Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

सिनेमा में मां: मदर इंडिया से मॉम तक

हमें फॉलो करें सिनेमा में मां: मदर इंडिया से मॉम तक

समय ताम्रकर

, रविवार, 12 मई 2024 (07:05 IST)
मां को भगवान के ऊपर दर्जा दिया गया है और हर व्यक्ति के जीवन में मां का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। मां का अपनी संतान से विशेष रिश्ता है और इसे फिल्मों में बखूबी उकेरा गया है। बॉलीवुड के लंबे इतिहास पर नजर दौड़ाएंगे तो कई ऐसी फिल्में मिल जाएंगी जिनमें मां को बेहद सशक्त तरीके से पेश किया गया है। यहां तक कि कई बार वो हीरो पर भी भारी पड़ती नजर आती है। यूं तो कई यादगार किरदार और परफॉर्मेंस मिल जाएंगे। यहां चर्चा करते हैं उन परफॉर्मेंस और किरदारों की जो ने केवल लंबे समय तक याद किए गए बल्कि उसमें मां का अलग रूप भी नजर आया। 

1) मदर इंडिया (1957) में नरगिस 

इस फिल्म की गिनती भारत की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में होती है। भारत से इसे ऑस्कर के लिए भी भेजा गया था। मां की भूमिका नरगिस ने निभाई थी और यह उनके करियर का सर्वश्रेष्ठ अभिनय था। मां का यह किरदार और रूप इतना लोकप्रिय हुआ कि वर्षों तक इस तरह के किरदार फिल्ममेकर्स गढ़ते रहे, दोहराते रहे और सफलता हासिल करते रहे। मजेदार बात यह है कि दर्शक भी इससे बोर नहीं हुए। यह ऐसी मां थी जिसे उसका पति भंवर में छोड़ कर चला जाता है। गरीबी, सामाजिक विषमताएं, छोटे बच्चों को पालने जिम्मेदारी जैसी कई समस्याओं से वह जूझती है, लेकिन हिम्मत, संघर्ष, सच और उम्मीद का सहारा नहीं छोड़ती। उसके दोनों बेटे विपरीत दिशा में चलते हैं। एक बेटा गलत राह पर चलता है तो 'मदर इंडिया' उसे गोली मारने से भी नहीं चूकती। इस फिल्म में जबरदस्त ड्रामा देखने को मिलता है जो दर्शकों को झकझोर देता है। नि:संदेह 'मदर इंडिया' बॉलीवुड में मां की भूमिकाओं की गंगोत्री साबित हुई। 'दीवार' की 'मां' में भी हम 'मदर इंडिया' को पाते हैं। 

2) खूबसूरत (1980) में दीना पाठक 

इस फिल्म का सेंट्रल कैरेक्टर भी मां है। लेकिन यहां मां का अलग ही रूप है। वह सख्त है। अनुशासन उसके लिए सर्वोपरि है। उसका खौफ है। वह हंसना नहीं जानती। उसका जीवन घड़ी की सुइयों से बंधा हुआ है। किस तरह से अनुशासन उसके जीवन के आनंद में बाधा बनता है, किस तरह से अनुशासन की बेड़ियां खुलती हैं और जीवन में रस आने लगता है यह इस कॉमेडी फिल्म में दिखाया गया है। मां का यह किरदार हिंदी फिल्मों के लिए अनोखा है।

3) करण अर्जुन (1995) में राखी 

पुनर्जन्म पर आधारित यह फिल्म जब राकेश रोशन बना रहे थे तो कई लोगों को इसकी कहानी पर यकीन नहीं था कि कैसे एक मां जानती है कि उसके बेटे मरने के बाद फिर जन्म लेंगे और बदला लेंगे। लेकिन राकेश रोशन ने राखी के किरदार को इतना सशक्त बनाया कि इस मां के यकीन पर सबको यकीन हो गया कि करण अर्जुन आएंगे और मेरा बदला लेंगे। 'करण अर्जुन' टिपिकल बॉलीवुड फॉर्मूला फिल्म है, लेकिन राखी का किरदार बेहद हिट रहा और आज भी कई लोगों को यह याद है। 

4) नील बटे सन्नाटा (2016) में स्वरा भास्कर 

घर में काम करने वाली महिला जिसे बोलचाल की भाषा में 'बाई' कहा जाता है इस फिल्म का लीड कैरेक्टर है और इसके पहले इस किरदार को मुख्य भूमिका में लेकर शायद ही कोई फिल्म बनी हो। स्वरा भास्कर ने यह भूमिका निभाई है। यह मां नहीं चाहती कि उसकी बेटी भी उसकी तरह बने। पढ़े-लिखे और कलेक्टर बने। लेकिन जब वह यह देखती है कि बेटी का ध्यान पढ़ाई में नहीं है तो वह भी उसके स्कूल में पढ़ने के लिए एडमिशन लेती है। फिल्म में इस बात को बेहद खूबसूरती से दिखाया गया है। मां का यह अंदाज पहले किसी बॉलीवुड मूवी में देखने को नहीं मिला था। कुछ यही अंदाज हेलीकॉप्टर ईला में भी देखने को मिला। 

5) मॉम (2017) में श्रीदेवी 

मां बेहद कोमल हृदय और ममतामयी होती है, लेकिन बात जब हद से बढ़ जाए और उसकी संतान पर जब बुरा साया पड़ती है तो वह 'चंडी' का रूप धारण कर लेती है। यहां मॉम एक आधुनिक महिला है। उसकी बेटियां हैं। बेटियां जब खतरे में आती है तो यह मॉम अपना शक्ति रूप दिखाती है।  

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

जब वी मेट की शूटिंग के दौरान हो गया था शाहिद-करीना का ब्रेकअप, इम्तियाज अली ने बताया शूट पर कितना पड़ा असर?