26 अप्रैल 1948 को कोलकाता में जन्मी मौसमी चटर्जी ने हिंदी और बंगाली फिल्मों में एक अभिनेत्री के रूप में सफल पारी खेली है। अपने दौर में उन्होंने तमाम बड़े निर्देशकों और कलाकारों के साथ काम किया है।
मौसमी ने 1967 में बंगाली फिल्म 'बालिका बधू' से अपना करियर शुरू किया था जिसका निर्देशन तरुण मजूमदार ने किया था। यह फिल्म सफल रही और इसके बाद मौसमी के पास ऑफर्स की झड़ी लग गई।
मौसमी उस समय 10वीं कक्षा की छात्रा थीं और उनकी इच्छा थी कि वे पहले अपनी पढ़ाई पूरी करे, लेकिन परिस्थितियों को कुछ और ही मंजूर था।
फिल्म और पढ़ाई तो छोड़िए उन्हें तो शादी करनी पड़ी जिसके बारे में उन्होंने दूर-दूर तक सोचा नहीं था। वो भी एक आंटी की जिद के कारण।
मौसमी की एक आंटी बेहद बीमार थी। बिस्तर पकड़ लिया था। बचने की कोई उम्मीद नहीं थी। उन्होंने जिद पकड़ ली कि उनकी आखिरी इच्छा है कि मौसमी की शादी देखें।
ऐसा फिल्मों में नहीं बल्कि हकीकत में भी होता है। आखिरकार आंटी की जिद के आगे सभी को झुकना पड़ा। आखिरी ख्वाहिश का जो सवाल था।
मौसमी के पड़ोस में प्रसिद्ध संगीतकार और गायक हेमंत कुमार का घर था। उनके बेटे जयंत मुखर्जी (बाबू) से मौसमी की शादी करा दी गई।
शादी के बाद मौसमी बाबू से प्यार करने लगी। उनका कहना था कि जयंत पहले ऐसे मर्द थे जो उनके परिवार से बाहर के थे और जिनके वे संपर्क में वे आईं।
बहरहाल शादी के बाद मौसमी ने फिल्मों में अपने काम के सिलसिले को आगे बढ़ाया और कई उम्दा फिल्मों का हिस्सा रहीं।