स्टेट प्रेस क्लब मध्य प्रदेश के द्वारा आयोजित तीन दिवसीय भारतीय पत्रकारिता महोत्सव का आयोजन चल रहा है और इस दौरान महान गीतकार शैलेन्द्र पर भी एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। शैलेन्द्र हिंदी फिल्मों के लिए लिखने वाले महान गीतकारों में से एक थे। बरसों पुराने गीत भी श्रोता आज भी चाव से सुनते हैं। जीवन के हर फलसफे पर गीत लिखने में वे माहिर थे। अगला वर्ष उनका जन्म शताब्दी वर्ष होगा और कई आयोजन होंगे, लेकिन यह सिलसिला इंदौर से शुरू हो गया।
शैलेन्द्र पर एक सारगर्भित कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें शैलेन्द्र के कई यादगार गीतों, सजन रे झूठ मत बोलो, मेरा जूता है जापानी, किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार, आवारा हूं, सब कुछ सीखा हमने न सीखी होशियारी, दोस्त दोस्त न रहा, को आलोक बाजपेयी और राजेश बादल ने स्वरों से सजाया। दोनों गायक पूरी मस्ती में गाकर समां बांध रहे थे।
इस कार्यक्रम की सबसे अच्छी बात यह है कि बात केवल गीतों तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि शैलेन्द्र पर बातचीत भी हुई। उनके किस्से सुनाए गए। महान गीतकार के बारे में कई ऐसी बातें बताई गईं, जो बहुत ही कम लोग जानते थे। वीडियो क्लिपिंग का सहारा भी लिया गया जिसमें शैलेन्द्र के बेटे और बेटी ने अपने महान पिता के बारे में बात की।
राजेश बादल के पास शैलेन्द्र के बारे में चर्चा करने के लिए कई किस्से थे जिनका जिक्र वे गीतों के बीच-बीच में करते रहे। बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी नोएडा के निदेशक डॉ हरिवंश चतुर्वेदी भी कार्यक्रम में मौजूद थे और उन्होंने भी शैलेन्द्र के गीतों का गंभीरतापूर्वक विश्लेषशण किया और बताया कि दर्द, रोमांस, जीवन दर्शन के बारे में शैलेन्द्र सरल शब्दों में गीत लिख दिया करते थे।
राज कपूर के लिए शैलेन्द्र ने कई गीत लिखे। फिल्म 'बरसात' से शीर्षक गीत लिखने का चलन शैलेन्द्र ने ही शुरू किया और फिर कई फिल्मों के टाइटल सांग उन्होंने लिखे। कार्यक्रम का फॉर्मेट बहुत उम्दा था और लगभग ढाई घंटे तक चले इस कार्यक्रम ने दर्शकों को जकड़ कर रखा।