Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

फिर से शहंशाह, जया बच्चन ने लिखी थी कहानी

हमें फॉलो करें फिर से शहंशाह, जया बच्चन ने लिखी थी कहानी

समय ताम्रकर

, बुधवार, 25 मार्च 2020 (06:30 IST)
अमिताभ बच्चन से अक्सर एक संवाद की फरमाइश की जाती है। 'रिश्ते में हम तुम्हारे बाप लगते हैं नाम है शहंशाह', यह संवाद अमिताभ को न चाहते हुए भी कई बार कार्यक्रमों में बोलना पड़ता है। यह संवाद शहंशाह फिल्म का है जो 1988 में रिलीज हुई थी। 
 
खबरें आ रही है कि इसका रीमेक फिल्म के निर्देशक टीनू आनंद बनाना चाहते हैं और अमिताभ भी इसमें महत्वपूर्ण रोल निभाएंगे। टीनू ने लंबे समय से फिल्म निर्देशित नहीं की है। वे फिल्मों में पिछले कुछ सालों से आए बदलावों से तालमेल नहीं बैठा पाए और इसलिए चाह कर भी फिल्म निर्देशित नहीं कर सके। 
 
शहंशाह के जरिये वे फाइनेंसर्स को आकर्षित कर सकते हैं। हालांकि इन खबरों के पीछे ठोस आधार नहीं है और समय-समय पर बॉलीवुड में इस तरह की खबरें दौड़ाई जाती हैं। 
 
शहंशाह एक साधारण फिल्म थी जिसे कामयाबी इसलिए मिली क्योंकि अमिताभ ने इस फिल्म के जरिये लंबे समय बाद कमबैक किया था। वे अपने दोस्त राजीव गांधी के कहने पर राजनीति के अखाड़े में कूद गए थे। उन्होंने चुनाव लड़ा और एक दिग्गज नेता को पटखनी भी दी। 

webdunia

 
लेकिन जल्दी ही इस अखाड़े में लहूलुहान हो गए क्योंकि विरोधियों के दांवपेंचों से परिचित नहीं थे। राजनीति के कारण उन्होंने लंबे समय से फिल्म नहीं की थी और शहंशाह के जरिये वापसी की। 
 
शहंशाह फिल्म अमिताभ ने 1983 में ही साइन कर ली थी। शूटिंग शुरू करने के तीन दिन पहले ही उनका फिल्म 'कुली' के सेट पर एक्सीडेंट हो गया और इसके बाद वे जीवन और मृत्यु के बीच लंबे समय तक संघर्ष करते रहे। 
इसके बाद राजनीति में चले गए। राजनीति में असफलता के बाद उन्हें फिल्मी दुनिया की याद आई तो उन्होंने शहंशाह को वापसी के रूप में चुना। 
 
इस फिल्म की कहानी का मूल आइडिया अमिताभ की पत्नी जया बच्चन का था जिसे टीनू के पिता इंदर राज आनंद ने विस्तार दिया था, जिनकी मृत्यु फिल्म के रिलीज होने के पहले ही हो गई थी। 
 
1983 में जब यह फिल्म शुरू होने वाली थी तब हीरोइन के रूप में डिम्पल कपाड़िया को चुना गया था। वर्षों बाद जब फिल्म शुरू हुई तो डिम्पल की जगह मीनाक्षी शेषाद्रि ने ले ली।
 
शहंशाह की कहानी कुछ ऐसी रहती है कि दिन के समय अमिताभ एक भ्रष्ट पुलिस ऑफिसर रहते हैं और रात में वे शहंशाह बन कर दुश्मनों को मजा चखाते हैं। शहंशाह के रूप में अमिताभ के लिए विशेष गेटअप तैयार करवाया गया। सफेद बालों की विग बनवाई गई। 
 
अमिताभ की जो कॉस्ट्यूम थी उसका वजन 18 किलो ग्राम था। बीमारी के बावजूद अमिताभ ने उस कॉस्ट्यूम को पहना और घंटों शूटिंग की। अमिताभ का यही समर्पण और अनुशासन उन्हें सफलता की चोटी तक ले गया। उन्होंने ज्यादातर भूमिकाएं दर्द सहते हुए निभाई हैं और इतने अच्छे अभिनेता है कि कैमरा भी यह बात पकड़ नहीं पाता।  
 
इस फिल्म की शूटिंग के दौरान अमिताभ और टीनू आनंद में जोरदार झगड़ा हो गया था। एक सीन में टीनू आनंद चाहते थे कि अमिताभ पुलिस यूनिफॉर्म पहने जबकि अमिताभ ब्लैज़र पहनने पर अड़ गए। दोनों झुकने के लिए तैयार नहीं थे और गर्मागर्म बहस भी हो गई। 
 
बात जब टीनू के पिता इंदरराज आनंद तक पहुंची तो उन्होंने अमिताभ को समझाया कि क्यों इस सीन में उनका यूनिफॉर्म पहनना जरूरी है। आखिरकार अमिताभ माने और शूटिंग आगे बढ़ी। 
 
फिल्म जब रिलीज हुई तो दर्शक इस फिल्म को देखने के लिए टूट पड़े। उन्होंने लंबे समय से अमिताभ को बिग स्क्रीन पर नहीं देखा था। टिकटों की कालाबाजारी हुई। सिनेमाघर में सुबह 5 बजे से शो शुरू हो गए थे और टिकट के लिए लंबी लाइनें देखी गईं। 
 
क्रिटिक्स को फिल्म पसंद नहीं आई, लेकिन आम दर्शकों ने इसे हिट बनाया। डेढ़ करोड़ रुपये में तैयार इस फिल्म ने अपनी लागत का चार गुना व्यवसाय बॉक्स ऑफिस से किया। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कोरोना वायरस : क्वारनटीन में टाइगर श्रॉफ नहीं इस शख्स के साथ समय बिता रहीं दिशा पाटनी