- अमिताभ बच्चन को देख घबरा गई थी
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मिस इंडिया में सीखा आज भी आता है काम
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मुझे स्ट्रांग रोल मिल रहे हैं
Pooja Hegde Interview: "मैं शूटिंग के दौरान एक नीति अपनाती हूं। जैसा शूट और वहां का माहौल हो, मैं अपने आप को वैसा ढाल लेती हूं। जब मैं 'किसी का भाई किसी की जान' की शूटिंग के लिए पहुंची तो मैंने वहां की वाइब देखी और माहौल को महसूस किया। एक-दो दिन में मैं वैसी हो गई जैसा वहां का माहौल था। मुझे लगता है हम महिलाएं ऐसी ही होती हैं। जिस भी तरीके का माहौल हो, हम अपने आप को उसी में ढाल लेती हैं। मैं जब सेट पर होती हूं तो एक स्पंज की तरह काम करती हूं। जो भी आसपास हो रहा हो उसे ग्रहण कर सोख लेने की कोशिश करती हूं। जब मैंने 'सर्कस' में रणवीर सिंह के साथ काम किया था तो मुझे ऐसा लगा था कि वह सब बातों को देखते हैं, परखते हैं और जरूरी होने पर अपना लेते हैं। काश कि यह गुण मुझमें भी होता। विजय सेतुपति जी के बारे में कहूं तो वह सेट पर शांत चित्त होते हैं और ज्यादा बोलते नहीं है। यानी कि कूल तरीके से रहते हैं।"- यह कहना है पूजा हेगडे का, जो फिल्म 'किसी का भाई किसी का जान' के बारे में मीडिया से बात कर रही थीं।
मिस इंडिया में सीखा आज भी आता है काम
पूजा हेगड़े मिस इंडिया में भी नजर आई थीं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बतौर मिस इंडिया देश का प्रतिनिधित्व भी किया था। इस बारे में वेबदुनिया के सवाल का जवाब देते हुए पूजा ने कहा- ''2009 और 2010 की मेरी यात्रा और जो अनुभव था, वो आज भी काम आता है। हालांकि तब में और अब में बहुत ज्यादा अंतर आ गया है। मैं जब मिस इंडिया में भाग लेने के लिए गई थी तब मुझे कुछ नहीं आता था। मेकअप करना भी नहीं आता था। वहां जाकर सीखा, चीजें समझीं। अब रोज मेकअप करना, शूट करना, लोगों के सामने आना, रोज तैयार होने में वो सीखी बातें काम आती हैं। मैं कभी मिस इंडिया हुआ करती थी अब पैन इंडिया ऐक्ट्रेस हूं।'
अमिताभ बच्चन को देख घबरा गई थी
आप हाल ही में एक शीतल पेय में ब्रांड एंबेस्डर के तौर पर नजर आई हैं और साथ ही बच्चन साहब भी थे। कैसा रहा एक्सपीरियंस? पूछने पर पूजा जवाब देती हैं- 'खुश थी और थोड़ा डर भी रही थी कि मेरे साथ इतने बड़े कलाकार काम कर रहे हैं। क्या मैं एक्ट कर भी पाऊंगी? मेरे निर्देशक सुजीत सरकार थे और वह एकदम शांत किस्म के हैं। वह आते हैं उन्हें मालूम होता है कि शॉट किस तरीके से लेना है और काम करवा लेते हैं। मैंने अपनी घबराहट को किनारे किया और पूरा का पूरा अपना भरोसा अपने निर्देशक के नाम कर दिया। जहां तक बात बच्चन साहब की है तो मुझे मजा आया। वे कितने अच्छे हैं। मैं बचपन से देखते हुए आ रही हूं। उनकी पूजा भी करती हूं। वह कितने तरीके से तैयार होकर आते हैं। एक-एक लाइन उन्हें याद होती है। कहां रुकना है, कहां थमना है, सब मालूम होता है। मजे की बात तो यह है कि मैंने कई बड़े सितारों के साथ काम किया है, लेकिन शूटिंग के दौरान मेरे माता-पिता ने कभी फोन नहीं लगाया। लेकिन बच्चन साहब के साथ शूटिंग कर रही थीं तो उनके धड़ाधड़ फोन आ रहे थे। बार-बार पूछ रहे थे कि उनसे मिली या नहीं, शॉट कैसा रहा? जवाब देते-देते थक गई थी। जब बच्चन साहब आपके सामने होते हैं तो समझ में आता है कि वह इतने बड़े शख्सियत कैसे बने हैं। आज भी वह इतने ऊर्जा से भरे हुए हैं कि लगता ही नहीं कि यह बहुत उम्र दराज एक्टर काम कर रहा है। वह दिल से अभी भी नौजवान हैं। उन्हें देख अपनी घबराहट को काबू किया और सोचा कि इतने सारे स्टार के साथ काम किया है तो एक और बड़े स्टार के साथ और कर लेते हैं। मुझे इतना अच्छा लगा कि हम एक ही ब्रांड के दोनों एंबेस्डर हैं।
मुझे स्ट्रांग रोल मिल रहे हैं
कई बार दक्षिण भारतीय फिल्मों में महिलाओं का रोल बहुत अच्छे से लिखा नहीं जाता, इस बारे में आपका का क्या कहना है? समय के साथ चीजें बदल रही हैं। मेरी एक फिल्म 'मोस्ट एलिजिबल बैचलर' में मेरा रोल बहुत अच्छा था। उसमें मैं स्टैंड अप कॉमेडियन बनी थी। 'राधेश्याम' में मेरा रोल बहुत स्ट्रांग रहा है। अपने रोल के लिए मुझे कई अवार्ड भी मिलते हैं। आने वाले दिनों में एक बहुत ही मजबूत और दमदार किरदार वाली कहानी आपके सामने लेकर आऊंगी। आप इंतजार करना।