भारतीय फिल्म निर्माण में ऐतिहासिक भूमिका अदा करने वाले फिल्मकार गुरुदत्त की मृत्यु आज तक रहस्य बनी हुई है। 9 अक्टोबर 1964 की रात हुई इस मौत को शुरू में आत्महत्या निरूपित किया गया तथा कहा गया कि इस आत्महत्या के पीछे पत्नी गीता दत्त से अनबन तथा नायिका वहीदा रहमान से भावानत्मक लगाव प्रमुख कारण था।
इन कारणों को आधारहीन बताते हुए उनके बेटे तरुण दत्त ने पिता की मृत्यु के 23 साल बाद एक बयान जारी कर सबको चौंका दिया था।
इस बयान के अनुसार गुरुदत्त ने आत्महत्या नहीं की थी बल्कि किन्हीं अज्ञात हत्यारों ने उनकी हत्या कर दी थी। बकौल तरुण दत्त, उनकी मां गीता दत्त और गुरुदत्त के बीच तनाव समाप्त हो चुका था।
वहीदा रहमान से संबंध लगभग टूट चुके थे। उस रात दत्त साहब ने माला सिन्हा को फोन कर अगली फिल्म की शूटिंग की योजना भी बनाई थी। फ्लैट पर उसी रात अबरार अल्वी तथा आयकर के वकील उनसे मिलने आए थे।
तरुण दत्त का कहना है कि उनके पिता को खबर कर दी गई थी कि आयकर विभाग का छापा पड़ने वाला है। इसलिए कई भारी-भारी बक्से और विदेशी व्यवसाय से संबंधित फाइलें बाहर भेजी गई थीं।
वे बक्से और फाइलें कभी वापस लौट कर नहीं आई। इस स्थिति में यही प्रतीत होता है कि धन के लालच में की गई इस हत्या को किन्हीं कुटिल तत्वों ने कुशलतापूर्वक आत्महत्या का रूप दे दिया।