Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

तापसी पन्नू... स्पेशल इंटरव्यू

हमें फॉलो करें तापसी पन्नू... स्पेशल इंटरव्यू

रूना आशीष

'अभी तो मैं उस स्थिति में हूं, जहां मुझे ही नहीं मालूम कि मैं क्या महसूस करूं। अच्छा फील करूं कि एक के बाद एक रिलीज होने वाली हैं या दबाव महसूस करूं कि अभी तक रिजल्ट मालूम नहीं हुआ। कौन सी हिट रहेगी या कौन सी फ्लॉप रहेगी। मेरी अगले 2 महीनों में 2 साउथ और 2 हिन्दी मिलाकर 4 फिल्में रिलीज होंगी। अच्छा है कि मेरी शूटिंग चल रही है, वर्ना तो मैं पागल हो चुकी होती।'
 
तापसी पन्नू इन दिनों अपनी सफलता या परफॉर्मेंस की बातें कर रही हैं। 'सूरमा' के जरिए एक बार फिर से वे लोगों के सामने आ रही हैं। 'सूरमा' और इससे जुड़ी कई बातों के बारे में तापसी ने बात की 'वेबदुनिया' संवाददाता रूना आशीष से।
 
तापसी आपको लगता है कि हमारे देश में हॉकी को कम प्यार मिलता है?
 
सिर्फ हॉकी ही क्यों, कई सारे खेल ऐसे हैं हमारे देश में जिन्हें कम प्यार मिलता है। क्रिकेट और कुछ हद तक बैडमिंटन को अब लोग सराहने लगे हैं, वरना बाकी के गेम्स का हाल देखकर ही समझ आ जाता है। आशा है कि हमारी फिल्म से स्थिति बदले। हम सबको बताना चाहते थे कि हॉकी में भी कई लीजेंड्स रहे हैं जिनकी कहानी सुनाने लायक है। ये हमारी तरफ से कोशिश हो, बाकी तो जनता पर है कि कैसे वो इस फिल्म को देखना-परखना चाहती है और कितना प्यार उन्हें हॉकी स्टिक से होता है?
 
आप फिटनेस को कितना जरूरी मानती हैं?
 
मुझे फिट रहने का शौक है। मैं कई तरह के स्पोर्ट खेलती रही हूं। मैंने कभी भी खाना छोड़ने या डाइट करने की नहीं सोची लेकिन मैं खुद ही कुछ न कुछ नया करती रहती हूं। कभी ब्लड ग्रुप डाइट कर लेती हूं। वैसे फिल्मों में मुझे कभी पतला होने के लिए नहीं कहा गया। हमेशा लोगों ने मुझे वजन बढ़ाने के लिए ही कहा है। आप अगर 8 साल पहले की मेरी पहली फिल्म देखेंगे तो उसमें मैं थोड़ी मोटी लगी हूं और अब इतने सालों में एक तो उम्र और दूसरा मैंने अपनी बॉडी के साथ जो प्रयोग किए हैं, उस वजह से मैं हर 2 सालों में अलग दिखती हूं। 
 
आप कौन से स्पोर्ट्स खेलती रही हैं?
 
मैंने बचपन में गली-गली में जो खेल खेले जाते हैं, वो खूब खेले हैं। खासतौर पर पिट्ठू (सितोलिया)। हां, उसमें पीठ पर लगती भी खूब है। मैं स्कूल में रेस में भाग लेती थी, फिर वॉलीबॉल खेला। कद अच्छा था तो बास्केटबॉल खेला। बैडमिंटन खेलती थी और अब स्क्वॉश खेलती हूं यानी बहुत सारे खेल खेले हैं लेकिन किसी एक में भी महारत हासिल नहीं की।
 
कभी हॉकी नहीं खेली?
 
नहीं, लेकिन मैं हॉकी के बारे में जानती थी। मेरे पापा बहुत अच्छी हॉकी खेलते हैं। वो दिल्ली विश्वविद्यालय के लिए भी खेल चुके हैं। वो जब भी टीवी पर मैच देखते थे या हॉकी के बारे में बात करते थे, तो मैं भी बैठ जाती थी उनके साथ, लेकिन कभी भी मैंने हॉकी स्टिक को हाथ नहीं लगाया। वैसे तो मुझे स्पोर्ट्स का बहुत शौक है। लेकिन मुझे ऐसे स्पोर्ट्स पसंद नहीं आते जिसमें किसी न किसी को लगने का डर होता है। इन कॉन्टेक्ट वाले स्पोर्ट्स खेलना मुझे पसंद नहीं है। मुझे लगता है कि कहीं मेरी वजह से किसी को लग न जाए इसलिए वो खेल मैंने ज्यादा नहीं खेले हैं। मैंने हमेशा रैकेट वाले खेल खेले हैं यानी तुम अपनी जगह, मैं अपनी जगह। 

और इस फिल्म के लिए तो हॉकी खेलनी ही पड़ी?
 
हां, जबसे इस फिल्म में मुझे मालूम पड़ा कि हॉकी खेलनी पड़ेगी, तो मैंने अपने आपको कहा कि चलो अब तो स्टिक उठानी ही पड़ेगी। इस पर मेरे पापा ने कहा कि चलो मैं सिखाता हूं तुम्हें हॉकी, तो मैंने तो साफ मना कर दिया। मुझे याद है, पापा बचपन में मुझे गणित पढ़ाते थे तब कितना डांटते थे उस समय, तो इस बार हॉकी में तो वे मुझे डांटते ही रह जाते। जब मेरी ट्रेनिंग चल रही थी तो संदीप सर ही हमें हॉकी सिखा रहे थे। उन्हें पापा के बारे में मालूम पड़ा तो वे मुझे धमकी देते थे कि और अच्छे से खेलो या बुलाऊं पापा को? 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

मदनमोहन : चमत्कारी सुरीली धुनों के बादशाह