ऐसे बदलते माहौल में जहां भारतीय, आर्थिक सुरक्षा, आत्मनिर्भरता और नवीनता के लिए मैदान तलाश रहे हैं, वहीं शार्क इंडिया बिल्कुल सही समय पर पर्दे पर आया है। यह शो वाकई धारा से हटकर है, जो दिखाता है कि कैसे बदलते भारत की नई सोच को मिल रहा है एक नया मंच, जहां उभरते बिज़नेसमैन के सपने होंगे सच।
अपनी लॉन्च के कुछ ही हफ्तों में 'शार्क टैंक इंडिया' ने दर्शकों में भारी दिलचस्पी जगा दी है और यह शो काफी चर्चित हो गया है। हाल ही में मध्यप्रदेश के इंदौर की सास-बहू की जोड़ी और इकोप्रेन्योर्स - सुरभि शाह और चेतना शाह का एक अनोखा बिज़नेस आइडिया पेश किया गया। दोनों 'काराग्रीन' नाम से अपना व्यवसाय चलाती हैं, जो वाजिब दामों पर इको फ्रेंडली प्रोडक्ट्स उपलब्ध कराती है।
सास-बहू की इस जोड़ी को पीयूष बंसल और अनुपम मित्तल से 20% इक्विटी के लिए 50 लाख रुपए की डील मिली। प्लास्टिक से भरी इस दुनिया में काराग्रीन एक पर्यावरण अनुकूल समाधान उपलब्ध कराती है। वनों की कटाई एवं प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण और प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोकने, इसके पुन:उपयोग और पेपर को रीसायकल करने के मिशन के साथ काराग्रीन वाजिब दामों पर जैविक रूप से विघटित होने और खाद में परिवर्तित होने वाले उत्पाद मुहैया कराती है।
काराग्रीन के जरिए सास-बहू की यह जोड़ी ऐसे अभिनव प्रोडक्ट्स उपलब्ध कराती है, जो वाजिब दामों पर डिस्पोज़ेबल प्लास्टिक का एक उत्तम विकल्प है। काराग्रीन की फाउंडर सुरभि शाह बताती हैं, शुरुआत से ही मेरी सास और मैं बायोडिग्रेडेबल प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल को बढ़ावा देने और प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के बारे में गंभीरता से सोच रहे हैं।
उन्होंने कहा, हम में से बहुत-से लोग स्ट्रॉ, चम्मच, प्लेट आदि प्लास्टिक के उत्पादों का उपयोग करने के आदी हो गए हैं और हमें इसका एहसास ही नहीं होता। यह सिंगल यूज़ प्रोडक्ट्स माने जाते हैं और इन्हें इस्तेमाल के बाद तुरंत फेंक दिया जाता है, जिससे हमारे पर्यावरण पर खतरनाक प्रभाव पड़ता है। हमारी कंपनी प्लास्टिक पर निर्भर रहने की इस मानसिकता को बदलने और इको-फ्रेंडली विकल्प अपनाने की दिशा में एक छोटा-सा कदम है।
मुझे खुशी है कि शार्क्स को हमारा यह आइडिया जंच गया। मैं काराग्रीन में निवेश करने के लिए पीयूष बंसल और अनुपम मित्तल को धन्यवाद देना चाहूंगी। मैं शार्क टैंक इंडिया की भी शुक्रगुजार हूं, जिसने हमें अपने विचार को लाखों लोगों तक पहुंचाने के लिए एक मंच दिया। हम वाकई लोगों को जागरूक बनाना चाहते हैं और उन्हें ऐसे विकल्प देना चाहते हैं, जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी को कोई खतरा ना हो।