बॉलीवुड एक्ट्रेस अनु अग्रवाल 11 जनवरी को अपना 54वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रही हैं। अनु अग्रवाल को 'आशिकी गर्ल' के नाम से भी जाना जाता है। साल 1990 में रिलीज हुई महेश भट्ट की फिल्म 'आशिकी' से अनु अग्रवाल रातोरात स्टार बन गई थीं।
'आशिकी' के बाद अनु अग्रवाल के घर के बाहर निर्देशकों की लाइन लगी रहती थी। उन्हें एक के बाद एक फिल्में ऑफर होने लगी। लेकिन दुर्भाग्य से अनु का स्टारडम ज्यादा दिनों तक नहीं रहा और एक एक्सीडेंट में उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई। इस सड़क दुर्घटना में अनु को कई गंभीर चोटें आई थीं।
यह हादसा इतना भयानक था कि अनु अग्रवाल महीना भर कोमा में रही और उनकी याद्दाश्त भी जा चुकी थी। अनु अग्रवाल का पूरा चेहरा डैमेज हो गया था। 3 साल तक उनका इलाज चला। इस हादसे से उभरने में उन्हें कई साल लग गए और तब तक उनका फिल्मी करियर खत्म हो चुका था।
बीते दिनों ईटाइम्स' को दिए एक इंटरव्यू में अनु अग्रवाल ने अपने साथ हुए इस भयानक हादसे के बारे में बात की थी। एक्ट्रेस ने कहा था, यह सिर्फ कठिन नहीं था, यह जीवन या मृत्यु का मामला था। मैं कोमा में थी। सवाल मेरे ठीक होने का नहीं था, लेकिन क्या मैं जिंदा रहूंगी, इसका था।
उन्होंने कहा था, मैं 29 दिनों तक कोमा में थी। आधा शरीर पैरालाइज्ड था और गंभीर चोटें आई थीं। किसी ने नहीं सोचा था कि मैं कभी खड़ी होऊंगी लेकिन मैंने पॉजिटिव रहने की कोशिश की। मेरी बॉडी में कई सारे फ्रैक्चर्स हुए थे, शरीर एक लाख टुकड़ों में टूट गया था। लेकिन मुझे पूरा यकीन था कि मैं ठीक हो जाऊंगी। मुझे याद है जब मैं उठी, तो मुझे लगा कि मैं एक नवजात बच्चे की तरह हूं। लेकिन मुझे वापस उछलने में काफी समय लगा, मुझे सालों लग गए।
इस एक्सीडेंट में अनु अग्रवाल का चेहरा बुरी तरह डैमेज हो गया था। लोग उन्हें कॉस्मेटिक सर्जरी करवाने की सलाह देते थे। इस बारे में एक्ट्रेस ने कहा था कि आज कोई भी इसका सुझाव नहीं देता है, क्योंकि मैं सभी के देखने के लिए तरोताजा हो गई हूं। दूसरी ओर, अब लोग सोचते हैं कि मेरी सर्जरी हुई है क्योंकि मेरा चेहरा एक दशक पहले के चेहरे से अलग दिखता है। दुर्घटना के बाद मेरी टूटी हड्डियों को ठीक करने के लिए और मेरे शरीर के लिए कई सर्जरी हुई लेकिन बस मेरे जिंदा रहने के लिए।
बता दें कि एक्सीडेंट के बाद 2001 में अनु अग्रवाल ने संन्यास ले लिया था और अपना सिर मुंडवा लिया था। अनु ने एक इंटरव्यू में बताया था कि मैं शुरु से ही योग करती थी और 1997 में मैंने उत्तराखंड के आश्रम में योगा सीखा। अनु अब इंडस्ट्री से दूर रहकर अपना एक फाउंडेशन चलाती है जिसमें वह गरीब बच्चों को मुफ्त में योगा सिखाती हैं। इसके अलावा वह एक पावरलिफ्टर हैं और उन्होंने कई वेट लिफ्टिंग प्रतियोगिताओं में भाग भी लिया है।
Edited By : Ankit Piplodiya