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फर्जी करते समय विजय सेतुपति ने बताया कैसे सीन को बनाया जाए बेहतर : राशि खन्ना

हमें फॉलो करें फर्जी करते समय विजय सेतुपति ने बताया कैसे सीन को बनाया जाए बेहतर : राशि खन्ना

रूना आशीष

, गुरुवार, 23 फ़रवरी 2023 (17:59 IST)
मद्रास कैफे से अपने करियर शुरू करने वाली राशि खन्ना साउथ फिल्म इंडस्ट्री का जाना-माना नाम है। तमिल फिल्म हो या तेलुगु, राशि की अपनी एक पहचान है। हाल ही में फर्जी इस वेब सीरीज के जरिए लोगों ने राशि को एक बार फिर से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के गलियारों में देखा। अपने करियर के बारे में राशि में ने चुनिंदा पत्रकारों से बात की। 
 
"आज से 10 साल पहले जो मैं थी, उससे बिलकुल अलग आज हूं। यह सिर्फ मेरी ही नहीं बल्कि हर किसी की कहानी है। आज से सालों पहले आप क्या थे और अब क्या है, उस में जमीन आसमान का अंतर आ गया है। मुझे लगता है कि मैं ज्यादा परिपक्व हो गई हूं। अपनी फिल्मों और फिल्मों की चॉइस को लेकर। बहुत ज्यादा संजीदगी के साथ सोचने लगी हूं क्योंकि जब मद्रास कैसे आई थी तब हुआ कुछ यूं था कि फिल्म इंडस्ट्री में बड़ा प्यार मिला पर अचानक से मुझे साउथ फिल्म इंडस्ट्री से कई सारे ऑफर मिले। वहां गई वहां पर बहुत सारा प्यार मिला। अब हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में वापस आ रही हूं तब प्यार मिल जाए तो अच्छा रहेगा। बताना चाहूंगी कि पहले जो राशि थी, उसके पास काम और करियर के लिए कोई प्लान ऑफ एक्शन नहीं था। लेकिन अब मुझे इस काम से बहुत ज्यादा प्यार हो गया है। जितना इस फिल्म इंडस्ट्री में मैं अंदर अंदर जा रही हूं, उतना मेरा पैशन बढ़ता जा रहा है। "
 
फर्जी कैसे मिली आपको?
मैं साउथ में अच्छा काम कर ही रही थी। एक के बाद एक अच्छी फिल्में ऑफर हो रही थी और फिर आजकल तो साउथ और नॉर्थ फिल्म इंडस्ट्री में ज्यादा अंतर कहां है। एक दिन मुझे मुकेश छाबड़ा का फोन आया और उन्होंने कहा कि ऐसी एक वेब सीरीज बनाई जा रही है, हमें लगता है कि आप यह रोल कर लो। राज और डीके ने मेरा एक ऑडिशन देखा था जो मैंने कभी मुकेश छाबड़ा को भेजा था। साथ ही उन्होंने मेरी एक तेलुगू फिल्म का एक सीन देखा था और उसके बाद तय कर लिया था कि फर्जी में मेघा मैं ही बनने वाली हूं। फिर एक दिन ज़ूम कॉल हुआ जिसमें मुझे थोड़ी बहुत ब्रीफिंग दी गई और सीधे कह दिया गया वेलकम ऑन बोर्ड! 

