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फन्ने खान नहीं करता तो बेवकूफ कहलाता : अनिल कपूर

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रूना आशीष

'इस फिल्म का ज्यादा मुझे कुछ याद नहीं है कि मुझे कब ये फिल्म ऑफर हुई था। शायद 4 या 5 साल पहले एक दिन राकेश ने मुझे फिल्म 'एवरीबडी इज़ फेमस' (जिसकी फन्ने खान हिंदी रिमेक है) की डीवीडी दी और कहा कि ये देखकर मुझे बताना। मैंने भी हां कह दिया, जैसे कि हम एक्टर-निर्देशकों को कह देते हैं। फिर राकेश ने एक बार कहानी के बारे में भी बताया लेकिन मेरा मन बहुत किया नहीं।

कई बार मुझे ऐसा लगता है कि चलो इस बार कुछ ऐसी तरह की फिल्म कर लेते हैं, तो उस समय मुझे लगा कि 'फन्ने खान' जैसी फिल्म नहीं करनी है। फिर बाद में मालूम पड़ा कि कोई और कलाकार ये फिल्म कर रहा है, तो मैंने सोचा चलो कोई नहीं। लेकिन जब 'मिर्जियां' बन रही थी तब उस फिल्म के फाइनेंसर और डिस्ट्रीब्यूटर रोहित ने कहा कि 'फन्ने खान' तुम करो।

इस बातचीत के बाद जब मैंने पहली बार फिल्म देखी तो अपने आपसे कहा कि मैं कितना बड़ा बेवकूफ हूं, जो मैंने इस फिल्म को अभी तक देखा ही नहीं, ये तो बड़ी जबरदस्त फिल्म है। मैं तो फिल्म देख हिल गया और सोचा कि अब तो ये फिल्म करनी चाहिए।' 'फन्ने खान' को लेकर अपनी असमंजस की हालत बयां करते अनिल कपूर के चेहरे पर न तो कोई शिकन थी न और न ही किसी परेशानी का आलम। बस आंखों में शरारतें और चेहरे पर बदमाशी से भरी मुस्कान। अनिल कपूर से 'फन्ने खान' से जुड़ी बातें कर रही हैं 'वेबदुनिया' संवादददाता रूना आशीष।
 
इस फिल्म में बॉडी शेमिंग के मुद्दे को उठाया गया है?
मैंने इसी कारण से ये फिल्म करने का मन किया। मैंने सोचा कि इस बारे में तो कभी कोई फिल्म बनी ही नहीं है। मैंने जब भी कोई फिल्म की है, चाहे वो 'परिंदा' हो या '1942 ए लव स्टोरी' हो या 'ईश्वर' हो, अब जो मैं फिल्म करने जा रहा हूं 'एक लड़की को देखा तो' हर फिल्म में कुछ न कुछ ऐसा होना ही चाहिए। मैं कई बार राज (कपूर) साहब से बात करता था। जब हमने 'मिस्टर इंडिया' भी बनाई थी कि फिल्म मनोरंजक हो, लोगों को मजा आए। लेकिन हर फिल्म में कुछ न कुछ मैसेज होना चाहिए। 'मिस्टर इंडिया' में भी उन्हीं के कहने पर हमने सीन डाला था। सीन में मैं सबको कहता हूं कि हम सब में एक 'मिस्टर इंडिया' छुपा हुआ है। लगभग सारे बड़े निर्देशकों की यही बात थी कि वे मनोरंजक फिल्म भी बनाते थे लेकिन उसमें भी एक सोशल मैसेज जरूर छिपा होता था। तो इस फिल्म भी ये ही किया है कि कहानी भी कही है, तो बोरिंग भी नहीं की है। उसमें संगीत भी है, परफॉर्मेंस भी है और कहानी भी है। हमने दिखाया है कि खूबसूरती अच्छे दिखने या सुंदर कपड़े पहनने में नहीं होती, बल्कि पर्सेनैलिटी या आवाज या संवेदनशील होने में होती है। मुझे तो मेरी बेटी सुंदर ही लगती है। वे तो दूसरे लोग हैं, जो उसे कुछ न कुछ कह देते हैं और फिर वो रोती है। फिर किसी आम पैरेंट की तरह मैं उसे बोलता हूं कि 'तू चिंता मत कर, तू सबसे अच्छा कर लेगी।'
 
