बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद ने बंबई उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रूख किया है जिसमें मुंबई के जुहू इलाके में उनकी आवासीय इमारत में कथित अवैध निर्माण को लेकर बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के नोटिस के खिलाफ उनकी अपील खारिज कर दी गई थी।
सोनू सूद की याचिका में दावा किया गया है कि बदलाव के लिए उनके आवेदन को महाराष्ट्र तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण (एमसीजेडएमए) के अधीन नगर आयुक्त द्वारा मंजूरी दी गई है।
इसमें कहा गया है कि 13 जनवरी, 2021 के उच्च न्यायालय के आदेश को महाराष्ट्र क्षेत्रीय और नगर नियोजन अधिनियम, 1966 की धारा 43 (1) के प्रावधानों पर विचार किए बिना पारित किया गया है और उनके आवासीय परिसर को एक आवासीय होटल में बदलने के लिए उनका आवेदन 2018 में संबंधित विभाग के समक्ष प्रस्तुत किया गया था।
सोनू सूद और उनकी पत्नी द्वारा याचिका में कहा गया है, याचिकाकर्ताओं ने आंतरिक नवीकरण के काम को पहले ही रोक दिया है, जिसके लिए महाराष्ट्र क्षेत्रीय और नगर नियोजन अधिनियम, 1966 की धारा 43 के प्रावधानों के अनुसार कोई अनुमति की आवश्यकता नहीं है, इसलिए, प्रतिवादियों को इमारत में पहले से किए गए नवीनीकरण के काम को ध्वस्त करने से रोका जा सकता है।
उच्च न्यायालय ने अभिनेता की याचिका को खारिज कर दिया था। सूद के वकील ने गत अक्टूबर में बीएमसी द्वारा जारी नोटिस का अनुपालन करने के लिए 10 सप्ताह का समय मांगा था और उच्च न्यायालय से नगर निकाय को विध्वंस कार्रवाई शुरू नहीं करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।
उच्च न्यायालय ने हालांकि ऐसा करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि अभिनेता के पास पहले पर्याप्त अवसर था और यदि आवश्यक हो, तो वह नगर निकाय से संपर्क कर सकते हैं। सोनू सूद के वकील ने उच्च न्यायालय में कहा था, याचिकाकर्ता (सूद) ने इमारत में कोई ऐसा बदलाव नहीं किया है जिसमें बीएमसी से अनुमति की जरूरत हो। केवल वे बदलाव किये गये जिनकी महाराष्ट्र क्षेत्रीय और नगर नियोजन (एमआरटीपी) अधिनियम के तहत अनुमति दी गई है।
बीएमसी के अनुसार बॉलीवुड अभिनेता ने छह मंजिला आवासीय इमारत शक्ति सागर में संरचनात्मक बदलाव किए हैं और आवश्यक अनुमति के बिना उसे एक होटल में बदल दिया है। बीएमसी ने इस महीने के शुरू में जुहू थाने में एक शिकायत भी दर्ज कराई थी जिसमें बिना अनुमति के आवासीय इमारत को एक होटल में कथित तौर पर बदलने के लिए सूद के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया गया था।
बीएमसी ने इमारत का निरीक्षण किया था और पाया था कि सूद ने नियमों का कथित तौर पर पालन नहीं किया और पिछले साल अक्टूबर में उन्हें नोटिस दिए जाने के बाद भी अवैध निर्माण जारी रहा। इसके बाद पुलिस को शिकायत पत्र भेजा गया था। पुलिस ने अभी मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं की है।