सफल भी हुए हैं, लेकिन लेखकों की टीम उनका साथ नहीं दे पाई इसलिए चौथे एपिसोड के बाद सीरिज बिखर जाती है और अंत में जो रहस्य खुलते हैं वो दर्शकों को निराश करते हैं।
उत्तराखंड में रूद्रकुण्ड नामक एक शहर बताया गया है जो खूबसूरत घाटियों से घिरा है। जयंत पारेख (रोनित रॉय) एक स्कूल टीचर है। वह और उसकी पत्नी अवसाद से घिरे हुए हैं जैसा कि आमतौर पर ज्यादातर वेबसीरिज में दिखाया जाता है। जयंत की टीनएज बेटी ने आत्महत्या कर ली थी।
जयंत के स्कूल के एक लड़के की हत्या कर दी गई है जिसका ठीकरा मसान पर फोड़ दिया गया है। मसान यानी कि एक काल्पनिक राक्षस जिससे शहर के लोग भयभीत रहते हैं। रुद्रकुण्ड शहर पर वायु और उसके पिता कब्जा जमाना चाहते हैं जिसको लेकर दोनों में मतभेद है। ये किस्सा मिर्जापुर सीरिज की याद दिलाता है।
वायु बेहद बिगड़ैल युवा है जिसके डीएसपी रत्ना (रिचा चड्ढा) से संबंध हैं। रत्ना इस केस की जांच बेहद लापरवाही से करती है। जयंत कुछ सबूत भी उपलब्ध कराता है, जिसे रत्ना इग्नोर कर देती है। जयंत को पता चलता है कि उसके स्कूल के बच्चे न केवल ड्रग्स की लत का शिकार हो चुके हैं बल्कि लड़कियों के साथ रेप भी हो रहा है। पुलिस, नेता और गुंडों से अकेला जयंत लड़ता है, लेकिन यह लड़ाई आसान नहीं है।
ड्रग्स, रेव पार्टीज़, मास्क वाला विलेन, मसान का खौफ को लेकर शुरुआती एपिसोड रचे गए हैं जो सीरिज में दिलचस्पी जगाते हैं। कहानी को विस्तार अच्छा दिया गया है और सधे हुए निर्देशन ने बांध कर भी रखा है। लेकिन जब कहानी को समेटने की बात आती है तो 'केंडी' औंधे मुंह गिरती है।
हत्या और ड्रग्स के पीछे कौन है, जब इस बात से परदा हटता है तो दर्शक ठगा सा महसूस करते हैं। खलनायकों को देख लगता नहीं कि ये इतना खौफनाक काम कर सकते हैं। जिस तरह से वे बड़े-बड़े कारनामे करते हैं उसके लिए वे बिलकुल भी फिट नजर नहीं आते। कास्टिंग डायरेक्टर की यह बड़ी चूक है।
लेखकों को कहानी का अंत करते नहीं आया। चूंकि दर्शकों को चौंकाना था इसलिए कुछ भी परोस दिया गया। यह सब करने के पीछे जो तर्क दिए गए हैं वो भी बहुत ही हल्के हैं।
मूल कहानी के साथ कुछ और कहानियां भी जोड़ी गई हैं जैसे एक नेता की अवैध रिश्ते से जन्मी लड़की की कहानी, जो महज लंबाई बढ़ाने के ही काम आती है। जिस तरह से 'वायु' को खलनायक के रूप में कुछ ज्यादा ही फोकस किया गया, उससे ही समझदार दर्शक यह बात पकड़ लेते हैं कि यह सारा काम वायु का नहीं है। वायु के साथ रत्ना क्यों संबंध रखती है, इस सवाल का जवाब भी नहीं मिलता।
रोनित रॉय के किरदार को इतना उजाड़ और उदास रखा है कि हैरत होती है। इसकी कोई जरूरत नहीं थी। इसी तरह से स्कूल प्रिंसीपल और चर्च के फादर के किरदार भी बचकाने हैं। फादर और प्रिंसीपल की नियुक्ति कई सवाल पैदा करती हैं।
आशीष आर शुक्ला का बतौर निर्देशक काम अच्छा है और लेखकों की अच्छी टीम मिले तो वे और बेहतर कर सकते हैं।
रोनित रॉय का अभिनय बेहतर है। रिचा चड्ढा कई बार ओवरएक्टिंग का शिकार नजर आईं। मनुरिषी चड्ढा सहित अन्य कलाकारों का अभिनय औसत दर्जे का है।
कुला मिलाकर 'कैंडी' की पैकेजिंग तो अच्छी है, लेकिन स्वाद के मामले में यह फीकी है।
निर्देशक: आशीष आर. शुक्ला
कलाकार : रोनित रॉय, रिचा चड्ढा, मनुरिषी चड्ढा
ओटीटी प्लेटफॉर्म : वूट सिलेक्ट
सीजन : 1, एपिसोड : 8