Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

भारत से पहले विदेशों में क्यों हुई 'द वैक्सीन वॉर' की स्क्रीनिंग, पल्लवी जोशी ने बताई वजह

हमें फॉलो करें भारत से पहले विदेशों में क्यों हुई 'द वैक्सीन वॉर' की स्क्रीनिंग, पल्लवी जोशी ने बताई वजह

रूना आशीष

, गुरुवार, 28 सितम्बर 2023 (15:34 IST)
Pallavi Joshi Interview: आप जानते हैं कि मैंने अपने करियर की शुरुआत बहुत ही कम उम्र से की थी। इस वजह से हुआ यह कि मैंने बहुत सारे अलग-अलग तरीके का काम किया और बहुत सारा काम किया। जब मैं मां बनी और अपनी बेटी को जन्म दिया तब सच में मेरे रिटायर हो जाने की उम्र आ गई थी। एकबार कुछ यूं भी हुआ के बच्चों के बढ़ने के साथ-साथ कुछ माइलस्टोन होते हैं जैसे घुटनों के बल चलना। अपने बच्ची के विकास में वो पड़ाव मिस किया।
 
उसके बाद फिर मेरा बेटा पैदा हुआ। तब जाकर ऐसा लगा कि हम बच्चे क्यों पैदा करते हैं इसलिए क्योंकि हम उस समय को देना चाहते हैं हमने इसलिए तो बच्चे नहीं पैदा करें ना कि सारी दुनिया करती है तो चलो हम भी कर लेते हैं। वह एक पल था। जब मुझे लगा कि चलो मुझे एक ब्रेक ले ही लेना चाहिए।
 
यह कहना है पल्लवी जोशी का जो हाल ही में द कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्म में अपने अभिनय के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीत चुकी है। द वैक्सीन वॉर में भी वह एक अलग किरदार में नज़र आने वाली हैं और इसी के लिए उन्होंने मीडिया से बातचीत की पल्लवी जोशी ने आगे बताया कि मुझे अपने दर्शकों पर यकीन था। मुझे मालूम था कि दर्शक मुझे प्यार करते हैं तो घर में एक ब्रेक लेकर वापस भी आ जाती हूं। तब भी दर्शक मुझे वही उसी प्यार को देने वाले हैं। सोचा चलो एक या डेढ़ साल तक बच्चे को देख लेती हूं, बच्ची चलने लायक हो जाएगी तब काम करना शुरू कर दूंगी। 
 
webdunia
पल्लवी ने कहा, धीरे-धीरे मुझे समझ में आया कि बच्चे का हर एक साल नई चुनौतियों से भरा होता है। तो इसका है तो इसका है तो इसका मतलब यह भी है कि वह बहुत उधर टकराने वाली भी है। फिर मेरा एक या डेढ़ साल का जो ब्रेक था, यह बड़ा लंबा खिंच गया। हालांकि इस बीच मैंने दूसरे तरीके से काम करना शुरू कर दिया। मैं ऑफिस जाती थी, प्रोडक्शन के काम में भाग लेती थी और बच्चों के स्कूल से आ जाने के पहले वापस आ जाती थी। क्योंकि मैंने बहुत छोटी उम्र से काम किया है इसलिए मैं नहीं चाहती थी कि मेरे बच्चे भी काम करें। अमूमन होता है कि आप जब कि आप जब जब इस इंडस्ट्री के हो तो कई लोग पूछते हैं कि बेटी या बेटा एक फिल्म में काम करेगा या नहीं करेगा तो यह मैंने उन्हें पूछा, जब दोनों से पूछा। जब दोनों ने मना कर दिया फिर कभी नहीं पूछा।
 
सेट का माहौल कैसा था 
सेट का माहौल तो वैसे ही था जैसा कि होना चाहिए लेकिन हमारे घर माहौल पूरा बदल चुका था। फिल्म में विवेक ही नहीं थे मेरे दोनों बच्चे भी इसी फिल्म में साथ काम कर रहे थे। सुबह सुबह हम उठते थे साथ में होते थे फिर साथ में तैयार होने जाते थे। साथ में ऑफिस पहुंचते थे। दिन भर साथ काम करते थे और शाम को गाड़ियों से अपने घर साथ में ही पहुंच जाया करते थे। आप कितने भी अच्छे पति पत्नी हो, आप के रिश्ते अपने बच्चों से कितने भी अच्छे हो लेकिन एक इंसानी तौर पर आपको एक ब्रेक चाहिए होता है। मैं खुशकिस्मत हो कि विवेक मुझे ब्रेक दे देते हैं।
 
आपकी कभी लड़ाई होती है?
लड़ाई नहीं होगी तो कैसे चलेगा हर बात पर सहमति बनती जाए तो जिंदगी कितनी बोरिंग हो जाएगी? हमारे तो वाद विवाद भी हो जाते हैं? सोचे ना जिंदगी में कितना मसाला है इस लड़ाई की वजह से। और मजा आता है जब इस लड़ाई के बाद हम पैचअप कर लेते हैं। दोनों के बीच में ये बात तय है कि जो ज्यादा गुस्सा वही दोस्ती का हाथ बढ़ाएगा। 
 
webdunia
द कश्मीर फाइल जैसी फिल्म करने के बाद आपके जिंदगी में क्या बदलाव आए? 
प्रोफेशनली तो कोई खास बदलाव नहीं आए। पर्सनल लाइफ में बहुत ज्यादा बदलाव आए। हमारी निजता खत्म हो गई। फिल्म बनने के बाद हमें कई सारे ऐसे मैसेजेस आए धमकी आई। उसके बाद हमें पर्सनल सिक्योरिटी दी गई। अब होता यह है कि अब हम साथ में कहीं एक साथ आ जा नहीं सकते। जब भी कोई काम करते हैं तो हमें मालूम है कि मैं देखी जा रही हूं।
 
