मेरा नाम जोकर की असफलता ने निर्देशक राज कपूर को झकझोर दिया था। उनकी काबिलियत पर सवाल खड़े कर दिए गए। आर्थिक संकट खड़ा हो गया। ऐसे मुश्किल हालात में राज कपूर टूटे नहीं और उन्होंने एक ऐसी सफल फिल्म बनाने का निश्चय किया जो उनके संकट दूर कर दे। अपने बेटे ऋषि कपूर को लेकर उन्होंने एक टीनएज लव स्टोरी बनाने का फैसला लिया। इस तरह से बॉबी से ऋषि कपूर का बतौर नायक सफर शुरू हुआ।
बॉबी एक 'कल्ट' फिल्म है जिसका असर 47 वर्षों बाद भी आज की फिल्मों में भी नजर आता है। बॉबी जैसी फिल्म बॉलीवुड में पहले कभी नहीं आई थी। युवा कलाकारों की ताजगी ऐसी कभी दिखाई नहीं दी थी। बॉबी को लोगों ने हाथोंहाथ लिया और राज कपूर तमाम संकट से मुक्त हो गए। बॉलीवुड को एक नया हीरो ऋषि कपूर मिल गया।
वह समय कुछ ऐसा था जब हिंदी फिल्मों की कहानियों और प्रस्तुतिकरण मे बदलाव की आंधी चल रही थी। रोमांटिक फिल्मों की बजाय एक्शन फिल्में पसंद की जाने लगी थी। राजेश खन्ना रोमांटिक हीरो थे और अमिताभ बच्चन की एक्शन फिल्मों के आगे उनके पैर उखड़ने लगे थे।
ऋषि कपूर की जैसी शख्सियत थी उन पर रोमांटिक फिल्में ज्यादा जंचती थी। उस समय वे 20-21 साल के थे। एक्शन करना उन्हें रास नहीं आता था। बदलती हवा को देख राजेश खन्ना भी एक्शन फिल्म करने लगे। ऋषि कपूर के सामने समस्या खड़ी हो गई, लेकिन उन्होंने रोमांस का सहारा नहीं छोड़ा। एक्शन की आंधी का सामना उन्होंने रोमांस के तिनके के सहारे बखूबी किया और लंबी तथा सफल पारी खेली।
ऋषि कपूर को एक फायदा ये भी मिला कि उस दौर में उनकी उम्र का कोई बड़ा सितारा आसपास नहीं था। राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, धर्मेन्द्र, विनोद खन्ना़, जीतेन्द्र 'परिपक्व पुरुष' लगते थे और ऋषि कपूर में 'लड़कपन' नजर आता था। वे कॉलेज जाने वाले छात्र लगते थे। इसलिए रोमांटिक फिल्म बनाने वाले निर्माता-निर्देशक ऋषि को साइन किया करते थे।
ऋषि ने अमिताभ, धर्मेन्द्र, विनोद खन्ना के साथ भी खूब फिल्में की। एक्शन का डिपार्टमेंट ये हीरो संभालते थे और युवाओं का मनोरंजन ऋषि कपूर अपने रोमांस के जरिये किया करते थे।
ऋषि बेहद खूबसूरत थे। लड़कियां उन पर फिदा थी। युवा लड़के उनका फैशन कॉपी किया करते थे। लोगों को रोमांस करना ऋषि ने ही सिखाया। बढ़िया कपड़े पहन रोमांटिक गाने करना उनका एक स्टाइल बन गया। पेड़ों के इर्दगिर्द हीरोइन के साथ रोमांस करने में ऋषि को महारथ हासिल थी। दूसरे हीरो ऐसा करते थे तो इसमें 'मजा' नहीं आता था। ऋषि तो पेड़ के साथ भी रोमांस कर सकते थे।
स्वेटर को उन्होंने फैशनेबल बनाया। महिलाएं उनके स्वेटर्स की डिजाइन को कॉपी किया करती थीं ताकि वे उस तरह के स्वेटर्स बना सके। उस दौर में स्वेटर्स बुनना भी एक फैशन था।
लड़के ऋषि से यह सीखते थे कि स्वेटर्स किस तरह पहनना है। कभी ऋषि स्वेटर्स को कंधे पर रखते थे तो कभी कमर पर बांध लिया करते थे।
गानों के मामले में ऋषि भाग्यशाली रहे। उन्हें बेहतरीन धुनें मिलीं। उन पर फिल्माए कई गीत हिट रहे जिनके जरिये वे हीरोइनों के साथ रोमांस करते रहे।
कई युवा हीरोइनों को ऋषि के साथ अपना करियर शुरू करने का मौका मिला। ऋषि अपनी अदाओं से रोमांटिक फिल्मों के बड़े हीरो बन गए और उन्होंने अपनी लाइन अलग खींचते हुए बढ़िया पारी खेली।
कैरेक्टर आर्टिस्ट के रूप में ऋषि कपूर की दूसरी पारी ओर भी बेहतरीन रही। इस पारी में रोमांस को छोड़ उन्होंने वो सब कुछ किया तो पहले नहीं कर पाए थे। विलेन बने। 'गे' कैरेक्टर निभाया। खड़ूस बुड्ढे बने। इस पारी के जरिये ऋषि ने बताया कि वे बहुत कुछ जानते हैं। चूंकि उनकी जवानी के दिनों में इस तरह की फिल्में नहीं बनती थीं इसलिए वे रोमांस तक ही सीमित रहे।