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फिल्म शर्माजी की बेटी का ट्रेलर रिलीज, दिखी आम महिलाओं की जिंदगी की कहानी

हमें फॉलो करें फिल्म शर्माजी की बेटी का ट्रेलर रिलीज, दिखी आम महिलाओं की जिंदगी की कहानी

WD Entertainment Desk

, बुधवार, 19 जून 2024 (16:36 IST)
Sharmajee Ki Beti Trailer: प्राइम वीडियो ने अपनी आने वाली स्लाइस ऑफ लाइफ कॉमेडी फिल्म 'शर्माजी की बेटी' का एक ज़बरदस्त ट्रेलर रिलीज कर दिया है। अप्लॉस एंटरटेनमेंट द्वारा प्रस्तुत और एलिप्सिस एंटरटेनमेंट प्रोडक्शन द्वारा निर्मित इस फिल्म को ताहिरा कश्यप खुराना ने लिखा और निर्देशित किया है। 
 
इस फिल्म में साक्षी तंवर, दिव्या दत्ता, और सैयमी खेर मुख्य भूमिकाओं में हैं, उनके साथ ही वंशिका तपारिया, अरिस्ता मेहता, शारिब हाशमी और परवीन डबास भी प्रमुख भूमिकाओं में हैं। यह फिल्म अलग-अलग परिवारों से आने वाली मध्यवर्गीय महिलाओं की अनेक पीढ़ीयों की कहानी के भीतर आकांक्षाओं, सपनों और समझदार बनने के पलों को दर्शाती है। 
 
फिल्म का प्रीमियर 28 जून को भारत और 200 से अधिक देशों और क्षेत्रों में प्राइम वीडियो पर किया जाएगा। भावनाओं और हंसी-मज़ाक के उतार-चढ़ाव भरे सफ़र का वादा करने वाली, शर्माजी की बेटी का ट्रेलर दर्शकों को तीन ख़ास महिलाओं के जीवन का एक हिस्सा बना देता है, सभी का पारिवारिक नाम 'शर्मा' है, हर स्त्री अपनी-अपनी मुश्किल और अलग तरह की चुनौतियों का सामना करती है। 
 
ज्योति, एक मध्यमवर्गीय परिवार की होनहार औरत, एक पत्नी और मां के तौर पर अपनी ज़िम्मेदारियों के साथ अपने काम-काज को भी संतुलित करने का प्रयास करती है। किरण, एक जिंदादिल गृहिणी, पटियाला से मुंबई पहुंचने के बाद अपनी दुनिया को उलट-पलट पाती है, फिर भी ऐसा करना उसे अपने असली स्वरूप को ढूंढने में मदद करता है। 
 
तन्वी, एक युवा क्रिकेट खिलाड़ी जो मैदान पर आसानी से छक्के मारती है, उसे अपने बॉयफ्रेंड को यह समझाने के लिए जूझना पड़ता है कि उसकी महत्वाकांक्षायें शादी से कहीं अधिक हैं। इसके अलावा, यह ट्रेलर शर्मा नाम वाली दो किशोरियों के ज़िंदगी की एक छोटी सी झलक दिखाता है जो बड़े होने की चुनौतियों — मासिक धर्म के रहस्यों से लेकर ख़ुद को समझने तक का सामना करती हैं।
 
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इस फ़िल्म की लेखिका और निर्देशक ताहिरा कश्यप खुराना ने कहा, शर्माजी की बेटी मेरे लिए एक सपने के सच होने जैसा है। यह फ़िल्म मेरे लिए केवल इसलिए खास नहीं है क्योंकि यह मेरे निर्देशन की पहली फिल्म है, बल्कि इसलिए भी क्योंकि इसने मुझे मेरे दिल के बहुत करीब रहने वाले विषय - महिला सशक्तिकरण को और भी बेहतर ढंग से जानने का मौका दिया है। यह हल्की-फुल्की, व्यंगात्मक कहानी मध्यम वर्ग की महिलाओं के रोज़मर्रा के संघर्षों, जीत और विविध अनुभवों को प्रस्तुत करती है। 
 
साक्षी तंवर कहती हैं, जब मैंने पहली बार स्क्रिप्ट पढ़ी, तो इसने मेरे अंदर कई तरह की भावनायें जगा दीं। बेबसी और दुख भरे पलों से लेकर गर्व और खुशी के पलों तक, यह फ़िल्म आधुनिक, नए ज़माने की महिलाओं के उत्सव के तौर पर मेरे दिल को छू गई। शर्माजी की बेटी महिलाओं के लिए एक बेहद ज़बरदस्त आह्वान है कि वे अपना अस्तित्व ऊंचा रखें और इस बात पर गर्व करें कि हम कौन हैं और हम क्या हासिल कर सकते हैं। 

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