फिल्म 'सत्यमेव जयते 2' में दिव्या खोसला कुमार एक बड़े ही दमदार रोल में दिखाई देने वाली हैं। वह इसमें जॉन अब्राहम की पत्नी का रोल करने वाली हैं और वह एक पॉलिटिशियन के रूप में भी नजर आएंगी। जाहिर है दिव्या को अभी तक पसंद किया गया है उनकी म्यूजिक एल्बम के जरिए और साथ ही निर्देशक के रूप में भी उन्हें लोगों ने पसंद किया है एक बार फिर से वह एक्टिंग की तरफ अपना रुख कर रही हैं।
फिल्म के प्रमोशन इंटरव्यू के दौरान वेबदुनिया की बात का जवाब देते हुए दिव्या ने कहा कि मैं 2003 में जब मुंबई आई थी, तब मैं 17 साल की थी। दिल्ली में मैंने मॉडलिंग की है। कई असाइनमेंट भी किए हैं। फिर लगा क्यों ना मुंबई चली जाऊं वहां पर कमर्शियल काम बहुत ज्यादा होता है और मेरे लिए बेहतर करियर बनाने का अवसर मिल सकेगा। मैंने यहां मॉडलिंग शुरू की और आते ही कुछ 6 महीने के अंदर मुझे पहली फिल्म मिल गई और वह भी 'अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों' जिसमें कि मेरे साथ अमिताभ बच्चन साहब थे और अक्षय जी भी थे।
अक्षय कुमार जैसे सुपरस्टार के सामने मैं हीरोइन बन कर आ रही थी। मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी। फिर जब मैं मॉडलिंग का सोच कर आई थी और फिल्म मिल गई तब ऐसा लगा कि इसी दुनिया में आगे बढ़ने के लिए समझने और सीखने के लिए कितनी सारी चीजें हैं। जो-जो जिंदगी में आता गया समझ में सीखने के लिए और अपने आप को बेहतर इंसान और बेहतर कलाकार बनाने के लिए मैं वह करती गई।
दिव्या आप टी सीरीज में भी सक्रिय रूप से अपनी भूमिका निभाती रही हैं।
हां जी मैं अपने ऑफिस में आकर जब-जब मौका मिलता था, काम करती थी। सबसे पहले मैंने टी सीरीज में पायरेसी डिपार्टमेंट में काम किया। उसके बाद लगा कि मैं खुद एक क्रिएटिव इंसान हूं तो क्यों ना ऐसा कोई काम या डिपार्टमेंट चुना जाए जिसमें मेरी क्रिएटिविटी का इस्तेमाल भी हो सके, फिर मैंने पॉप संगीत डिपार्टमेंट में काम करना शुरू किया। थोड़े समय बाद वहां काम करने के बाद फिर मैंने वीडियोग्राफी और स्क्रिप्टिंग यह सब सीखना शुरू किया और धीरे-धीरे अपने म्यूजिक एल्बम खुद ही निर्देशित करने लगी। फिर फिल्म निर्देशन भी शुरु किया।
पहली फिल्म के बाद आपने फिल्मों की तरफ से मुंह क्यों मोड़ लिया जबकि आपको काफी पसंद भी किया गया था?
