मेरे लिए मां ऑक्सीजन की तरह हैं : तब्बू
"मदर्स डे की बात या मेरी माँ की बारे में क्या कहूं? मैं तो अभी भी अपनी माँ के पास ही रहती हूं।'' मदर्स डे पर बातचीत करते हुए हंसते हुए तब्बू अपनी माँ रिज़वान हाशमी के बारे में बारे में बताना शुरू करती
तब्बू कहती हैं बचपन में मेरी माँ स्कूल की रिसेस के दौरान मेरे लिए टिफ़िन ले कर आया करती थी। उस दौरान मैं अंग्रेज़ी के अल्फाबेट बी और डी को उल्टा लिखा करती थी। मेरी माँ को टीचर यह बात बताती थीं। उस रिसेस में खाना खाने के दौरान मेरी बी और डी की पढ़ाई हुआ करती थी।"
कई फ़िल्मों में माँ का किरदार निभाने वाली तब्बू भले ही सिंगल हों, लेकिन ये बात उनकी एक्टिंग के आड़े कभी नहीं आई। अपनी माँ की आदतों के बारे में बात करते हुए वे कहती हैं "मेरी माँ को मुझसे जुड़ी हर बात सहेज कर रखना पसंद है। मेरी स्कूल की यूनिफ़ॉर्म भी उन्होंने अब तक सहेज कर रखी हैं।''
तो कोई तब्दीली आई?
इस पर मस्ती भरे माहौल को और हल्का फुल्का करते हुए उन्होंने कहा, "तब्दीली किसमें? मेरे स्कूल के युनिफॉर्म में नहीं तो..."
नहीं, आपके और आपकी माँ के रिश्ते में?
वे अब मेरी बेहतरीन दोस्त हैं, हालाँकि ये भी उतना ही सच है कि आपमें और माँ में सहेलियों जैसी दोस्ती नहीं हो सकती, लेकिन आज इस मकाम पर आ कर मैं उनकी ऊर्जा को और भी महसूस करती हूँ। मुझे बहुत अच्छा लगता है कि वह मेरे साथ हैं। उनका मौजूदगी मुझे बहुत अच्छी लगता है। मैं शुक्रगुज़ार हूँ उनकी। मेरी ज़िंदगी के हर पहलु उनसे जुड़ा हुआ है। माँ का मेरी ज़िंदगी में रहना मेरे लिए ऑक्सीजन की तरह है।
आपने उनसे क्या-क्या सीखा?
हमेशा मज़बूत इरादे रखना। जमे रहना और हमेशा कुछ ना कुछ करते रहना। उनसे सीखा कि ज़िंदगी में जो हो जाए आगे बढ़ते रहना। अपनी मौलिकता को कभी नहीं खोना।
और क्या नहीं सीख पाईं?
उनका तरह ऐक्टिव रहना। उनकी तरह सोशल रहना। मेरा सोशल सर्कल इतना बड़ा नहीं है जितना कि उनका। मेरे से ज़्यादा उनके दोस्त हैं। बिल्डिंग में वह सबको जानती हैं जबकि मैं नहीं जानती। आज भी उन्हें गणपति या दिवाली या ईद के ज़्यादा न्यौते आते हैं, मुझे कोई नहीं बुलाता।