संजय दत्त के जीवन पर आधारित फिल्म 'संजू' का ट्रेलर रिलीज हो गया है। ट्रेलर में दिखाया गया है कि संजय दत्त नशेड़ी थे। 350 लड़कियों के साथ वे सो चुके हैं। बड़े गर्व से बताते हैं कि इसमें वेश्याएं शामिल नहीं है। उनकी गिनती अलग है। अवैध हथियार रखने के जुर्म में जेल की हवा भी खाई है।
ये सब बातें ट्रेलर में इस तरह से बताई गई है मानो संजय दत्त ने बहुत बड़ा काम किया हो। ट्रेलर की वाह-वाही हो रही है। ठीक है, रणबीर कपूर का अभिनय कमाल का है। लगता ही नहीं कि रणबीर को देख रहे हैं। ऐसा लगता है कि संजय दत्त ही सामने हैं।
अहम सवाल यह है कि क्या नशेड़ी, औरतखोर और अपराध कर चुके संजय दत्त की फिल्म देखना आप पसंद करेंगे? संजय दत्त ने ऐसा तो कोई तीर नहीं मारा कि उनके जीवन पर फिल्म बनाई जाए। सुभाष घई जैसा निर्देशक यह काम करे तो भी सह सकते हैं, लेकिन राजकुमार हिरानी जैसे बेहतरीन निर्देशक को क्या इससे बेहतर और कोई विषय नहीं मिला?
क्या यह संजय दत्त का अहसान चुकाया जा रहा है क्योंकि हिरानी की पहली फिल्म 'मुन्नाभाई एमबीबीएस' को शाहरुख खान ने करने से मना कर दिया था और संजय दत्त इस फिल्म का हिस्सा बने। क्या यह दोस्ती तो नहीं निभाई जा रही है? क्या यह संजय दत्त की छवि को सुधारने की कोशिश तो नहीं है? ऐसे तमाम सवाल सामने खड़े हैं।
नि:संदेह, आम आदमी को इससे मतलब नहीं है। वह तो मनोरंजन के लिए टिकट खरीदता है। संजय दत्त जब जेल में थे तब भी उनकी फिल्में रिलीज हुईं और सफल भी हुईं। सलमान खान पर भी कई मुकदमे चले, लेकिन इससे उनकी फिल्मों की आय पर कोई असर नहीं हुआ। दर्शकों को मतलब नहीं है कि परदे के बाहर उनका हीरो असल में कैसा इंसान है। उसे तो परदे पर चल रहे घटनाक्रमों में ही रूचि है।
फिर भी फिल्म देखने के पहले सभी को यह सवाल खुद से पूछना चाहिए कि क्या इस तरह के आदमी के जीवन पर बनी फिल्म का टिकट खरीदना चाहिए?