मैं मानती हूं मैंने अपनी जिंदगी में करियर को लेकर कई रिस्क यानी जोखिम भरे कदम उठाए हैं। जब मैं अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों कर रही थी तब मेरी उम्र बहुत कम थी तो मैं कैमरा पर आने के पहले मैं नर्वस हो जाती थी। डर जाती थी और फिल्म खत्म होने के बाद मुझे लगा कि अब मैं एक्टिंग नहीं करना चाहती हूं, कुछ और करूंगी। उसके बाद फिर धीरे-धीरे जिंदगी आगे बढ़ती रही और सोचा क्यों ना फिल्म निर्देशन किया जाए फिर यारियां और सनम रे यह दो फिल्मों का निर्देशन किया।
2016 के बाद फिर मुझे लगा मुझे निर्देशन नहीं करना है और एक्टिंग पर ही अपना सारा ध्यान केंद्रित करना है। वैसे भी वह कहते हैं अगर आपकी हाथों की लकीरों में लिखा हो तो चीज आपके हाथ में आ ही जाती है किस्मत बहुत बड़ी चीज होती है। अगर आपकी किस्मत में कोई काम लिखा है तो वह आपके सामने आ ही जाएगा। भले ही आप उससे कितना भी मुंह मोड़े मेरा भी कुछ ऐसा ही हुआ। इस बॉलीवुड की दुनिया में मैंने कई चप्पल घीसी हैं। कड़ी मेहनत की है। म्यूजिक वीडियोस का निर्देशन किया है। फिल्म का निर्देशन किया है लेकिन अब मेरा सारा ध्यान एक्टिंग पर ही रहेगा क्योंकि अब मुझे लगता है कि इतना सब देख लेने के बाद और काम कर लेने के बाद मैं थोड़ी परिपक्व हो गई हूं और बेहतर तरीके से एक्टिंग कर पाऊंगी।
इस रोल को चुनने का कोई कारण
2016 में मैंने निर्णय लिया कि अब मैं एक्टिंग पर ही अपना ध्यान केंद्रित करूंगी तो जाहिर है मैं काम ढूंढने लगी, आसपास लोगों से मिलने भी लगी। ऐसे में कुछ समय बीत गया फिर लॉकडाउन भी लग गया। जब सत्यमेव जयते की बात है तो मिलाप मुझसे मिले और बोले कि यह रोल मैं करूंगी तो अच्छा रहेगा। मेरा मिलाप से एक ही सवाल था कि क्या मेरे रोल में कोई गहराई भी है। क्योंकि इतनी बड़ी फिल्में जरूरी नहीं है कि हीरोइन को बहुत कुछ काम करने का मौका या एक्टिंग दिखाने का मौका मिल ही जाए। तब मिलाप ने मुझे बताया कि एक बहुत ही मजबूत किरदार है। बहुत गहराई से सोचने वाली लड़की का है।
इसके डायलॉग भी ऐसे है कि दमदार अभिनय होना बहुत जरूरी है। तब मैं इस रोल के लिए मान गई और फिर मेरा इस फिल्म का सफर शुरू हुआ। इस फिल्म में मेरा रोल विद्या नाम की लड़की का है जो लखनऊ में है और मजबूत इरादों वाली पॉलिटिशन है। मेरे लिए यह रोल इतना मुश्किल रहा इसलिए क्योंकि मैं बिल्कुल भी ऐसी नहीं हूं। मैं बहुत ही इमोशनल लड़की हूं और फिर पॉलिटिक्स से तो दूर-दूर तक कोई ऐसा नाता नहीं रहा, ना ही लखनऊ से कोई नाता रहा है। बहुत ही चैलेंजिंग रहा मेरे लिए। अब आप फिल्म जब देखेंगे तब आपको मालूम पड़ेगा कि मैंने अच्छे से रोल निभाया है या नहीं निभाया है।
आपको पर्दे पर देख कर क्या आपके बेटे ने कोई बात कही?
मेरा बेटा जब भी मुझे पर्दे पर देखता है तो वह बहुत खुश हो जाता है। उसके चेहरे पर एक अलग सी रौनक आ जाती है और उसके चेहरे की यह चमक मुझे बहुत अच्छी लगती है। वह बिल्कुल ऐसे खुश हो जाता है जैसे कि कोई मां अपने बेटे को देखकर खुश हो जाए। जैसे मेरा बेटा आगे चलकर कोई उपलब्धि पाता है तो जो खुशी मुझे होगी वही खुशी मुझे अभी से अपने बेटे के चेहरे पर दिखाई देती है। हालांकि वह बहुत छोटा है, लेकिन उससे मुझ पर बहुत गर्व है।