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मैं सोचने लगी कि अरे क्या इतना आसान होता है कि आप हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कमबैक कर ले और टेक्निकली देखी जाए तो रूद्र से पहले मैंने फर्जी साइन की थी तो हिंदी में मेरा कमबैक 'फर्जी' से ही माना जाए। राज और डीके के साथ मुझे इस बात की बहुत तसल्ली थी कि जो रोल लिखा होगा, बड़ा अच्छा होगा। रोल भी आप देखिए ना कैसे मैं एक पुरुष प्रधान समाज में काम करने के लिए निकलती हूं। जहां पर मुझे अपने आप को जरूरत से ज्यादा प्रूव करके दिखाना होता है। हमेशा इस बात की शांति मन में रही कि जो भी महिला किरदार राज और डीके दिखाएंगे वो बहुत ही संजीदगी और गहराई के साथ नापतौल कर तैयार किया होगा। राज और डीके ने जब भी काम किया है उनकी महिला किरदार बहुत सशक्त दिखाई दी हैं। 
 
आप दिल्ली में पली बढ़ी है और साउथ में जाकर काम कर रही है। अब बताइए आपके अंदर पंजाबियत कितनी बची है। 
मुझे तो एक सॉलिड आईडेंटिटी क्राइसिस हो गया है। समझ नहीं आता कि मैं कहां की हूं? दिल्ली में पली-बढ़ी हूं तो दिल्ली गर्ल हूं, लेकिन साउथ में गई तो वहां रच बस गई। कई बार मुझे लगता है कि मैं वहीं की होकर रह गई हूं। मजेदार बात यह हुई कि जब मैंने फर्जी के लिए काम करना शुरू किया तो राज और डीके ने मेरे डायलॉग्स सुने और कहा आपकी हिंदी बहुत अच्छी नहीं है। आप पहले जाकर हिंदी सीखिए फिर हम आगे काम करेंगे। मुझे संतोष भी हुआ और गर्व भी कि मैं कैसे तमिल और तेलुगु सीख गई कि मेरा हिंदी का लहजा बदल गया है। मैंने फिर अपनी आवाज रिकॉर्ड कर सुनी मुझे तो पता चला कि मुझ में वह हिंदीपना नहीं रहा। हिंदी में कमबैक तो करना था तो मैंने हिंदी के लेसन भी लिए।

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विजय सेतुपति के साथ काम करने में कैसा रहा। 
मुझे बहुत अच्छा लगा और हम दोनों एक दूसरे को पसंद करते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि हमें हमारी कला से बहुत ज्यादा प्यार है। विजय बहुत ही सेल्फलेस व्यक्ति हैं। उनको हमेशा यह लगता है कि अगर मैं किसी में अच्छा लग रहा हूं तो मेरे सह कलाकार भी उतने ही अच्छे लगे। जितने डायलॉग्स मेरे हो सामने वाले के भी उतने ही डायलॉग होने चाहिए ताकि सीन उठकर आए, सुंदर लगे और लोगों को पसंद आए। इसके पहले भी मैं 2 फिल्म उनके साथ कर चुकी हूं। उन फिल्मों में मेरा रोल भी दमदार था और उन्होंने खूब मदद भी की। जब फर्जी की बात आई तो मैं खुश हो गई। उनसे मिली तो उन्होंने कहा अरे तुम तो यहां की शेरनी हो। ये तो तुम्हारी अपनी भाषा है। उस दिन हम दोनों को समझ में आया कि आज विजय जी उस हालत में है जो मैं कभी तेलुगु फिल्म के सेट पर महसूस करती थी। मैं भी उनको हिंदी समझने में मदद करती थी। आज उनकी हिंदी बहुत अच्छी हो गई है। उनकी हिंदी और मेरी तेलुगु एक समान है। हम समझते तो सब हैं, लेकिन धाराप्रवाह बोल नहीं पाते। 
 
अच्छा आप जरा बताइए आप अलग-अलग भाषाओं की फिल्म इंडस्ट्री में काम कर रही हैं। कहीं कोई पर्मनेंट एड्रेस मांगता है तो कहां का देती है। 
मैं मुंबई में हूं, चेन्नई में हूं, हैदराबाद में भी और मैं दिल्ली में भी हूं। क्योंकि मैं इन जगहों पर लगातार ट्रैवल करती रहती हूं तो मेरा पर्मनेंट एड्रेस एरोप्लेन है।  

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