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सिने-मेल (2 जनवरी 2008)

हमें फॉलो करें सिने-मेल (2 जनवरी 2008)
प्रिय पाठको, वेबदुनिया के बॉलीवुड के सेक्शन में नित नई, मनोरंजक, आकर्षक, दिलचस्प और चटपटी सचित्र जानकारियाँ देने की हमारी कोशिश रहती है। इन्हें पढ़कर आपको कैसा लगता है, हम जानना चाहते हैं।
आपकी बॉलीवुड संबंधी प्रतिक्रिया और सुझाव हम ‘सिने-मेल’ में प्रकाशित करेंगे। हमें इंतजार है आपके ई-मेल का

‘कहाँ हैं तारे जमीं पर?’ आलेख बहुत उम्दा और विचारोत्तेजक है। फिल्मकार हमें मूर्ख बना रहे हैं। फिल्म बनाते समय यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि दर्शक कुछ न कुछ संदेश लेकर घर जाएँ।
डॉ. अल्केश जैन (jainalkesh@gmail.com)

‘कहाँ हैं तारे जमीं पर?’ में मैं लेखक के विचार से पूर्ण सहमत हूँ। आजकल के ज्यादातर फिल्मकार और कलाकारों के लिए व्यावसायिक सफलता ही सब कुछ है। मार्केटिंग के जरिये हासिल की गई सफलता की उम्र बहुत छोटी होती है। जैसे ही मीडिया में प्रायोजित आलेख या समीक्षाएँ प्रकाशित होना बंद हो जाएँगी, इन लोगों को कोई नहीं पूछेगा। दर्शकों को मूर्ख बनाकर ये लोग अपना बैंक-बैलेंस बढ़ा रहे हैं। हम दर्शक ‘डिसलेक्सिया’ से पीडि़त हैं और कलाकारों को स्टार और फिल्मों को हिट बना रहे हैं।
डॉ. रजनीश कुटुम्बले (drkutumbale@rediffmail.com)

अपनी नई फिल्म ‘शो बिज़’ के जरिये महेश भट्ट ने जायज मुद्दा उठाने की कोशिश की है। भारतीय मीडिया के बारे में सच्चाई यह है कि अखबार या चैनल की लोकप्रियता बढ़ाने के चक्कर में वे सेलिब्रिटीज़ का उपयोग कर रहे हैं। उनकी निजी जिंदगी के बारे में उतनी ही चर्चा की जानी चाहिए जितना उनको पसंद है। मीडिया की तरह फिल्में भी सामाजिक मुद्दों को जनता के सामने लाने का एक सशक्त माध्यम हैं। अगर महेश भट्ट ने मीडिया द्वारा किए जा रहे अतिक्रमण को लेकर सवाल उठाए हैं तो यह जायज और समयानुकूल है।
रजनीश कांत (kantr@zeenetwork.com)

ऐश्वर्या के गर्भवती होने के प्रति ‍मीडिया इतना चिंतित क्यों है? किसी स्त्री का गर्भवती होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। मीडिया अपनी हद को पार नहीं करें।
लाला राम (meenalalaram@yahoo.com)

‘कहाँ हैं तारे जमीं पर?’ पढ़ा। मैं लेखक की बात से सहमत नहीं हूँ। आजकल हर किसी के स्वाद के अनुसार फिल्में बन रही हैं। जिसको जो फिल्म देखनी हो, वह देखे।
डॉ. रतन सहजपाल (docratan@gmail.com)

‘कहाँ हैं तारे जमीं पर’ आलेख बहुत उम्दा लगा। लेखक बधाई के पात्र हैं।
सुनीता पाटीदार (sonu_patidar1976@yahoo.com)
लावेन्द्र कुमार (laven456@epatra.com)

‘वर्ष 2007 की फिल्मों का बॉक्स ऑफिस विश्लेषण’ आलेख बहुत ही अच्छा लगा। आशा है कि भविष्य में भी ऐसे लेख पढ़ने को मिलते रहेंगे।
अनिल राज (anil_raj200793@yahoo.com)

‘कहाँ हैं तारे जमीं पर’ में शानदार विश्लेषण किया गया है। बहुत दिनों बाद कोई उम्दा आलेख पढ़ने को मिला।
शिबू (Shibu.kurian@webdunia.com)

गीत गंगा स्तंभ में ‘तुम संग लागी बलम मोरी अंखियाँ’ पढ़ा। अजातशत्रुजी द्वारा लिखी गीत गंगा में गीत की चर्चा पढ़कर उसे सुनने की ललक पैदा होती है। आप गीत के साथ लिंक भी देना शुरू कर दें तो आनंद दोगुना हो जाएगा।
लावण्य (lavnis@gmail.com)

