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सिने-मेल (7 अगस्त 2007)

हमें फॉलो करें सिने-मेल (7 अगस्त 2007)
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प्रिय पाठको,
वेबदुनिया के बॉलीवुड सेक्शन में नित नई, मनोरंजक, आकर्षक, दिलचस्प और चटपटी सचित्र जानकारियाँ देने की हमारी कोशिश रहती है। इन्हें पढ़कर आपको कैसा लगता है, हम जानना चाहते हैं।

आपकी बॉलीवुड संबंधी प्रतिक्रिया और सुझाव हम ‘सिने-मेल’ में प्रकाशित करेंगे। हमें इंतजार है आपके ई-मेल का।

दो कम पचास के हुए संजय दत्त पढ़ा। मुझे लगता है कि संजय एक बहुत ही अच्छे इंसान है। वे न चाहते हुए भी परे‍शानियों से घिर गए हैं। जहाँ तक स्वर्गीय सुनील दत्तजी का सवाल है, तो एक बाप अपने बेटे के लिए बहुत सारी हदें पार कर जाता हैं, लेकिन वे केवल मंदिर-मस्जिद ही गए। कभी कानून से ऊपर नहीं गए। संजय को कम से कम सजा होनी चाहिए।
- युवराज सिंह त्यागी (victorin@redifmail.com)
- चंदन कुमार झा (jha_kumar2007@yahoo.co.in)

चक दे इंडिया से मुझे बहुत उम्मीदें हैं। यह फिल्म हॉकी जैसे पिछड़े खेल पर आधारित है, लेकिन मेरा मानना है कि इसके बाद लोगों की हॉकी में रूचि बढ़ेगी।
- मोहम्मद शरीफ (shahid_mish@yahoo.co.in)

कैसे कहें फिल्म की कहानी पढ़कर मुझे लगा कि यह फिल्म दर्शकों को आकर्षित करेगी। आजकल के लोग सिर्फ पैसे के पीछे भागते हैं, उनके जीवन में प्यार और भावनाओं का कोई स्थान नहीं है। प्यार और करियर दो अलग-अलग चीज है। करियर के जरिये आप सब कुछ पा सकते हैं, लेकिन प्यार नहीं। प्यार और करियर के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी होता है। मुझे लगता है कि फिल्म का अंत दर्शकों को संतुष्ट करने में सक्षम होगा।
- सत्यजीत चौधरी (chowdhury_satyajit@yahoo.com)

गाँधी माय फादर शानदार फिल्म है। हरीलाल वो अंधेरा है जो महात्मा के चिराग तले दब कर रह गया।
- नेहा कवठेकर (sknehap@webdunia.com)
- बीएस परमार (bs4011124@webdunia.com)
- संतोष जैन (santosh.vipul@gmail.com)

डेविड धवन उन लोगों में से है जिनकी फिल्में कुछ देर के लिए दु:खी व्यक्तियों को हँसाती है। मैं डेविड, सलमान और गोविंदा को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि उन्होंने ‘पार्टनर’ जैसी फिल्म के जरिये हमारा मनोरंजन किया।
- कृष के. रामटेके (krrishu_143@webdunia.com)

सलमान और उनकी प्रेमिकाएँ आलेख बेहद अच्छा लगा।
- संदीप ठाकुर (sandips10@webdunia.com)

ऐश्वर्या के लिए नायकों की कमी पसंद आया।
- गुरुदत्त (sardagigurudatta@yahoo.co.in)

आपके द्वारा लिखा हुआ आलेख फिल्मों के नाम में सावन मुझे पसंद आया। इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देना चाहूँगा।
- मंगेश (mukesh_umale@yahoo.com)


मैं किशोर कुमार का बहुत बड़ा प्रशंसक हूँ। मैं चाहता हूँ कि आप किशोर कुमार जैसे जीनियस कलाकार पर ज्यादा से ज्यादा सामग्री दें।
- हेमंत आचार्य (hemant_369@webdunia.com)


अजब किशोर, गजब किशोर आलेख अच्छा लगा। मैं जानना चाहता हूँ कि किशोर कुमार के कितने बच्चे हैं और वे क्या कर रहे हैं?
- दिनेश (robu3110@yahoo.co.in)
(अगर आपने आलेख ध्यान से पढ़ा हों तो उसमें दे रखा है कि उनके दो बेटे हैं। अमित कुमार और सुमित कुमार। अमित प्रसिद्ध गायक हैं और सुमित भविष्य में गायन के क्षेत्र में दिखाई दे सकते हैं।)

अजब किशोर, गजब किशोर तथा पाँच रुपैया बारह आना आलेख हमें बेहद पसंद आएँ। किशोर कुमार एक महान कलाकार थे।
- रईस (raeespatrkar@yahoo.co.in)
- अभि (jeet_abhi1@epatra.com)

कैश देखने के बाद मुझे ऐसा लगा कि हर चमकती चीज़ सोना नहीं होती।
- कृष के. रामटेके (krrishu_143@webdunia.com)

आपका सुरूर एक बहुत ही खराब फिल्म है। हिमेश यदि संगीतकार ही बने रहें तो यही उनके लिए बेहतर रहेगा। मेरी उनको सलाह है कि वे दो नाव की सवारी ना करें।
- डा. हेमंत आचार्य (hemant_369@webdunia.com)

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