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कैमरे के ऑन होने पर मैं अकेली होती हूं : तब्बू

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रूना आशीष

"मुझे अपनी फिल्म 'दे दे प्यार दे' करने में बहुत मज़ा आया। इस फिल्म को सिर्फ कॉमेडी मत मानिए, इसमें कई इमोशनल सीन्स भी हैं। इस फिल्म में कई ऐसे इमोशनल सीन्स हैं जो पर्दे पर अंत में कॉमिक सीन बन जाते हैं। 'दे दे प्यार दे' में कई ऐसे रिश्ते दिखाए हैं जो शायद अभी तक इस तरीके से लोगों ने पर्दे पर नहीं देखे हैं या ऐसे विषय को पेश नहीं किया गया है। इसी वजह से ये फिल्म मैंने की है।"
 
'अंधाधुंध' की सफलता के बाद तब्बू 'दे दे प्यार दे' में अजय देवगन के साथ नज़र आ रही हैं जिसमें वह अजय की पत्नी की भूमिका में हैं। 
 
इस फिल्म में उम्र के अंतर की बात को भी दिखाया गया है? 
हाँ, जब आप ट्रेलर देखेंगे तो हो सकता है उम्र के अंतर वाली बात लगे, लेकिन इस फिल्म में हम खासतौर पर रिश्तों की बातें कर रहे हैं कि कैसे ये रिश्ते व्यक्ति की ज़िंदगी में मायने रखते हैं। कैसे उन्हें एक-दूसरे कि ज़िंदगी में पिरोया गया है। जहां तक मेरी निजी राय है तो  रिश्तों में उम्र के अंतर का पर हर किसी की अपनी सोच है कि उसे रिश्ते में क्या चाहिए। समाज ने मोटे तौर पर रिश्तों की परिभाषा तय की है। अब रिश्तों में लड़की बड़ी हो या लड़का, ये उन्हें तय करना चाहिए। प्रेम के रिश्तों में गहराई या लगाव उन्हीं दो लोगों को मालूम होती है। 
 
आपने गुलज़ार साहब से ले कर आज के निर्देशकों तक काम किया है। क्या अंतर आया है निर्देशकों में? 
सबका अपना अपना तरीका है। कोई बहुत लाड़ प्यार से काम कराते हैं। कोई थोड़ी दूरी बना कर काम कराते हैं। गुलज़ार साहब या जे.पी. दत्ता मुझसे बड़े हैं, तो मै छोटी बन काम कर लेती थी, लेकिन आज के निर्देशक या तो मेरी उम्र के हैं या मुझसे छोटे हैं तो इनके साथ समीकरण अलग तरह से जमते हैं। 
 
ऐसे में आपके काम करने के तरीके में अंतर आता है? 
नहीं। मैं उसी जोश-खरोश के साथ काम करती हूँ। निर्देशक को जो समझाना होता है वो समझा देता है, लेकिन कैमरा के ऑन होने पर मैं अकेली होती हूँ। वहां उनका हाथ पकड़ कर एक्टिंग नहीं कर सकती। 
 
करियर में ड्रीम रोल कर लिया या अभी करना बाकी है? 
मेरा हर रोल मेरे लिए ड्रीम रोल है। मैं अपने हर रोल को प्यार से निभाती हूँ। मेरी एक आदत है कि जब तक मेरे सामने वो रोल नहीं आ जाता तब तक मुझे लगता है कि मैं कर पाऊँगी या नहीं? मेरे लिए ये जानना ज़रूरी है कि जो कैरेक्टर मैं निभाने वाली हूँ वो फिल्म में कितना ज़रूरी है? फिर वो रोल चाहे रानी का रोल हो या किसी बार डांसर का। 
 
आप डायरी में क्या लिखती हैं? 
अपने खयाल, अपनी सोच और यादें लिखती हूँ। मैं बहुत घूमती हूँ, तो यात्रा संस्करम भी लिखती हूँ। कभी सोचा नहीं कि छपनी चाहिए मेरी डायरी, लेकिन कुछ पब्लिशर चाहते हैं। जिस दिन मेरे अंदर हिम्मत आ जाएगी मैं अपनी पर्सनल डायरी की किताब छपवा दूँगी। 

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