फिल्म ‘तारे जमीं पर’ में बाल कलाकार दर्शील का काम मुझे बहुत अच्छा लगा। उसका दुनिया देखने का नजरिया मुझे भावुक कर गया।
भारत भूषण (bharat_bhushan_1982@indiatimes.com)

‘तारे जमीं पर’ एक शानदार फिल्म है। इस फिल्म को देख मुझे बचपन याद आ गया। बच्चे क्या सोचते हैं ये जान पाना बहुत कठिन है। बच्चों के दिमाग की कोई सीमा नहीं होती है।
बालभद्र सिंह चौहान (balbhadra_singh92@yahoo.com)

‘तारे जमीं पर’ इतनी लाजवाब है कि इसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। दर्शील सफारी का अभिनय बेहतरीन है। आमिर खान महान कलाकार के साथ जबरदस्त निर्देशक भी हैं। फिल्म दिल को छूती है और फिल्म की कहानी अद्‍भुत है। इस फिल्म को ऑस्कर के लिए नामांकित किया जाना चाहिए।
अभिषेक बासीवाल (abhishek_basiwal@yahoo.co.in)

‘वेलकम’ फिल्म देखकर ज्यादा मजा नहीं आया। यह एक औसत फिल्म है।
नितिन सिंह (nitinkrbest@gmail.com)

जैसा कि ‘तारे जमीं पर’ की समीक्षा में लिखा गया है, आमिर बहुत प्रतिभाशाली हैं। वे हर काम को पूरे दिल से करते हैं। शायद इसीलिए हमारे सामने इतनी उम्दा फिल्म आई।
अरविंद (api_arvind@rediffmail.com)

‘तारे जमीं पर’ देख हैरत होती है कि आज भी इतनी उम्दा फिल्म बनाई जा रही है। आमिर जैसे फिल्मकार बच्चों के बारे में सोच रहे हैं। यह बच्चों और उनके माता-पिता के रिश्तों को अच्छी तरह बयां करती है। मेरे विचार से हर माता-पिता और हर बच्चे को यह फिल्म देखनी चाहिए। माता-पिता और बच्चें दोनों को इससे समझने में मदद मिलेगी।
दीपाली प्रणामी (prathamin2002@yahoo.com)

सलमान और उनकी प्रेमिकाएँ आलेख बहुत उम्दा लगा। मेरे खयाल से कैटरीना भी सलमान का फायदा उठाने के बाद उससे दूरी बना लेगी। सलमान बहुत अच्छे इंसान हैं और उन्हें हमेशा भलाई के बदले में बुराई मिलती है।
अरविंद (api_arvind@yahoo.co.in)

आमिर, आपने बहुत अच्छी फिल्म बनाई है। फिल्म की कहानी, अभिनय, संवाद सभी शानदार हैं। यह फिल्म सभी को देखनी चाहिए।
दुर्गा लहाँगीर (durga_lahangir@rediffmail.com)
अनिल ताम्रे (aniltamare@yahoo.co.in)
गेहेन्द्र (gehendrag@yahoo.com)

मैं एक अध्यापक हूँ। मैंने ‘तारे जमीं पर’ देखी। यह फिल्म एक नई दिशा दिखाती है। आमिर के विचार अद्‍भुत है।
प्रवीण (khumanp@yahoo.com)

आमिर खान जो भी करते हैं, दिल से करते हैं। सबसे अच्छी बात ये है कि वो अपना काम पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ पूरा करते हैं। हर फिल्म का एक विषय होता है जिसे देखकर दिमाग में सवाल उठते हैं। वर्तमान दौर में आमिर सबसे बेहतर हैं।
निरंजन पाटिल (nir_patil@rediffmail.com)

आमिर, तुमने एक महान फिल्म बनाई है। भविष्य में भी इसी तरह की शानदार फिल्में बनाते रहना।
राजू श्रेष्ठा (अमेरिका) (shrestha71@hotmail.com)

‘वेलकम’ फिल्म बहुत अच्छी है।
योगेश कुमार सिंह (yogi-kumar1987@yahoo.co.in)

मुझे अक्षय कुमार और कैटरीना की जोड़ी बहुत पसंद है।
गीता जुयाल (juyal.geeta@yahoo.co.in)

‘आजा नच ले’ देखकर बहुत मजा आया। सभी को यह फिल्म एक बार जरूर देखनी चाहिए।
अंकित (ankith_1988@yahoo.co.in)
साकेत (ramgarhiasaket@yahoo.com)

‘वेलकम’ फिल्म बहुत मजेदार है। अक्षय कुमार ने बेहतरीन अभिनय किया है।
मोनू सैनी (monu.421@rediff.com)
प्रमोद (Pramod_barwar@yahoo.com)

अक्षय कुमार बहुत ही प्रतिभाशाली कलाकार हैं और लगातार हिट फिल्म देकर उन्होंने भारतीय दर्शकों का दिल जीत लिया है।
विनीत (vineetorvinni@gmail.com)

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