क्या इसका असर आपके बच्चों पर भी हुआ? 
शायद मुझे एक अंदाजा था कि हम क्या करने जा रहे हैं? कश्मीर पंडितों के साथ उस समय में क्या हुआ? उसकी पूरी जानकारी तो नहीं थी मेरे पास। कहीं कुणाल खेमू या अशोक पंडित इनकी बातचीत में समझ में आता था लेकिन यह कितना गहरा विषय है, हम कभी सोच नहीं पाए। जब फिल्म के लिए हम लोगों से बातें करते थे तो मैं और विवेक लोगों की आपबीती सुनते। कोई कहता था मेरे पिताजी को 40 हिस्सों में काट दिया गया। उसने कहा, मेरी बहन के साथ गैंगरेप हुआ। हम ऐसी स्थिति में पहुंच गए थे जहां हमारे हमारे दिमाग सुन्न हो चुके थे। 
 
मैं और विवेक 1 महीने ढंग से सो भी नहीं पाए थे और हमारे दिमाग में बस यही बात चलती थी कि इतने सारे लोगों ने जो अपनी कहानियां हमें बताई है। अगर हम उस कहानी को उस दर्द को उसी पीड़ा को नहीं बता पाए और कैमरा पर नहीं उतर पाए तो ये सरासर गलत होगा। ऐसे में मैंने अपने बच्चों को बुलाया और बातचीत की और क्योंकि स्क्रिप्ट बन गई थी और हम एक फिल्मी परिवार है तो सिर्फ अपने बच्चों के सामने रखी और उनसे पूछा इस तरीके की फिल्म हम बनाने वाले हैं और तुम दोनों को इसी फिल्म इंडस्ट्री में आने की इच्छा है क्या हमारा यह फिल्म बनाना तुम्हें कोई तकलीफ देगा, सोच कर बताना। तो फिर हम कोई निर्णय लेंगे.. मेरे बच्चों ने स्क्रिप्ट पढ़ी। और उसी समय तय कर लिया कि वह भी स्पष्ट का हिस्सा बनेंगे। 
 
आपको अगर याद होगा तो जेएनयू में एक हिस्सा फिल्माया गया जो असल में देहरादून है, लेकिन वहां पर स्टूडेंट्स को दिखाना था तो वहां मेरे दोनों बच्चे और अनुपम खेर के भतीजे भी आए हुए थे। उन तीनों को खड़ा कर दिया मैंने और यह सीन उन पर पिक्चराइज किया गया था। मैं शुरुआत से जानती थी कि इस फिल्म का अंजाम बहुत अलग है। शायद मैं जागरूक थी। मुझे पता था कि कुछ लोग हमसे बहुत ज्यादा नाराज हो जाएंगे। लेकिन जब विवेक ने लिखा तो मुझे एक बार फिर से प्यार हो गया। 
 
वैक्सीन वॉर की बात कही जाए तो क्या यह कोई स्ट्रेटजी थी जो आपने पहले इस फिल्म को देश के बाहर दिखाएं और फिर भारत में लेकर आए।
कोई सोची-समझी नीति नहीं है। दरअसल हुआ यह कि जब हम कश्मीर फाइल बना रहे थे तब हमने जितने भी इंटरव्यूज किए हैं, जितने भी लोगों से मिले हैं, उसमें भारत से कम और विदेशों में जैसे अमेरिका, इंग्लैंड में ज्यादा थे। हम तो ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड भी जाने वाले थे लेकिन लॉकडाउन के चलते वह मुमकिन नहीं हो सका। जब हम इनके इंटरव्यू कर रहे थे और कहा कि हम ऐसी फिल्म बनाएंगे तब उन्हें वादा किया था कि जब द कश्मीर फाइल्स बन जाएगी तो उन्हें दिखाई जाएगी और हमने ऐसे कई अलग-अलग जगह पर इसकी स्क्रीनिंग रखी थी। 
 
अब जब द वैक्सीन वॉर की बात आई तो उन लोगों को ऐसा लगा कि अब उन्हें हमें धन्यवाद कहने का एक तरीका होना चाहिए तो उन लोगों ने हम से कांटेक्ट किया और कहा कि आप अपनी इस फिल्म की स्क्रीनिंग हमारे देश में हमारे लिए रखा है। हम उसे अपने तरीके से सपोर्ट करना चाहते हैं और मैं आपको बता दूं कि कई कश्मीरी पंडित वहां रिसर्च में और मेडिकल लाइन में है। तो इसलिए इस फिल्म की स्क्रीनिंग देश के बाहर तो बहुत हुई है और अब हम अपनी इस फिल्म को देश में भी रिलीज कर रहे हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

रणबीर कपूर को विरासत में मिली है अभिनय की कला, पहली ही फिल्म के लिए मिला अवॉर्ड