फिल्म के जरिए आपको लगता है कि कुछ बदलेगा?
चीजें बदल रही हैं। लड़कियां अब बेबाक ढंग से अपनी बातें कह रही हैं। सोनम तो कई मुद्दे पर बोलती रही हैं। आप सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर देखिए। लड़कियां हर बात पर अपनी सोच रखती हैं, पहले जैसा नहीं कि चुप बैठ गईं। इसकी वजह से मर्दों की भी सोच में फर्क पड़ता है। फिर बाकी के लोग भी सोचते हैं कि जब सैलेब या फिल्में ऐसी कोई बात कह रही हैं, तो जरूर सही होंगी बातें। थोड़े दिन पहले मैं 'वीरे दी वेडिंग' की शूटिंग पर गया था तब मैंने देखा 150 लोगों की युनिट में 70-75 तो लड़कियां हैं। प्रोडक्शन में, फोटोग्राफी में, कॉस्ट्यूम में ऊपर से 4 हीरोइंस भी थीं। मैं तो ढूंढ रहा था कि कोई लड़का तो मिले।
 
हाल ही में सलमान ने कहा था कि आप अगले अमिताभ बच्चन हैं?
अरे नहीं, मेरा तो नाम ही उनके साथ ले लिया गया है वो ही बहुत बड़ी बात है। वर्ना वे ऐसे कलाकार हैं, जो कई सालों में एक बार आते हैं। मैं कभी किसी गलतफहमी में नहीं रहा हूं। न तो तब जब मैंने करियर की शुरुआत की थी, न तब जब मैंने 'मशाल' की थी। मैं कभी इस बात को सीरियसली नहीं लेता। बस खुश हो जाता हूं, जब ऐसे कोई तुलना कर देता है। मैंने तो 'शक्ति' भी इसीलिए की थी। 1980 या 81 मेरे करियर की शुरुआत थी। मैंने तो सपने में देखा था कि दिलीप कुमार, अमिताभ बच्चन और अनिल कपूर कभी साथ में फिल्म करेंगे। पर सोचता था कि इन तीनों को कौन साथ में लाएगा? मेरा फिल्म में कोई खास रोल भी नहीं था लेकिन मैंने तो इन दोनों के नाम पर फिल्म कर ली थी। अब सपना देखने में क्या परेशानी है? सपने बड़े ही देखो। न इस पर कोई इंकम टैक्स, न जीएसटी।
 
आप माधुरी और ऐश्वर्या के साथ एक बार फिर काम कर रहे हैं?
मुझसे कई बार ये सवाल पूछते हैं लेकिन मैं इनके साथ फिल्म न करूं तो क्या हुआ, मैं उनसे संपर्क में रहता हूं। जैसे मैं कभी अमेरिका गया तो भले ही किसी भी कोने में होऊं लेकिन फिर लगता है कि मैं यहां आया हूं और अपनी दोस्त से न मिलूं, तो मैं उसे कहता था मैं आ रहा हूं तो ऐसे मिल लिया। वैसे भी बच्चन साहब के घर हर साल दिवाली पार्टी होती है, तो अभिषेक से मिल लिया, तो तभी जयाजी से मिल लिया, तो कभी किसी फंक्शन में मिल लिया आपस में। वैसे भी हमारी फिल्म इंडस्ट्री बहुत छोटी है। कोई हॉलीवुड नहीं कि एक एक्टर लंदन में है, तो एक अमेरिका में। कोई चाइना से आ रहा है या कोई कोरिया से आ रहा है। अब आप और मैं ही ले लीजिए। हर बार तो प्रमोशनल इंटरव्यूज के लिए मिलते रहे हैं। अभी 3 महीने पहले मिले या पिछले साल मिले। कल की बात लगती है।

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